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संभल : स्पेशल सेल व खुफिया एजेंसियों से रिहाई मंच के 9 सवाल

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ/संभल : राजनीतिक-सामाजिक संगठनों, पत्रकारों व अधिवक्ताओं के एक जांच दल ने संभल का दौरा किया और अलक़ायदा के नाम पर गिरफ़्तार हुए संभल के जफ़र मसूद पुत्र मसूद उल हसन और आसिफ के परिजनों व स्थानीय नागरिकों से मुलाकात कर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल व खुफिया एजेंसियों पर 9 सवाल उठाए हैं.

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1- जांच दल ने सवाल उठाया कि जिस जफ़र मसूद को दिल्ली स्पेशल सेल, अलक़ायदा का आर्थिक सहयोगी बता रही है और संचार माध्यम जिन्हें पूर्व में आतंकवाद के मामले में संलिप्त बता रहे हैं, की सत्यता कुछ और ही है. परिजनों से प्राप्त दस्तावेज़ के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि एफ़आईआर संख्या 493/01 में ज़फ़र मसूद ने  4 अप्रैल 2009 को दिल्ली के चीफ़ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बावेजा के समक्ष एक आवेदन दिया कि यदि उक्त केस में उसका नाम है, तो वह आत्मसमर्पण करना चाहता है. 9 अप्रैल 2009 को दिल्ली स्पेशल सेल के जांच अधिकारी सतेन्द्र सांगवान ने न्यायालय को बताया कि ज़फ़र मसूद पुत्र मसूद उल हसन और उस्मान पुत्र खुर्शीद हुसैन की उक्त केस, जिसे 12 सितंबर 2001 में दर्ज किया गया था, से कोई संबन्ध नहीं है. 8 अप्रैल 2009 को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बवेजा की कोर्ट ने आदेश दिया कि केस संख्या 493/01 से ज़फ़र मसूद और उस्मान का कोई संबन्ध नहीं है.

2- जांच दल ने सवाल उठाया कि जब माननीय न्यायालय ने आदेश दिया है कि केस संख्या 493/01 से ज़फ़र मसूद का जब कोई संबन्ध नहीं है, तो 16 दिसंबर को दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा ज़फ़र मसूद को उठाए जाने के बाद उक्त केस से जोड़कर उसके आतंकी होने के बारे में आखिर क्यों मीडिया ट्रायल किया जा रहा है.

3- जांच दल ने सवाल उठाया कि दिल्ली स्पेशल सेल ने जिस तरह से 16 दिसंबर को गैर-क़ानूनी ढंग से मुरादाबाद में एक वैवाहिक कार्यक्रम में परिवार सहित शामिल होने गए ज़फ़र मसूद को उठाया उससे साफ़ हो गया है कि आतंकवाद के नाम पर 2001 के झूठे मामले में फंसाने में असफल रहीं खुफिया एजेंसियां और दिल्ली स्पेशल सेल बदले की भावना से एक बार फिर से ज़फ़र मसूद को फंसाना चाहती है.

4- जांच दल ने सवाल उठाया कि मीडिया में आई रिपोर्टों में जिस तरीक़े से ज़फ़र मसूद के पास चार पासपोर्ट होने की बात कही जा रही है, उसकी सच्चाई परिजनों के अनुसार यह है कि ज़फ़र ने एक पासपोर्ट बनावाया था, जिसे नियमानुसार 2 बार नवीनीकरण कराया और एक बार खो जाने के बाद पुनः बनवाया. जांच दल ने इस पर सवाल उठाया कि आखिर पासपोर्ट के वैधानिक नियम को मीडिया और खुफिया एजेंसियां आपराधिक साजिश क्यों बता रही है.

5- जांच दल ने सवाल उठाया कि आसिफ़ की पत्नी आफ़िया ने बताया कि आसिफ़ के 13 दिसंबर को इतवार के दिन सुबह दिल्ली जाने के बाद से ही उनका मोबाइल लगातार बंद जा रहा था. शाम को आसिफ़ का फोन आया कि एक मोबाइल जो घर में रखा है, उसे एक आदमी जो घर आएगा उसे दे देना. उसके बाद एक आदमी उसी वक्त आया, जिसे आफिया के कहने पर बच्चे ने मोबाइल दे दिया. उसके बाद से ही आसिफ़ से कोई बात नहीं हुई. टीवी की ख़बरों से मालूम चला कि उसे पुलिस ने पकड़ लिया है. आफिया ने बताया कि जिस बच्चे ने उस व्यक्ति को मोबाइल दिया था. उसने दूसरे दिन जब आसिफ़ की गिरफ्तारी वाली ख़बर की तस्वीर देखी तो उसने कहा कि आसिफ़ के साथ जो व्यक्ति खड़ा है वो वही व्यक्ति है, जिसे उसने मोबाइल दिया था. जांच दल ने सवाल उठाया कि आसिफ़ की गिरफ्तारी, जिसे दिल्ली स्पेशल सेल सीलमपुर से बता रही है, वह संदिग्ध है क्योंकि उसका मोबाइल सुबह से ही बंद जा रहा था. हर रविवार को आसिफ़ दिल्ली खरीदारी के लिए जाता था यह बात आम थी, ऐसे में परिवार व स्थानीय लोगों को यह अंदेशा है कि सुबह दिल्ली निकलने के वक्त ही उसे पुलिस ने उठा लिया था.

