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मॉब लिंचिंग पर केन्द्र व राज्य सरकारों से सुप्रीम कोर्ट मांगा जवाब

BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली: देश में बढ़ रही भीड़ द्वारा हिंसा यानी मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

‘एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट’ नामक संगठन की ओर से एक अवमानना याचिका दायर की गई थी, जिसमें ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुकूल चंद्र प्रधान ने कहा है कि भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की घटनाएं बढ़ रही हैं. राज्य सरकारें इस समस्या से निबटने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा 17 जुलाई 2018 में दिए गए निर्देशों पर अमल के लिए कोई क़दम नहीं उठा रही हैं. पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने भी कारगर क़दम नहीं उठाए.

इसी याचिका को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.

बता दें कि 17 जुलाई, 2018 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मॉब लिंचिंग और गायों को लेकर हिंसा पर निर्देश दिए थे. साथ ही केंद्र समेत अन्य राज्यों को शीर्ष अदालत के निर्देशों को लागू करने को लेकर रिपोर्ट फाइल करने को भी कहा था. इस तीन सदस्यीय पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ए.एम. खनविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. बेंच ने कहा था कि ‘लोगों को इस संबंध में एहसास होना चाहिए कि भीड़ की हिंसा और कानून हाथ में लेने से आप कानून के प्रकोप को आमंत्रित कर रहे हैं.’

यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से निर्देश का पालन करने को लेकर जवाब दाख़िल करने को कहा था. इसमें केंद्र और अन्य राज्यों को मॉब लिंचिंग और गायों के नाम पर हिंसा को लेकर टीवी, रेडियो समेत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जागरूकता अभियान चलाना था.

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