India

अंबानी ग्रुप को आगे बढ़ाने में प्रणव मुखर्जी व नारायण दत्त तिवारी सबसे आगे थे –प्रो. रमेश दीक्षित

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : बटला हाउस फ़र्ज़ी मुठभेड़ की सातवीं बरसी पर रिहाई मंच द्वारा शनिवार को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में ‘सरकारी आतंकवाद और वंचित समाज’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया.

सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि देश के 55 फीसद हिंदू भाजपा को अपनी पार्टी नहीं मानते हैं. इनके चरित्र में पूंजीवाद की सेवा है और ये आम आदमी के पक्के शत्रु हैं. चाहे वह कांग्रेस हो या फिर भाजपा, पूंजीवाद की दलाली इनके चरित्र में बसी है.

उन्होंने कहा कि अंबानी ग्रुप को आगे बढ़ाने में प्रणव मुखर्जी और नारायण दत्त तिवारी सबसे आगे थे. आज राजसत्ता का खुला चरित्र सबके सामने है और वह विश्व पूंजीवाद की दलाली कर रही है. हिंदुस्तान की राजसत्ता का चरित्र गरीब विरोधी और सांप्रदायिक है. यहीं नहीं, मीडिया ने आतंकवाद का मीडिया ट्रायल किया.

उन्होंने कहा कि हम संजरपुर गए थे और उन परिवारों के लोगों की इलाके में बड़ी इज्ज़त है.

रमेश दीक्षित ने कहा कि आज हिंदुस्तान के सारे इलाकों को पूंजीपतियों ने बांट लिया है. इसे रोकने के लिए सबसे पहले लोकतंत्र को बचाना होगा. तभी यह देश और उसके संसाधान बच पाएंगे.

सेमिनार को संबोधित करते हुए एपवा की ताहिरा हसन ने कहा कि यह याद करने का दिन है. यह इसलिए कि हम इस लड़ाई को आगे केसे बढ़ाएं? बटला की जांच जांच होनी चाहिए. इसलिए इस प्रकरण की पूरी जांच होनी चाहिए. गिरफ्तारी दिखाने में खेल क्यों होता है? यह भी एक सवाल है.

राजसत्ता असली आतंकवादी को बचाती है क्योंकि इसकी एक राजनीति है. दरअसल सारा खेल जनता को आतंकित करके उनके संसाधनों को लूटने का है. बिना पूंजीवाद के खात्मे के आतंकवाद के खात्मे की कोई उम्मीद नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह राज्य सत्ता द्वारा पोषित है. बेगुनाह केवल शिकार होते हैं.

कॉर्ड के अतहर हुसैन ने कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ जितने भी जनसंहार आयोजित हुए उनमें केवल गुजरात जनसंहार के दोषियों को कुछ स्तर पर सजा मिल पायी. यह इसलिए हुआ कि इस जनसंहार में न्याय के लिए व्यापक स्तर पर जन समुदाय सड़क पर उतर कर कानूनी लड़ाई भी लड़ा. इस लड़ाई को और भी आगे ले जाने की ज़रूरत है.

डा. इमरान, अलग दुनिया के केके वत्स, आफाक उल्ला ने भी इस सेमिनार में अपने विचार रखे.

कार्यक्रम का आरंभ दाभोलकर, पानसरे और कालबुर्गी की शहादत का स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए शुरू किया गया.

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने किया. विषय प्रवर्तन अनिल यादव तथा सेमिनार का संचालन मसीहुद्दीन संजरी द्वारा किया गया.

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]