By Afroz Alam Sahil
बच्चे देश के भविष्य होते हैं. मगर आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि लाखों की संख्या में यही ‘भविष्य’ स्कूलों से दूर सड़कों व गलियों में मारा फिर रहा है.
राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है, जिसके मुताबिक़ देश में 60 लाख से अधिक बच्चे (6-13 साल के उम्र के) स्कूलों की दहलीज़ से दूर हैं और इनमें सबसे अधिक संख्या मुसलमानों व दलितों की है.
आंकड़ें बताते हैं कि पूरे मुल्क में 6 से 13 साल की उम्र के 60 लाख 64 हज़ार 230 बच्चे स्कूल से दूर हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों की है. इनके बच्चों की संख्या स्कूल से दूर रहने वाले अन्य समुदाय के बच्चों के मुक़ाबले में तीन गुणा अधिक है. यानी तक़रीबन 75 फ़ीसद दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के बच्चे स्कूल से बाहर हैं.
इन आंकड़ों के मुताबिक़ स्कूल से दूर रहने वाले बच्चों की कुल संख्या में 32.4 फ़ीसद बच्चे अनुसूचित जाति (एससी) से संबंध रखते हैं. वहीं 25.7 फ़ीसद संख्या मुसलमान बच्चों की है और 16.6 फ़ीसद बच्चे अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हैं.
यह आंकड़ें पिछले महीने राज्यसभा में सीपीआई सांसद के. के. रागेश द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा दिए दस्तावेज़ों से सामने आएं हैं.
2014 में आईएमआरबी नामक संस्था द्वारा किए गए सर्वे से यह बात सामने आई है कि उत्तर प्रदेश व बिहार में सबसे अधिक बच्चे स्कूलों से दूर हैं.
उत्तर प्रदेश में कुल 16 लाख 12 हज़ार 285 बच्चे स्कूल से दूर हैं, इस संख्या में 5,60,531 की तादाद एससी बच्चों की है. वहीं 5,57,870 बच्चे मुसलमान और 1,08,883 एसटी बच्चे शामिल हैं.
वहीं बिहार में कुल 11 लाख 69 हज़ार 722 बच्चे स्कूलों से दूर हैं. जिसमें 5,24,150 एससी बच्चे, 2,46,004 मुस्लिम बच्चे और 30,746 एसटी बच्चे शामिल हैं.
अगर सबसे अच्छे हालात की बात की जाए तो गोवा देश का एकमात्र राज्य है, जहां एक भी बच्चा स्कूल से बाहर नहीं है. उसके बाद नंबर लक्षद्वीप का आता है. यहां सिर्फ़ 267 बच्चे स्कूल से बाहर हैं और ये सारे बच्चे मुसलमानों के हैं.
हैरान करने वाली बात यह है कि यह आंकड़ें तब के हैं, जब देश में ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून 2010 से लागू है, जिसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है. यही नहीं, सर्व शिक्षा अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजना भी इस देश में चल रही है.
इन बातों के दरम्यान एक अच्छी ख़बर यह है कि देश में स्कूल ना जाने वाले बच्चो की सही संख्या का पता लगाने और उन्हें स्कूल तक पहुंचाने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने पहल की है. इस मसले को लेकर नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन आफ चाईल्ड राइट्स और मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से पिछेल दिनों एक समीक्षा बैठक की गई. इसमें देशभर से 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एजुकेशन सचिव, शिक्षा अधिकारियों के अलावा नेशनल एडवाइजरी बोर्ड आफ एजुकेशन के सदस्य, मानव संसाधन मंत्रालय, लेबर मंत्रालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि कैसे भारत के इन ‘भविष्य’ को सरकार स्कूल तक पहुंचाने में कामयाब होती है.