BeyondHeadlines News Desk
ख़बर है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में छात्रों के चल रहे आन्दोलन को दबाने के लिए एएमयू प्रशासन यूनिवर्सिटी को अनिश्चित काल के लिए बंद करने की तैयारी में है. इसके संकेत खुद एएमयू कुलपति तारिक़ मंसूर ने छात्रों से अपनी आख़िरी अपील में दिए हैं.
तारिक़ मंसूर ने साफ़ तौर पर कहा है, यदि कुछ दिग्भ्रमित तत्वों द्वारा परीक्षाओं तथा कक्षाओं के आयोजन में अवरोध उत्पन्न किया जाएगा तो यूनिवर्सिटी को खुला रखने व 23 हज़ार छात्रों को यूनिवर्सिटी में बेकार बैठाए रखने का कोई औचित्य नहीं.
इसी सिलसिले में बुधवार को डीएम चंद्रभूषण सिंह व एसएसपी आकाश कुलहरि ने भी कुलपति प्रो. तारिक़ मंसूर से मुलाक़ात की. वहीं कुलपति ने भी हालात को लेकर डीन व चेयरमैन संग बैठक की. वहीं डीजीपी खुद कुलपति से बात कर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं. एक ख़बर के मुताबिक़ डीजीपी ने दो बार कुलपति से बात की. एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में सीएम योगी भी सख़्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं.
इन बैठकों व बयानबाज़ियों के बाद क़यास लगाया जा रहा है कि एएमयू प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का निर्णय ले चुकी है. और एएमयू प्रशासन ये निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिस के दबाव में ले रही है.
आरोप है कि एएमयू प्रशासन छात्रों के दमन के लिए पुलिस की मदद लेना चाह रही है ताकि छात्रों को अपना आन्दोलन बंद करने के लिए बाध्य किया जा सके.
कुछ लोगों का ये भी आरोप है कि पुलिस ने ही एएमयू प्रशासन पर ये दबाव बनाया है कि अगर यूनिवर्सिटी में छात्र क्लास नहीं कर रहे हैं या परीक्षा नहीं दे रहे हैं तो फिर इस यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करके बलपूर्वक हॉस्टल व कैम्पस खाली करा लिया जाए.
इस पूरे मामले में एएमयू शिक्षकों का रोल भी सही नज़र नहीं आ रहा है. वो मीटिंगों में वाइस चांसलर से कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. यहां तक कि ये शिक्षक एएमयू में लगातार चल रहे पुलिस के दमनात्मक कार्रवाई की निंदा करने का साहस भी नहीं जुटा पा रहे हैं. वहीं छात्रों को इस बात से भी दुख है कि एएमयू प्रशासन व यूपी पुलिस के बीच सांठ-गांठ के मामले में एएमयू अलुमनाई भी ख़ामोश ही नज़र आ रहे हैं. इस मामले को लेकर उनकी जो प्रतिक्रिया होनी चाहिए वो दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा है. जबकि एएमयू प्रशासन व यूपी पुलिस के बीच सांठ-गांठ पर तीव्र प्रहार की आवश्यकता है. इस ओर पूरी दुनिया का ध्यान आकृष्ठ कराने की ज़रूरत है.
हालांकि कुछ शिक्षक व अलुमनाई लगातार सोशल मीडिया के ज़रिए एएमयू छात्रों से परीक्षा देने की अपील लगातार करते नज़र आ रहे हैं. उनका मानना है कि ये बहुत ज़रूरी है कि छात्र परीक्षा में भी बैठें.
भूतपूर्व छात्र व पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अब्दुल हफ़ीज़ गांधी ने भी अपील की है कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी के ख़िलाफ़ संघर्ष तो तब तक जारी रहेगा जब तक कि इन संविधान-विरोधी क़दमों को वापस नहीं ले लिया जाता. लेकिन एएमयू और जामिया के छात्रों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया सुबह क्लास अटेंड करें और परीक्षा दें और दोपहर या शाम को लोकतांत्रिक तरीक़े से विरोध प्रदर्शनों/बैठकों का आयोजन जारी रखें. इससे भारी शैक्षणिक नुक़सान से बचा जा सकेगा. हम अपने बड़ों के रूप में एक बेहतर भविष्य के लिए लड़ते रहना चाहते हैं.
बता दें कि एएमयू में छात्र 15 दिसंबर के पुलिसिया हिंसा के बाद से ही छात्र नागरिकता संशोधन क़ानून की विरोध के साथ-साथ कैम्पस में पुलिस को प्रवेश की अनुमति देने पर कुलपति व रजिस्ट्रार के इस्तीफ़े की भी मांग कर रहे हैं. इन छात्रों ने मांग पूरी न होने तक प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.