6- जांच दल ने सवाल उठाया कि दीपासराय व आस-पास के स्थानीय लोगों ने मीडिया में आए उन तर्कों को बेबुनियाद बताया जिसमें यह कहा जा रहा है कि संभल के स्थानीय लोगों ने संभल के गायब व्यक्तियों के बारे में खुफिया व पुलिस को बताने को जिम्मा लिया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसा यहां कुछ भी नहीं है, तो हम लोग किसके बारे में बताएं? स्थानीय लोगों ने यह आशंका व्यक्त की कि ऐसा करके खुफिया एजेंसियां और पुलिस कुछ और बेगुनाहों को फंसाने के लिए जाल बुन रही हैं.

7- संभल के 36 सरायों में से एक दीपासराय शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से संपन्न है. स्थानीय लोगों के अनुसार 24 एमबीबीएस डॉक्टर, 250 से ज्यादा इंजीनियर, देश की बड़ी अदालतों में अधिवक्ता, साइंस व सोशल साइंस के क्षेत्र में शोध छात्र, पुलिस में ऊंचे ओहदे पर रहने वाले अधिकारी व शहर के तीनों प्रमुख मुफ्ती इसी दीपासराय से हैं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर संभल से ही हैं. जांच दल ने सवाल उठाया कि जिस तरीक़े से आज़मगढ़ के बाद संभल को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है और जो संपन्नता आज़मगढ़ में है वहीं यहां पर भी है. ऐसे में स्थानीय लोगों का यह मत है कि अलक़ायदा के नाम पर यह गिरफ्तारियां उनकी निरंतर प्रगति पर हमला है. जिस तरीके से आज़मगढ़ को आतंक के नाम पर बदनाम कर वहां से बाहर जाने वाले छात्रों को उच्च व तकनीकी शिक्षा से वंचित किया गया, वही साजिश संभल के साथ की जा रही है.

8- जांच दल ने सवाल उठाया कि दिल्ली स्पेशल सेल के कमिश्नर अरविंद दीप का यह कहना कि वजीरिस्तान की ट्रेनिंग कैम्प में आसिफ़ की मुलाक़ात सम्भल के दीपासराय मुहल्ले में उसके पड़ोसी रहे दक्षिण एशिया के अलकायदा प्रमुख मौलाना सनाउल हक़ से हुई, जिसने आसिफ़ को पहचानते हुए उसे भारत का प्रमुख नियुक्त कर दिया, यह हास्यास्पद तर्क पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है. जो अलक़ायदा जैसे आतंकी संगठन को किसी गली मुहल्ले का गिरोह समझ रहे हैं, जिसमें ओहदों पर नियुक्ति किसी के पड़ोसी या रिश्तेदार होने के नाते होती होगी?

9- स्थानीय लोगों ने जांच दल को बताया कि दीपासराय की आतंकी छवि गढ़ने के लिए कई संचार माध्यम तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं. मसलन जिस घर को भारतीय उपमहादीप के अलकायदा प्रमुख सनाउल हक़ का घर बताया जा रहा है वह एक डॉक्टर का घर है, न कि सनाउल हक़ का. जांच दल ने सवाल उठाया कि संभल की स्थानीय जनता की अवाज मुख्यधारा की मीडिया से क्यों गायब है.

इस जांच दल में समकालीन तीसरी दुनिया पत्रिका के अभिषेक श्रीवास्तव, रिहाई मंच प्रवक्ता राजीव यादव, दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता आनंद मिश्रा, रिहाई मंच नेता शरद जायसवाल, सामाजिक कार्यकर्ता सलीम बेग, रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव समेत कैच-न्यूज़ डॉट कॉम के पाणिनी आनंद शामिल थे, जो वहां गिरफ्तारियों की हक़ीक़त जानने के लिए आए थे.

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