सड़कें इसलिए बनती हैं ताकि आपका सफ़र आसान हो, आप अपनों के क़रीब हो सकें. लेकिन यही सड़कें जानलेवा हो जाएं, आपकी ज़िन्दगी के सफ़र को मुश्किल बना दें या फिर आप अपनों से दूर हो जाएं तो फिर इन सड़कों का क्या फ़ायदा?
अफ़रोज़ आलम साहिल, BeyondHeadlines
महाराष्ट्र की सड़कें जानलेवा बनती जा रही हैं और इसमें सबसे पहला नाम मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का आता है. ये एक्सप्रेसवे पूरे महाराष्ट्र के शहरों को जोड़ने का काम करती है. यानी महाराष्ट्र के लिए ये एक्सप्रेसवे एक लाइफ़लाइन की तरह है. ख़ासकर मुंबई और पुणे के लोगों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं. लेकिन इसी सड़क पर हर साल क़रीब 140 लोगों की मौत हो रही है और ये हादसों के लिहाज़ से महाराष्ट्र की सबसे असुरक्षित सड़कों में से एक है.
हालांकि इस सड़क पर होने वाली मौतों का कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. राज्यसभा में जब इस एक्सप्रेसवे पर होने वाली मौतों के संबंध में राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने सवाल किए तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री मनसुख एल. मांडविया ने स्पष्ट तौर पर बताया कि ‘मुंबई से पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए व्यक्तियों की संख्या मंत्रालय में उपलब्ध नहीं है.’
वहीं मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे के कॉर्पोरेशन का कहना है कि हम 2020 तक मौत के आंकड़ों को शून्य पर ले आएंगे. लेकिन ऐसा होता दूर-दूर तक दिख नहीं रहा है. बल्कि इस एक्सप्रेसवे पर हादसों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा होता नज़र आ रहा है.
हादसों में 105 की मौत और 191 ज़ख्मी हुए. 2016 में 281 हादसों में 151 की जान गई और 179 ज़ख्मी हुए. वहीं 2015 में 313 सड़क हादसों में 118 की मौत और 122 ज़ख्मी होने के आंकड़ें सामने आएं. इस तरह से इन आंकड़ों के मुताबिक़ इस एक्सप्रेसवे पर पिछले पांच सालों में 1646 हादसों में 636 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
साल 2018 में 29 अगस्त तक के मौजूद आंकड़ें बताते हैं कि 43 लोग इस एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसे के शिकार बने हैं.
बता दें कि ये एक्सप्रेसवे साल 2002 में मुंबई और पुणे के बीच शुरू हुआ था. इसे भारत का पहला एक्सप्रेसवे माना जाता है. इसकी लंबाई सिर्फ़ 94 किलोमीटर है. साल 2016 में इस सड़क पर ओवर स्पीडिंग पर नज़र रखने के लिए पुलिस ने ड्रोन से निगरानी करना शुरू किया था. उस वक़्त कहा गया था कि अब ये ड्रोन 24 घंटे मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे पर निगरानी रखेंगे. इन ड्रोन को 4 बेस स्टेशनों से इन्हे कंट्रोल किया जाएगा. लेकिन इस एक्सप्रेसवे पर सफ़र करने वालों की मानें तो अब ये ड्रोन कहीं नज़र नहीं आते.
जब से मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे बना है तब से लेकर 2019 तक टोल के ज़रिए 2869 करोड़ रूपये वसूल करने का लक्ष्य था, लेकिन यह लक्ष्य 2016 में ही पूरा हो गया. लोग इस उम्मीद में थे कि जब लक्ष्य पूरा हो गया है तो महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन टोल वसूलना बंद कर देगा, बावजूद इसके कॉर्पोरेशन द्वारा टोल वसूली जारी है. ये मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में गया, जहां सरकार ने कहा है कि वो 2030 तक टोल टैक्स की वसूली जारी रखेगी. बता दें कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे बनने से लेकर जून 2018 तक 5763 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है और इसमें टोल कंपनी को 1433 करोड़ रुपये का फ़ायदा हो चुका है.
साथ में यह भी बताते चलें कि अगर आप इस एक्सप्रेसवे पर सफ़र कर रहे हैं तो आगे की दोनों सीट के साथ-साथ पीछे की सीट पर बैठे लोगों को भी सीट बेल्ट पहनना जरुरी होगा. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो 200 रुपये का जुर्माना देना होगा. साथ ही आपके ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है. याद रखिए ये सीट बेल्ट आपकी सुरक्षा के लिए है. ऐसे में आप इस एक्सप्रेसवे पर सफ़र करते वक़्त सीट बेल्ट ज़रूर पहनें और स्पीड का ख़ास ख्याल रखें अन्यथा यही स्पीड आपकी उसी स्पीड से जान भी ले सकती है.