BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : भारत में गरीबी पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रही है.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत के 50 फ़ीसद आदिवासी, 33 फ़ीसद दलित और 33 फ़ीसद मुसलमान ग्लोबल सतह पर बहुआयामी ग़रीबी का सबसे ज़्यादा दंश झेल रहे हैं.
ये रिपोर्ट यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव ने तैयार की है. इन्होंने देश भर के 640 ज़िलों को कवर किया और 2005-06 और 2015-16 के बीच 10 साल की अवधि के आंकड़ों की तुलना की है. इस रिपोर्ट में बहुआयामी ग़रीबी से तात्पर्य व्यक्ति की धन-संपदा के साथ-साथ पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, साधन और जीवन स्तर शामिल है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ देश का तक़रीबन 50 फ़ीसद आदिवासी वर्ग गरीब है. वहीं 33 फ़ीसद दलित और 33 फ़ीसद मुसलमान भी इसी श्रेणी में शामिल है. कुल मिलाकर इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में अभी भी दुनिया में सबसे ज़्यादा बहुआयामी गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 364 मिलियन या देश की आबादी का लगभग 27 फ़ीसद है. इसमें से 34.5 फ़ीसदी बच्चे हैं. इसके अलावा इस रिपोर्ट के अनुसार देश की 8.6 फ़ीसद आबादी “गंभीर गरीबी” की हालत में है.