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मुसहर जाति के एक मजदूर जब अपने मालिक से मजदूरी की माँग की तो सर्वप्रथम ऊंची जाति के दबंगों द्वारा उसे बुरी तरह से पीटा गया. साथ ही यह भी धमकी दी गई कि –‘अगर दुबारा कभी पैसे की मांग की तो तुम्हारी जीभ (जुबान) काट कर तुम्हें जान से मार देंगे.’
इसकी जानकारी वाराणसी की सामाजिक संस्था ‘मानवाधिकार जननिगरानी समिति’ के महासचिव डा0 लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, पुलिस अधीक्षक जौनपुर, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और प्रधानमंत्री को इसकी एक लिखित शिकायत में दी है.
उन्होंने अपने पत्र में बताया है कि –‘पीड़ित तूफानी मकान बनाने का काम करता है. उसी के गाँव के रहने वाले संतोष कुमार शुक्ला उर्फ़ पप्पू के मकान पर उसने प्लास्टर का काम किया था, जिसके एवज में उसकी मजदूरी बकाया थी, जिसे देने में संतोष आनाकानी कर रहा था. पीड़ित ने कई बार उनसे अपने बकाया मजदूरी का पैसा मांगा, पर हर बार वो आनाकानी करते रहे. इसी दौरान एक दिन पीड़ित का संतोष से पैसे को लेकर बहस हो गयी. संतोष ने पीड़ित तूफानी को धमकी देते हुए कहा कि दुबारा पैसे का तगादा मत करना नहीं तो अच्छा नहीं होगा.’
इस पत्र के मुताबिक़, इसके बाद तुफानी ने दुबारा अपना पैसा नहीं मांगा. लेकिन दिनांक 5 सितम्बर, 2015 को क़रीब रात में 9 बजे संतोष पीड़ित घर मोटरसाईकिल लेकर आया और पीड़ित से बोला कि चलो पिछली सब बात ख़त्म करो और आओ जन्माष्टमी घुमने चलें. मैं तुम्हें वापिस घर छोड़ दूंगा और तुम्हारा बकाया पैसा भी आज दे दूंगा. चूंकि उस दिन जन्माष्टमी का त्यौहार था और पीड़ित ने भी सभी मनमुटाव भुलाकर उनके साथ घुमाने चला गया. बाज़ार में जन्मोत्सव देखने के बाद तुफ़ानी उसके मोटरसाईकिल से वापस घर आ रहा था, तभी रास्ते में नहर के पास पुलिया पर संतोष के दोस्त पुट्टन सरोज और पप्पू सरोज पहले से ही वहा मौजूद थे. संतोष ने मोटरसाईकिल वहीं रोक दी. जिसके बाद उन लोगों ने जातिसूचक गाली देते हुए कहा कि –‘साले! मुसहर… तेरी इतनी औकात हो गयी है कि अब तुमलोग हमलोग से तगादा करने लगा. बहुत जबान चलाने लगे हो. आज तुम्हारी जबान ही काट देते हैं. फिर कभी जबान नहीं चलेगी.’
इसके बाद तीनों ने तुफ़ानी को बहुत बुरी तरह लात-गूंसों से मारना शुरू किया. फिर संतोष ने तुफ़ानी को रिवाल्बर दिखाते हुए धमकी दी कि –‘यदि चिल्लाये तो जान से मार देंगे. जिसके बाद संतोष ने एक छोटा चाकू निकाला और पीड़ित की जुबान फाड़ दिया. उनके मारने-पीटने से पीड़ित के नीचे के कई दांत भी टूट गएं. जिसके बाद पीड़ित दर्द से तड़पकर चिल्लाने लगा, जिससे जन्माष्टमी देखकर लौट रहे कुछ लोगों ने आवाज़ दी, जिससे वो तीनों तुफ़ानी को जान से मारने की धमकी देते हुए भाग गए कि यदि पुलिस को सुचना दोगे तो जान से मार देंगे.
इस घटना के बाद 6 सितम्बर, 2015 को सुबह पीड़ित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर गया, परन्तु वहां भी संतोष मौजूद था. और संतोष के कहने पर डॉक्टरों ने पीड़ित को भर्ती नहीं किया, बल्कि कुछ दवाईयां देकर भगा दिया, जबकि पीड़ित के मुंह से लगातार खून निकल रहा था.
इसके बाद पीड़ित ने एक प्राईवेट अस्पताल में अपना इलाज करवाया और जीभ पर टाँके लगे. साथ ही पीड़ित अपने भाई और माँ के साथ मुंगरा बादशाहपुर थाने पर रिपोर्ट लिखवाने गया तो थाने में भी संतोष पहले से मौजूद था और तुफानी के परिवार को गाली देने लगा. पुलिस वाले ने कहा कि –‘भाग जाओ, दुबारा यहाँ आओगे तो उल्टे केस में बंद कर दूंगा.’
इसके बाद तुफ़ानी ने ज़िलाधिकारी महोदय जौनपुर व पुलिस अधीक्षक महोदय जौनपुर को लिखित शिकायत की, परन्तु उसके बावजूद पुलिस ने मुक़दमा दर्ज नहीं किया.
अब संतोष लगातर तुफ़ानी को जान से मारने की धमकी दे रहा है, जिससे तुफ़ानी इस समय अपना घर छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छुप कर रह रहा है, क्योंकि पुलिस भी संतोष के साथ मिलकर पीड़ित को लगातार मारने या झूठे केस में फ़ंसाने के लिए खोज रही है.
‘मानवाधिकार जननिगरानी समिति’ के महासचिव डा0 लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, पुलिस अधीक्षक जौनपुर, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए न्याय की मांग की है, ताकि तुफ़ानी अपनी खुद की जान बचा सके.