फसीह महमूद के मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ :  आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने लाटूश रोड स्थित कार्यालय में विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर फसीह महमूद की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए इस पर विशेष जांच दल गठित करने की मांग की है. रिहाई मंच ने जारी बयान में कहा है कि फसीह महमूद प्रकरण ने भारतीय खुफिया एजेंसियों की आतंकवादी और सांप्रदायिक कार्यप्रणाली उजागर की है जो भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. क्योंकि इस मसले पर खुफिया तंत्र ने सिर्फ देश की जनता को ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक को गुमराह किया.

रिहाई मंच 24 अक्टूबर से 24 नवम्बर तक केंद्र-राज्य और खुफिया एजेंसियों द्वारा आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों के दमन के खिलाफ एक महीने का दमन विरोधी अभियान चलाते हुए 24 नवम्बर को लखनऊ विधान सभा के सामने ‘वादा निभाओ रैली’ करेगा.

बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में रिहाई मंच ने कहा कि फसीह महमूद मामले में उनकी पत्नी द्वारा 24 मई को किए गए हैबियस कार्पस पर सुप्रिम कोर्ट में 11 जुलाई को सरकार ने कहा था कि सउदी ने उन्हें 26 जून को बताया है कि फसीह महमूद उनकी हिरासत में हैं और साथ ही यह भी कहा कि फसीह मामले में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है. ऐसे में आज अगर फसीह महमूद को सउदी से लाने के बाद यह कहा जा रहा है कि सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है, तो फिर कोर्ट में सरकार द्वारा रखा गया पक्ष झूठा और गैरजिम्मेदाराना साबित होता है.

बैठक में फसीह मामले पर सरकार द्वारा कोर्ट को गुमराह करने के इस तथ्य पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने और दोषी सरकारी पक्ष के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की गई.

रिहाई मंच ने फसीह मामले पर सरकार और खुफिया एजेंसियों के झूठ को बेनकाब करने के लिए जगह-जगह अभियान चलाने का निर्णय लेते हुए कहा कि सरकार इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर जिस तरह मुस्लिम युवकों को जगह-जगह से उठा रही है, यहां तक कि कतील सिद्दीकी जैसों को जेलों में हत्या करवा रही है उससे सरकार की मंशा साफ होती है कि वो अपने झूठ को छिपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

रिहाई मंच ने देश में हो रही कथित आंतकी घटनाओं में खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई मीडिया रिपोर्टों और मानवाधिकार संगठनों की जांच रपटों में यह पाया गया है कि इन घटनाओं के पीछे खुफिया एजेंसियों की भूमिका संदिग्ध है, यहां तक की इंडियन मुजाहिदीन के अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगा है, कि यह खुफिया एजेंसियों द्वारा संचालित कागजी संगठन है.

ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि सरकार अगर आतंकवाद का खात्मा करना चाहती है तो इंडियन मुजाहिदीन पर श्वेत पत्र लाए और देश में हुई आतंकी घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज के अधीन आयोग गठित कर जांच कराए.

बैठक में एडवोकेट मोहम्मद शुऐब, जैद फारुकी, अनुज शुक्ला, आफाक, अंकित चैधरी, इशहाक, शाहनवाज आलम, राजीव यादव इत्यादि मौजूद थे.

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