BeyondHeadlines News Desk
रायपुर: दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर व प्रख्यात समाजसेवी नंदिनी सुंदर, जेएनयू की प्रोफ़ेसर अर्चना प्रसाद सहित चार लोगों को 2016 की हत्या के मामले में क्लीन चिट दे दी गई है.
ये जानकारी छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को दी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने इनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने का दावा करते हुए मामले को वापस ले लिया है.
वहीं सुकमा में पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने भी मीडिया को दिए अपने बयान में बताया है कि जांच के बाद पुलिस को नंदिनी सुंदर और अन्य चार के ख़िलाफ़ तोंगपाल हत्याकांड में कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला है. ग्रामीणों के बयान लिए गए जिससे पता चलता है कि वे हत्या के समय मौजूद नहीं थे. इसलिए हमने उनके ख़िलाफ़ मामले वापस ले लिए हैं.
सोमवार को सुकमा की स्थानीय अदालत में दायर चार्जशीट में भी पुलिस ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जांच के दौरान नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, विनीत तिवारी और संजय परस्ते के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला है.
बता दें कि 4 नवम्बर 2016 को छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित सुकमा ज़िले के तोंगपाल थाना के ग्राम सोतनार नामपरा में एक आदिवासी ग्रामीण शामनाथ बघेल की हत्या के आरोप में प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद, दिल्ली के जोशी अधिकार संस्थान से विनीत तिवारी औैर छत्तीसगढ़ भाकपा के प्रदेश सचिव संजय पराटे के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ पुलिस ने बस्तर में उस समय के आईजी एस.आर.पी. कल्लुरी के इशारे पर प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले में उन पर तोंगपाल थाने में आईपीसी की धारा -120 बी, 302, 147, 148 और 149 के तहत मामले दर्ज किए गए थे.
इस मामले को लेकर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार की पूरे देश मे किरकिरी हुई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गिफ्तारी पर रोक लगा दिया था.