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भाजपा के अंत की शुरुआत…

Ritu Choudhary for BeyondHeadlines

आज गोवा में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने प्रत्यक्ष रूप से यह घोषणा कर दिया कि 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान कमिटी के अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी होंगे.

एनडीए के अध्यक्ष शरद यादव ने इस बात पर यह कहकर पीछा छुड़ा लिया  कि यह उस पार्टी का अपना आपसी मसला है जिसका एनडीए से कोई ताल्लुक नहीं है. यानी अगर देखा जाए यह एक प्रकार से उनका सहयोग ही माना जाना चाहिए!

दरअसल, यह भाजपा अथवा राजनाथ सिंह का नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव में पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करने का एक टेलर मात्र है.

अब भारत के सभी प्रगतिशील पार्टियों और लोगों को सोचने के लिए इस बात ने मजबूर कर दिया है कि अब  इस पार्टी का भारत को सैकड़ों हज़ारों साल पहले के जंगली और सामंती युग में धकेलने का एक प्रयास और षड़यंत्र है.

भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी तथा मार्क्सवादी पार्टी सुविधाभोगी राजनीती के चक्कर में पड़ कर पहले ही समाप्त हो चुकी है. इस देश के क्रन्तिकारी समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया को सिर्फ अगरबत्ती दिखाने वाले मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी पूर्णतया सामंती संगठन बन चुकी है. मायावती ने बहुजन समाजवादी पार्टी को अपनी जेबी पार्टी बना कर उत्तर प्रदेश के अलावा किसी और प्रान्त में पनपने न देने का कार्यक्रम चला रखा है. इसी तरह से कट्टर हिन्दू राष्ट्रवाद तथा साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ने वाले लगभग सभी तत्व ठन्डे पड़े हुए हैं. ऐसे में भाजपा का यह क़दम न केवल भारत के लिए बल्कि सारी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय ज़रूर है.

अगर मेरी माने तो दरअसल यह भाजपा के अंत की शुरुआत है. क्योंकि जब यह पार्टी नरेन्द्र मोदी जैसों के साथ भारतीय जनता में अपने प्रचार के लिए उतरेगी तो लोग उनसे यह सवाल अवश्य करेंगे कि 1948 में जिन लोगों ने महात्मा गाँधी की निर्मम हत्या की थी और पिछले दिनों नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में गुजरात में मुसलमानों का जो नरसंहार हुआ और अहमदाबाद में जिस तरह से सांसद एहसान ज़ाफरी की सरेआम जला दिया गया था. इन सबका जिम्मेदार मोदी और उसकी भाजपा के अलावा कौन है? ऐसे में सभी प्रगतिशील विचारधारा रखने वालों को कट्टर राष्ट्रवाद के विरोध में लड़ने के लिए एकजुट होना पड़ेगा.

दिल्ली गैंग रेप केस के विरोध में उठा इंडिया गेट पर युवाओं का अभूतपूर्व आन्दोलन ने देश के साथ-साथ दुनिया की आँखों को खोल के रख दी थी कि बिना राजनतिक पार्टी और बिना नेता भी जागरूक लोग सरकारों को झकझोर कर रख सकते हैं. भविष्य में भाजपा के उपरोक्त जनता विरोधी निर्णयों के खिलाफ जन आन्दोलनों को उठाना पड़ेगा और क्रन्तिकारी क़दमो द्वारा  रोकना होगा.

सच पूछे तो यह मोदी नाम का पटाखा कोई लम्बा चलने वाला नहीं है.  यह तो किसी वक़्त भी ट़ाय टाय फ़ूस्स होकर भाजपा को भी ले डूबेगा. वैसे भी देश की जनता अब पहले जितनी बेवकूफ नहीं रह गई है. कम से कम इतनी समझदार तो ज़रूर हो गई है कि उसे पता है कि कौन लंबी लंबी फेंक रहा है. फिलहाल हम सबको नीतीश के अगले क़दम का इंतज़ार करना चाहिए.

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