तारिक़ के परिजनों ने लगाया आरोप, झूठ बोल रहे हैं अबू आसिम आज़मी

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी, निमेष कमीशन की रिपोर्ट और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई को लेकर रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने के 11वें दिन आज खालिद के चचा ज़हीर आलम फलाही और तारिक के परिजनों ने अबू आसिम आज़मी और कुछ कथित उलेमाओं पर गलत बयानबाजी कर खालिद के हत्यारों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

तारिक़ कासमी के चचा हाफिज फैयाज ने कहा कि अबू आसिम आज़मी ने उनसे जब तारिक़ से जेल में मिलने के लिए चलने के लिए कहा तो हम लोगों ने मना कर दिया, जिसके बाद अबू आसिम ने तारिक के ससुर मोहम्मद असलम से संपर्क साधा लेकिन उनके मना कर देने के बाद रात डे़ढ़ बजे गाड़ी भेजकर ज़बरदस्ती मेरे भाई मुमताज को ले गए.

तारिक़ के चचा ने अबू आसिम पर सपा के लिए मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि खालिद की हत्या पर अगर सरकार सचमुच ईमानदार है तो अबू आसिम जैसे लोगों से गलत बयानी करवाने के बजाय खालिद की हत्या की सीबीआई जांच कराए और निमेष कमीशन की रिपोर्ट तत्काल जारी करे. जिससे मेरे बेटे तारिक की रिहाई हो सके. धरनें में तारिक़ के ससुर मोहम्मद असलम और खालिद के चचेरे भाई शाहिद भी मौजूद थे.

Abu Asim Azmi is speaking lie- family members of Tariq Quasmi

धरने को संबोधित करते हुए दिल्ली से आए ऑल इंडिया मुस्लिम मशावरत के अध्यक्ष और मिल्ली गज़ट के संपादक जफ़र उल इस्लाम खान ने कहा कि आज जिस तरह से आंतकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई का सवाल पूरे देश में उठ रहा है और सरकारें कोई जवाब नहीं दे पा रहीं हैं. इससे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र शर्मशार हो रहा है.

अगर सपा सरकार के एजेंडे में आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों की रिहाई का सवाल था तो आज रिहाई मंच द्वारा ग्यारह दिन के अनिश्चित कालीन धरने की ग्यारह सूत्री मांगों पर अब तक उसने कोई जवाब क्यों नहीं दिया. किसी भी जांच आयोग का गठन जनता के पैसे से होता है और जनता को उस रिपोर्ट को जानने का अधिकार है लेकिन सरकार आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट को छिपाकर सिर्फ दोषी पुलिस अधिकारियों को ही नहीं बचा रही है, बल्कि जनता को उसके लोकतांत्रिक अधिकारों से भी वंचित कर रही है.

वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तसलीम रहमानी ने कहा कि लोकतंत्र में जिस तरह आईबी ने एक एजेण्डे के तहत मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के नाम पर फंसाने की एक नीति बना ली है और सरकार आज उसी आईबी को बचाने के लिए किस तरह काम कर रही है. वो खालिद की हत्या में साफ दिख रहा है. इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि आईबी के अधिकारियों को बचाने के लिए कभी सूबे के मुख्यमंत्री तो कभी कुछ कथित उलेमा तो कभी किसी अबू आसिम आज़मी जैसे मुस्लिम नेताओं से खालिद की हत्या का कारण बीमारी बताया जा रहा है.

धरने में सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले जिसमें सीआरपीएफ के जवानों ने शराब पीकर आपस में गोली बारी कर ली थी उस घटना में फंसाए गए मुरादाबाद के जंगबहादुर के बेटे शेर खान, रामपुर के शरीफ के भाई शाहीन और कुंडा प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई ने कहा कि सरकार के प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने नवंबर में कहा था कि रामपुर का केस वापस होगा पर अब तक केस वापस करने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया. हम पिछले पांच साल से ज्यादा समय से रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं पर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

आज़मगढ़ के मोहम्मद हबीब जो अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद हैं, के भाई अबू आमिर ने कहा कि पिछले दिनों साबरमती जेल में सुरंग खुदने के प्रकरण में मेरे भाई समेत पचासों लड़ाकों जिसमें आज़मगढ़ के 7 लड़कों को पिछले चार महीने से अंडा सेल में रखा गया है. जिस सुरंग का कोई ओर-छोर नहीं निकला. कभी कहा गया कि 20 मीटर तो कभी 220 मीटर तो कभी पेन, प्लेट तो कभी चम्मच ऐसी झूठी घटना के नाम पर हमारे बच्चे फंसाए गए हैं पर यूपी सरकार जिसने चुनाव में प्रदेश के लड़के जो अन्य प्रदेशों की जेलों में बंद हैं को रिहाई दिलाने के लिए हर संभव सहायता देने का वादा किया था. इतनी बड़ी घटना में अब तक कुछ नहीं बोला.

धरने का संचालन रिहाई मंच के आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी और लक्षमण प्रसाद ने किया. धरने को रिहाई मंच के इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुएब, आज़मगढ़ रिहाई मंच के आरिफ नसीम, तारिक़ शफीक़, सादिक अली, सोशलिस्ट फ्रंट में मोहम्मद आफाक, अबूज़र, अबूजैद, एपवा की ताहिरा हसन, अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन, वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, एडवोकेट असद हयात, आईपीएफ राजेश सचान, दिनकर कपूर, जसम  के भगवान स्वरुप कटियार, आदियोग, इसहाक, प्रगतिशील लेखक संघ किरन सिंह, स्मार्ट पाटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी मोहम्मद फहीम सिद्दीकी, शहजादे मंसूर, इलाहाबाद से जावेद मो., नसीम, रजनी रावत, डा. लाल देवेन्द्र सिंह चौहान, मडि़याहूं से आए महफूजुर्रहमान, मो. जुनैद, मो. इस्माइल, सलीम राइनी, कारी जुबैर अहमाद जौनपुरी, मौलाना कमर सीतापुरी, शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.

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