Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी देश के लोगों का स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाने की है. इसके लिए यदि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हेल्थ मैग्जीन या हैल्थ जर्नल्स पढ़ें तो समझ में आता है लेकिन हमारे देश के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तो अश्लील व फिल्मी मैग्जीन पढ़कर टाइम पास कर रहे हैं.
यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं. BeyondHeadlines द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में दाखिल की गई आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि मंत्रालय में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के I.E.C. सेक्शन के बड़े बाबू अपना दिन वुमेन्स इरा, फिल्म फेयर, स्टार डस्ट, फेमिना, सीने-ब्लीट्ज और बेटर फोटोग्राफी जैसी पत्रिकाएं पढ़ कर काटते हैं.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) से प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के I.E.C. सेक्शन में सीनियर अधिकारियों के लिए हर दिन 28 समाचार पत्र आते हैं. इसके अलावा 37 पत्रिकाएं भी सीनियर अधिकारियों के लिए इस विभाग में मंगाए जाते हैं और इन पत्र-पत्रिकाओं को मंगाए जाने पर पिछले पांच साल में अब तक 20 लाख 11 हज़ार रूपये खर्च किए जा चुके हैं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से पत्रिकाओं की जो सूची सामने आयी है वह भी बड़ी उटपंटाग है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का काम है देश के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है. लेकिन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिकाओं की बजाय फिल्म, महिलाओं और तकनीकि से जुड़ी पत्रिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से जो सूची हासिल की गयी है उसमें एक्सेल, डिजिट, बेटर फोटोग्राफी, टॉप गेयर जैसी तकनीकी पत्रिकाओं को नियमित मंगाया जाता है.
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाली मुंबई की संस्था प्रतिभा जननी सेवा संस्थान के नेशनल कोऑर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह का कहना हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाला कोई भी विभाग सरकारी पैसे से सिनेमा व ग्लैमर से जुड़ी हुई पत्र-पत्रिकाओं को मंगाता है तो यह उस विभाग के अधिकारियों की मानसिक स्थिति का प्रतिबिंब है. इसका सामाजिक अर्थ यह निकलता है कि उन्हें देश के स्वास्थ्य से कहीं ज्यादा अपने मनोरंजन की चिंता है. इससे यह भी प्रतीत हो रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी सामाजिक रूप से बीमार हो चुके हैं. इनके भरोसे देश को स्वस्थ रखने का सपना देखना, खुद को मूर्ख बनाने के सिवाय और कुछ नहीं है.
ऐसे में यह अब यह सवाल उठता है कि जब हमारा देश चारों तरफ से दुश्मनों से घिरता जा रहा हैं, हम अपने राष्ट्र के स्वास्थ्य को नहीं बचा पायेंगे तो दुश्मनों से दो-दो हाथ कैसे करेंगे? और वैसे भी अधिकारी स्वास्थ्य से जुड़े मसलों का अध्ययन न कर, दूसरे विषयों पर सरकारी पैसे को खर्च कर रहे हैं तो इसे जनता की कमाई का दुरुपयोग करना ही कहा जायेगा.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के I.E.C. सेक्शन में आने वाले पत्रिकाओं की सूची…
1. इंडिया टूडे (अंग्रेज़ी), 2. टाईम (अंग्रेज़ी), 3. आउटलूक (अंग्रेज़ी), 4. इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिक्स विकली (अंग्रेज़ी), 5. द वीक (अंग्रेज़ी), 6. इकोनॉमिस्ट (अंग्रेज़ी), 7. न्यूज़ वीक (अंग्रेज़ी), 8. फ्रंटलाईन (अंग्रेज़ी), 9. वूमेन्स इरा (अंग्रेज़ी), 10. हेल्थ (अंग्रेज़ी), 11. डिजीट (अंग्रेज़ी), 12. बेटर फोटोग्राफी (अंग्रेज़ी), 13. स्वामी वीक्स (अंग्रेज़ी), 14. रीडर्स डाइजेस्ट (अंग्रेज़ी), 15. एक्सेल (अंग्रेज़ी), 16. फिल्मफेयर (अंग्रेज़ी), 17. सीने-ब्लीट्ज (अंग्रेज़ी), 18. स्टार डस्ट (अंग्रेज़ी), 19. बाबाजी (अंग्रेज़ी), 20. आनंद निकेतन (अंग्रेज़ी), 21. फेमिना (अंग्रेज़ी), 22. नेशनल ज्यूग्राफिक मैग (अंग्रेज़ी), 23. टॉप गेयर (अंग्रेज़ी), 24. गृहशोभा (हिन्दी), 25. सरिता (हिन्दी), 26. वनिता (हिन्दी), 27. कुमदुम, 28. कालकी, 29. रंगुमन (तमिल), 30. थगलक, 31. नक्कीरन, 32. जूनियर विकेतन, 33. अव्वल विकेतन, 34. योजना (हिन्दी), 35. गुड हाउसकीपींग (इंडिया), 36. टाइमआउट देहली, 37. फॉर्ब्स (इंडिया).
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के I.E.C. सेक्शन में आने वाले समाचार पत्रों की सूची..
1. हिन्दुस्तान टाइम्स, 2. इंडियन एक्सप्रेस, 3. द हिन्दू, 4. टाईम्स ऑफ इंडिया, 5. एशियन एज, 6. पायनियर, 7. इकोनॉमिक्स टाइम्स, 8. बिज़नेस स्टैण्डर्ड, 9. द ट्रिब्यून, 10. डेक्कन हेराल्ड, 11. डेली एक्सेलसर, 12. नवभारत टाइम्स (हिन्दी), 13. दैनिक जागरण (हिन्दी), 14. कश्मीर टाइम्स, 15. स्टेट्समैन, 16. फाइनेंसियल एक्सप्रेस, 17. दिनाथनथी, 18. दिनामनी, 19. दिनामालार, 20. दिनाकरन, 21. जागरण, 22.पंजाब केसरी (हिन्दी), 23. राष्ट्रीय सहारा (हिन्दी), 24. दैनिक भास्कर (हिन्दी), 25. रोज़गार समाचार, 26. अजीत, 27. हिन्दुस्तान (हिन्दी), 28. डेली न्यूज़ एंड अनालीसिस.
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