BeyondHeadlines news Desk
जर्मनी के बाद अब ब्रितानी नागरिक सीरियाई शरणार्थियों की मदद के लिए आगे आए हैं.
अभूतपूर्व शरणार्थी संकट का सामना कर रहे यूरोप में शरणार्थियों के प्रति नज़रिया बदल रहा है.
ब्रितानी मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक क़रीब दो हज़ार ब्रितानी नागरिकों ने युद्ध प्रभावितों को अपने घरों में रहने का न्यौता दिया है.
शरणार्थियों की मदद के लिए ऑनलाइन अभियान शुरू करने वाली ज़ोए फ्रिट्ज़ का कहना है कि लोगों का समर्थन देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर फ़्रिट्ज़ का कहना है कि सीरियाई शरणार्थियों की तस्वीरें देखकर उन्होंने उनकी मदद के लिए ऑनलाइन अभियान शुरू किया था.

डॉक्टर फ़्रिट्ज़ शरणार्थियों की मदद के लिए इच्छुक लोगों का डाटाबेस तैयार कर रही हैं.
उनका कहना है कि जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े लोगों ने संपर्क किया है. मदद का प्रस्ताव करने वाले कुछ लोग स्वयं अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं लेकिन बावजूद इसके वो मदद करना चाहते हैं.
डॉक्टर फ़्रिट्ज़ के मुताबिक तीन दिनों के भीतर ही दो हज़ार से अधिक लोगों ने शरणार्थियों को अपने घरों में जगह देने की इच्छा ज़ाहिर की है.
बड़ी तादाद में यूरोप का रुख कर रहे शरणार्थियों को यूरोप के कई देशों में मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा है.
लेकिन जर्मनी ने शरणार्थियों का स्वागत किया है. जर्मनी की चांसलर एंगेल मर्केल का कहना है कि मध्य पूर्व और अफ़्रीका से आ रहे प्रवासियों की मदद करना ‘नैतिक और क़ानूनन’ ज़िम्मेदारी है.

ब्रितानी सरकार पर बढ़-चढ़कर शरणार्थियों की मदद न करने के आरोपों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा था कि उनका देश अब अधिक शरणार्थियों को जगह देगा.
आम ब्रितानी नागरिकों ने सरकार पर शरणार्थियों की मदद करने के लिए दबाव बनाया था.
वहीं फिनलैंड के प्रधानमंत्री यूहा सीपिला ने अपना निजी घर शरणार्थियों को देने का प्रस्ताव दिया है.
यूरोप के देशों की सरकारें और लोग भले ही शरणार्थियों की मदद के लिए आगे आ रहे हों लेकिन सबसे अमीर अरब देशों में शामिल सऊदी अरब, क़तर, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत ने अभी सीरिया के एक भी शरणार्थी को जगह नहीं दी है.
इन बेहद अमीर अरब देशों के मदद के लिए न आने की वजह से दुनियाभर के मुसलमानों में इन अरब देशों के प्रति ग़ुस्सा भी बढ़ रहा है.
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