मोदी, वरूण और अब अमित शाह! क्या होगा उत्तर प्रदेश का?

Beyond Headlines
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Abhishek Upadhyay for BeyondHeadlines

नरेंद्र मोदी, वरूण गांधी और अब अमित शाह!!! क्या होगा उत्तर प्रदेश का? ये त्रिमूर्ति क्या करने जा रही है? यूपी को किस हद तक पोलराइज (विभाजित) कर देंगी ये महान आत्माएं !!! सत्ता के लिए कुछ भी कर गुज़रने वाली अतृप्त चेतनाएं!!!

शायद इतनी बुरी तरह पोलराइज हो जाएगा यूपी कि अपने पड़ोस में हमें अपना दुश्मन नज़र आने लगेगा! कि हम इस क़दर डरा दिए जाएंगे कि डर से कांपते हुए उनके दिए निशान पर उस अपने मत की मोहर मारने पर मजबूर हो जाएंगे! या यूं कह लें कि मजबूर कर दिए जाएंगे! और डरेंगे भी किससे?

कल तक जिनके साथ होली, दिवाली और ईद, मोहर्रम का रिश्ता रखते थे, उनसे! ऐसा डराए जाएंगे कि शक की खोल के सबसे भीतरी तहखाने तक घुसकर शक करने की आदत पड़ जाएगी हमें… और फिर यहीं से जादू काम करना शुरू करेगा- वरुण गांधी, नरेंद्र मोदी और अमित शाह का…narendra modi, varun gandhi and now amit shah

हमें संगठित होना होगा… पड़ोस में रह रहे दुश्मन को सबक सिखाने के लिए… हमें हमारे नए दुश्मनों की पहचान कराने वाले इन महापुरूषों को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने के लिए… हमें संगठित होना ही होगा… यही है पूरी की पूरी रणनीति मोदी ब्रिगेडकी… कि यूपी की हवाएं और पानी ही नहीं, यहां की धूल तक को पोलराइज करने की कोशिश की जाएगी… इस हद तक होगा पोलराइजेशन !!!

मैं किसी वामपंथ में यकीन नहीं रखता हूं कि आंख मूंदकर एकतरफा हल्ला बोलना शुरू कर दूं और दूसरे पहलू को देखने से पहले ही आंखों में रतौंधी घिर आए. सिर्फ मोदी ही क्यों? मुसलमान वोटों की खातिर मौलाना बन गए मुलायम सिंह यादव भी अरसे से इस प्रदेश में यही खेल खेल रहे हैं.

कल्याण सिंह के हिंदू तुष्टीकरण का जवाब है मुलायम का मुस्लिम तुष्टीकरण. दोनों शुरू से ही एक थे. एक ही जैसी राजनीति कर रहे थे और आखिरकार खुलकर एक साथ भी आ ही गए. अदभुत है इस मुल्क की राजनीति भी…

आप अगर हिंदुओं की बात करते हैं तो आपको मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलना होगा और अगर मुसलमानों की बात करते हैं तो भारत माता को “डायन” बोलना पड़ेगा. उससे कम में काम नहीं चलेगा.

एक भी ऐसा नेता नहीं है जिसका कलेजा दंगे में तार तार हुए गुजरात के मुसलमानों और अपनी ज़मीन से चुन चुनकर साफ़ कर दिए गए कश्मीर के पंडितों के लिए एक साथ रोता हो.

ईश्वर और अल्लाह, हालांकि दोनों एक हैं. फिर भी संज्ञा के स्तर पर दोनो से ही प्रार्थना है कि सत्ता के नाम धर्म के इन कारोबारियों से मेरे प्रदेश को बचा लो… वैसे भी सत्ता के कारोबारी किसी धर्म के नहीं होते… वे सिर्फ सत्ता के होते हैं… केवल सत्ता के…

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