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BeyondHeadlines > Latest News > राजीव की दो साल बेटी का क्या होगा, जिसे पता ही नहीं कि उसके घर में क्या हुआ है?
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राजीव की दो साल बेटी का क्या होगा, जिसे पता ही नहीं कि उसके घर में क्या हुआ है?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published January 18, 2013
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6 Min Read
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Maaz Khan for BeyondHeadlines

कृष्णाब्रह्मा (बक्सर) : अमथुआ गांव के युवा कामगार की क़तर की राजधानी दोहा में एक इमारत से गिरकर मौत हो गयी. वहां गांव का रामजी यादव शंटरिंग मजदूर के रूप में दो माह पूर्व काम करने गया था और एक निर्माणाधीन ऊंची इमारत में काम करने के दौरान हादसा हुआ.  घटना दस जनवरी की है, लेकिन घर वालों को क़तर की कंपनी के माध्यम से सूचना दो दिनों बाद दी गयी. अब घर वालों को उसके शव के भारत आने का इंतजार है.

इस घटना की सूचना कंपनी के प्रबंधक डेनियल दादा द्वारा 12 जनवरी को दिनेश यादव के मोबाईल पर मैसेज के माध्यम से दी गयी. इसके बाद घर में कोहराम मच गया. परिवार की माली हालत बेहद खराब है. गाँव वालों से मिली जानकारी के अनुसार  राम जी यादव शुभाष यादव का एक लौता पुत्र था जो दो माह पूर्व ही एक लाख तीस हज़ार (ब्याज सहित ) का क़र्ज़ लेकर क़तर (दोहा ) गया था. क़तर की एक निजि  कंस्ट्रक्शन कंपनी (आइटीबीसी कंपनी) में राज मिस्त्री के लिए गया था. वहीं 10 जनवरी को एक बीस मंजिला  इमारत का शटरिंग खोल रहा था. इसी दौरान वह इमारत से गिर पड़ा और बुरी तरह से जख्मी हो गया.

कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया. जहां, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मृत राजीव यादव की माँ का रोते रोते बुरा हाल है और उसने अपने बेटे राजीव यादव के बारे में बिलखते हुए बताती है कि उनके बेटे ने दो दिनों पहले ही उनसे कहा था कि उसे बहुत जल्दी तनखाह मिलने वाली है जिसे वह तुरंत भेज देगा. मगर क्या पता था कि तनखाह मिलने से पहले ही बेटा माँ से जुदा हो जायेगा.

जहाँ बिहार के मुखिया नितीश कुमार ये दावा करते नहीं थकते हैं कि अब बिहार से पलायन पूरी तरह से रुक चूका है वहीं इस गाँव से करीब सौ से अधिक युवक नौकरी की तलाश में अरब देशों की ख़ाक छान रहे हैं. हादसे से अमथुआ गांव में शोक की लहर है.

बताते चलें कि इस गांव के सौ से ज़्यादा युवक अरब देशों में काम करने गये हुए हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उस मृत राजीव यादव की पार्थिव शरीर भारत आ सकेगा क्यूंकि मिल रही सूचना के अनुसार राजीव जिस कंपनी में काम कर रहा था वह कंपनी ही अनाधिकृत रूप से चलायी जा रही है और उस कंपनी का कोई पंजीकरण भी नहीं हुआ है.

राजीव जिस एजेंट के मार्फ़त गया था उस एजेंट ने तो पहले उस  कंपनी का नाम और पता बताने से साफ मना  करता रहा मगर प्रशासन की तरफ से दबाव बनाने पर एजेंट ने उस कंपनी का नाम जो बताया उस नाम की कोई कंपनी क़तर में नहीं है.

आज घटना के एक हफ्ते से अधिक हो जाने के बाद भी मृत की पार्थिव शरीर के गाँव आने की कोई सम्भावना नहीं दिखाई दे रही है. कृष्णा ब्रहम थाना के अधिकारी ये कह रहे हैं कि ये मामला उनके बस से बाहर  का है.

राजीव की मौत ने उसके परिवार को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है, क्योंकि राजीव ढेर सारे  सपने लेकर क़तर गया था. राजीव के मौत के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये है कि उसके परिवार वालों का पुनर्स्थापन, राजीव की दो साल बेटी का क्या होगा, जिसे पता  ही नहीं कि उसके घर में क्या हुआ है. वो अपनी नन्ही बेज़बान आँखों से ये समझने की बहुत कोशिश  करती है कि आखिर उसकी माँ और दादी इतनी क्यूँ बिलक रहीं हैं.

वहीं राजीव के पिता सुभाष यादव इकलौते बेटे के मौत के गम में बेसुध हो गये हैं. रोते हुए कहते हैं कि अब हमारा इस दुनिया में कोई सहारा नहीं रहा है.

अब समाज में रह रहे लोगों की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि उस परिवार की बढ़ चढ़  कर मदद करें. आज इस परिवार को हमारी ज़रूरत है. आज इस परिवार को सान्तवना से अधिक आर्थिक मदद  की ज़रूरत  है. इस आवश्यकता को पूरा करना हमारा कर्तब्य है.

कंपनी के सही न होने की स्थिति में सवाल पैदा होता है कि क्या मृत राजीव के परिजनों को कंपनी कोई आर्थिक सहयोग देगी भी कि नहीं. क्योंकि अभी पिछले दिनों ही अरियाओं निवासी  रविशंकर सिंह की मौत 17 दिसम्बर 08 में काम करने के दौरान गिरने से हो गयी थी. जिसकी बेवा को दुबई की  अलनबुदाह कंस्ट्रक्सन कंपनी (एलएलसी) नें  11 लाख रुपये का चेक दिया है. राजीव के परिवार को भी भारत सर्कार से ढेर साडी उम्मीदें हैं और वह विदेश मंत्रालय से मांग करते हैं कि मंत्रालय राजीव के पार्थिव शरीर को भारत लेन में परिवार वालों की मदद करे.

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