नई दिल्ली: राजनीति और पैसा एक-दूसर के पर्याय बन चुके हैं. यह बात किसी से छिपा नहीं है कि पार्टियां जमकर चंदा उगाहती हैं. और फिर चुनावी फ़ायदे के लिए इसे दोनों हाथों लुटाती हैं. सच तो यह है कि हमारे देश में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं, सभी को अपनी राजनीति का कारोबार चलाने के लिए पैसा चाहिए. और पैसा भी खूब चाहिए.
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि सियासत का कारोबार चलाने वाली इन पार्टियों को चंदा देने वाले दानी कौन हैं. और सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों को जो कंपनियां चंदे में बड़ी-बड़ी रक़म देती हैं, वो क्या बस यूं ही दान होता है. या फिर इसके पीछे कोई और मक़सद या लालच काम कर रहा होता है. हालांकि यह जानना तो मुश्किल है कि चंदा देने वाले संगठनों या कारोबारी समूहों ने बदले में उन सियासी दलों से क्या फ़ायदा हासिल किया? मगर ये तो आसानी से समझा ही जा सकता है कि इन कंपनियों पर सियासी पार्टियां किस प्रकार मेहरबान रहती हैं.
सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की पसंदीदा पार्टी कौन?
सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की पसंदीदा पार्टी बीजेपी रही है और ये कंपनी बीजेपी को ऑन-रिकार्ड 6.05 करोड़ रूपये चंदे में दे चुकी है.
बीजेपी की तरफ़ से चुनाव आयोग को दिए गए चंदे की सूची के मुताबिक़ 2014 लोकसभा चुनाव के पहले साल 2013-14 में सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने 1.55 करोड़ का चंदा पार्टी फंड में दिया था. ये रक़म इस कंपनी ने तीन चेकों के ज़रिए दी थी.
वहीं बीजेपी के सत्ता में आते ही इस कंपनी ने फिर से साल 2014-15 में 2.5 करोड़ का चंदा बीजेपी की झोली में डाल दिया. इस कंपनी की बीजेपी से ‘मुहब्बत’ अगले साल भी बख़ूबी नज़र आती है. साल 2016-17 में सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने बीजेपी को 2 करोड़ का चंदा दिया.
Financial Year | Company Name | Amount | Cheque No. And Bank |
2013-14 | Serum Institute of India Ltd. | 60 Lacs | 196633, Axis Bank, Pune |
2013-14 | Serum Institute of India Ltd. | 55 Lacs | 196635, Axis Bank, Pune |
2013-14 | Serum Institute of India Ltd. | 40 Lacs | 196636, Axis Bank, Pune |
2014-15 | Serum Institute of India Ltd. | 2.5 Crores | 117297, Axis Bank, Pune |
2016-17 | Serum Institute of India Ltd. | 2 Crores | RTGS |
सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की जो ‘ मुहब्बत’ बीजेपी के लिए है, क्या वो दूसरे सियासी पार्टियों के लिए भी है?
इस सवाल का जवाब पता करने के लिए अन्य राष्ट्रीय पार्टियों की तरफ़ से चुनाव आयोग को दी गई चंदों की सूची की भी छानबीन की. लेकिन इस कंपनी की इन पार्टियों के साथ ‘मुहब्बत’ दूर-दूर तक नज़र नहीं आई.
ग़ौरतलब रहे कि रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ पीपुल्स एक्ट (1951) में वर्ष 2003 में एक संशोधन के तहत यह नियम बनाया गया है कि सभी राजनीतिक दलों को धारा 29 (सी) की उपधारा-1 के तहत फ़ॉर्म 24(ए) के माध्यम से चुनाव आयोग को यह जानकारी देनी होगी कि उन्हें हर वित्तीय साल के दौरान किन-किन व्यक्तियों और संस्थानों से कुल कितना चंदा मिला. हालांकि राजनीतिक दलों को इस नियम के तहत सिर्फ़ 20 हज़ार से ऊपर के चंदों की ही जानकारी देनी होती है. ये तमाम जानकारियां चुनाव आयोग की वेबसाईट पर मौजूद है.
सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को कोविड-19 के टीके के लिए मानव परीक्षण को मंज़ूरी
भारत के ड्रग कंट्रोलर जेनरल ने सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश स्वीडिश दवा कंपनी अस्ट्रा ज़ेनिका के ज़रिए विकसित कोविड-19 के टीके के देश में दूसरे व तीसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए मंज़ूरी दे दी है. अब सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल से पहले सुरक्षा संबंधी वो ‘डेटा सेन्ट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाईज़ेशन’ के पास जमा करना होगा, जिसका मूल्यांकन डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड ने किया हो.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का ये प्रोजेक्ट कामयाब होने पर सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया वैक्सिन की 100 करोड़ डोज़ तैयार करेगी. कहा जा रहा है कि इनमें 50 फ़ीसद हिस्सा भारत के लिए होगा. बाक़ी 50 फ़ीसद ग़रीब और औसत आमदनी वाले देशों को भेजा जाएगा.
बता दें कि सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया विश्व स्तर पर तैयार करने और बेचे जाने वाले डोज़ की संख्या के लिहाज़ से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सिन बनाने वाली कंपनी है.
हालांकि एक ख़बर के मुताबिक़ भारत में भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘COVAXIN’ और फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) भी अपनी वैक्सीन ZyCoV-D के ट्रायल में जुटी हुई है.