BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: रूक गए हैं साइकिल रिक्शे के पहिए, लाखों परिवार बदहाल
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > रूक गए हैं साइकिल रिक्शे के पहिए, लाखों परिवार बदहाल
IndiaYoung Indianबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

रूक गए हैं साइकिल रिक्शे के पहिए, लाखों परिवार बदहाल

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published January 12, 2019
Share
5 Min Read
dav
SHARE

Utkarsh Gaharwar for BeyondHeadlines

नोएडा: कभी आने-जाने का एकमात्र साधन माने जाने वाला सामान्य साइकिल रिक्शा अब लोगों की पसंद नहीं है. बढ़ते शहरीकरण और आधुनिकरण के इस बाज़ार में रिक्शे की जगह ऑटो, इ-रिक्शा जैसे आवागमन के साधनों ने ले ली है और ये हाथ रिक्शे मात्र मूक बनकर खड़े होते हैं.

नोएडा इलाक़े में रिक्शा चलाने वाले योगेंद्र बताते हैं, “जब से यह ई-रिक्शा आया है साहब, हमारी आर्थिक हालत पहले से ख़राब हो गई है. हमारी कमाई लगातार घटती जा रही है. प्रशासन भी साथ नहीं देता.

योगेन्द्र बताता है कि, मेरे पास इतना पैसा भी नहीं है कि मैं ई-रिक्शा खरीद सकूं. अब किसी तरह घर परिवार चलाना है, कर भी क्या सकते हैं. कोई दूसरा काम आता नहीं है. पता नहीं आगे मेरे परिवार का क्या होगा.”

गोपाल कुमार कहते हैं, “मैं तो 10 साल से रिक्शा चला रहा हूं. कोई ख़ास परिवर्तन तो नहीं आया है. पर हां! ये ई-रिक्शा वाले काफ़ी परेशान करते हैं. कम रेट में सवारी ले जाते हैं और हमारी हैसियत नहीं कि हम ई-रिक्शा खरीदें.”

सरकार को आडे़ हाथों लेते हुए गोपाल कहते हैं, “सरकार ई-रिक्शा तो दे रही है पर इतना महंगा है कि हम ख़रीद नहीं सकते.”

पश्चिम बंगाल के मालदा से आकर दिल्ली में रिक्शा चलाने वाले एनामुल इस्लाम बताते हैं कि उनका पूरा परिवार गांव में रहता है. उनके चार बच्चें हैं. इसके अलावा बूढ़े मां-बाप और अपनी पत्नी का खर्च का सारा बोझ इन्हीं के कंधों पर है. घर पर कमाने वाला अकेला मैं ही हूं. हां, वहां गांव में उनकी पत्नी लोगों के घरों में काम ज़रूर करती है.

एनामुल कहते हैं कि, दिल्ली में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि कुछ समझ में ही नहीं आता कि वो ख़ुद क्या खाए और घर वालों को क्या भेजे? ऊपर से ये धंधा भी धीरे-धीरे चौपट होता जा रहा है.

अपने मौजूदा हालातों का ज़िक्र करते हुए वह बताते हैं, ‘तीन-चार साल पहले तक मैं अपनी कमाई में से कुछ पैसा घर भेज देता था, इसी पैसे से वहां सबका गुज़र-बसर हो रहा था. लेकिन अब हमारी आमदनी पहले से भी कम हो गई है. इसका एकमात्र कारण बैटरी वाला रिक़्शा है.’

बदलते समय, बढ़ती आमदनी और नई तकनीक के कारण लोगों की सोच में भी भारी बदलाव देखने को मिला है. और इसका सीधा असर इन रिक्शे वालों पर पड़ा है. नोएडा के अधिकतर इलाक़ों में रिक्शा वाले झुंड में अपना वक़्त बिताते हुए मिल जाएंगे.

अब हमने इसका कारण जानने की कोशिश की. एमिटी में जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रहा एक छात्र पंकज बताता है, “साइकिल रिक्शा कहीं जाने में वक़्त ज़्यादा लेता है. ऐसे में अगर हम लेट हो रहे हैं और इन रिक्शों का चुनाव किया तो हम समय पर पहुंच नहीं पाएंगे.”

एक और छात्र से ये पूछने पर उनका जवाब था, “अब लोग रिक्शे चढ़ने को भी एक स्टैण्डर्ड से तुलना करते हैं और ई-रिक्शा, ऑटो या कैब ज़्यादा पसंद करते हैं. वो सोचते हैं कि ये रिक्शे उनकी सामाजिक हैसियत को कम करेंगे. वहीं बाक़ी साधन इतना प्रभाव उनकी हैसियत पर नहीं डालेंगे.”

एक तरफ रिक्शे वाले कुछ लोगों को इसका कारण भी मान रहे हैं और रिक्शा चलाना मजबूरी भी. वहीं लोग अब इसके इतने आदी हो गए हैं कि वो तरह-तरह के कारण गिनाकर रिक्शे में चढ़ना पसंद नहीं करते. इधर सरकार का भी कोई ऐसा इरादा नज़र नहीं आता जिससे साइकिल रिक्शा चालकों की सहूलियत का कोई रास्ता खुल सके. ऐसे में यह बड़ी मछली के छोटी मछली को निगलने का खेल सरीखा होता जा रहा है.

(लेखक अमिटी स्कूल ऑफ़ कम्यूनिकेशन में जर्नलिज़्म के छात्र हैं.)

TAGGED:Editor's PickRikshaw
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts
World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire
Waqf Facts Young Indian

You Might Also Like

I WitnessWorldYoung Indian

The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?

May 8, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Waqf Facts

India: ₹1,662 Crore Waqf Land Scam Exposed in Pune; ED, CBI Urged to Act

May 10, 2025
Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?