इस ‘भगवान’ के साथ क्या किया जाए?

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Fahmina Hussain for BeyondHeadlines

डॉक्टर और मरीज़ का रिश्ता सिर्फ बीमारी और दवा तक ही सीमित नहीं है. इस रिश्ते में एक- दूसरे पर विश्वास का बहुत बड़ा योगदान होता है. हम अपना सब कुछ डॉक्टर को हवाले सौंपकर निश्चिंत हो जाते हैं. जैसा डॉक्टर कहता है, वैसा ही करते है. ऐसा इसलिए कि हमारे अन्दर यह उम्मीद कूट-कूट कर भरी होती है कि यह हमारी जिंदगी का रक्षक हैं. लेकिन इसी धरती पर कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो इस मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं और साथ में अपने पेशे को शर्मसार भी कर रहे हैं.

पिछले दिनों एक डॉक्टर ने एक महिला मरीज़ के साथ वो किया जिसने इंसानियत को शर्मसार तो किया ही, साथ ही उस पेशे पर भी कालिख लगा दी जिस पेशे से जुड़े लोगों को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता रहा है.

rapist doctorडॉक्टरों को लोग भगवान के रूप में देखा करते थें, पर आज इन भगवानों ने अधिक से अधिक धन कमाना तो अपना पेशा बना ही लिया हैं… साथ ही यह हैवानियत की भी सारे हदें पार कर चुकें हैं. कुछ ऐसी ही हैवानियत की दास्ताँ इन घटनाओं में छिपा है…

16 मई, 2013 को दिल्ली के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में नरेन्द्र सिंह नाम के एक डॉक्टर पर एक लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा. जहाँ अल्ट्रासाउंड के बहाने युवती को अल्ट्रासाउंड सेंटर ले गया और नशे की दावा खिला कर उसके साथ दुष्कर्म किया.

यह कहानी सिर्फ दिल्ली की ही नहीं है, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में कई बार घटित हो चुकी  है…

4 मई, 2013 को दिवा में डॉक्टर और मरीज़ के रिश्ते को शर्मसार करने वाला एक और मामला सामने आया. ठाणे के दिवा परिसर अस्पताल में भर्ती युवती के साथ उसका इलाज कर रहे डॉक्टर ने ही रेप किया. 24 वर्षीय युवती को टायफायड हुआ था. इलाज कर रहे डॉक्टर विलियम जेकब लड़की के पास चेकअप करने के बहाने उसके कमरे में आया और उसने युवती को चढ़ रही स्लाइन में बेहोशी की दवा मिला दी. मुंब्रा पुलिस स्टेशन में युवती द्वारा मामला दर्ज कराने की ख़बर मिलते ही आरोपी डॉक्टर फ़रार हो गया.

21 अप्रैल, 2013 को पुणे के चिंचवाड़ इलाके में अस्पताल में भर्ती 22 साल की मानसिक रूप से बीमार लड़की के साथ अस्पताल के वॉर्डन ने कथित तौर पर बलात्कार किया. अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर दंपत्ति को इस घटना के बारे में पता चला, फिर भी उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी. बल्कि उन्होंने वॉर्डन को एक कमरे में बंद कर दिया और उसे ब्लैकमेल कर रहे थे. फिलहाल पुलिस ने डॉक्टर दपंत्ति और आरोपी वॉर्डन को गिरफ्तार कर लिया है.

10 अक्टूबर, 2012 को पटना के एक वरिष्ठ डॉक्टर पर एक युवती ने अगवा करके अश्लील एमएमएस बनाने और दुष्कर्म करने का आरोप लगाया. पीड़ित के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने अगस्त माह में युवती का गॉल ब्लैडर में पथरी का ऑपरेशन किया था. इस दौरान युवती का अश्लील एमएमएस बनाकर ब्लैकमेल करते हुए रमेश सिंह और उनके दो सहयोगियों ने कई दिनों तक दुष्कर्म किया.

10 जून, 2012 को14 साल की छात्रा सांस की तकलीफ होने पर दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में माता रूपरानी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हुई थी. 7 जून की रात आईसीयू में एक डॉक्टर आकर उससे अश्लील हरकत करने लगा. छात्रा के विरोध करने पर वह चला गया. उसके बाद डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगा दिया. अगले दिन जब उसे होश आया तो अस्पताल का मालिक उसके साथ अश्लील हरकत कर रहा था. वहां एक नर्स भी मौजूद थी. विरोध करने पर डॉक्टर और नर्स ने उसके हाथ पकड़ लिए. बाद में छात्रा ने अपने घर वालों को पूरी बात बताई. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा और तोड़फोड़ की. बाद में पुलिस में मामला दर्ज किया गया.

29 जून, 2012 को ऐसे ही कोलकाता के बांकुरा जिले में एक डॉक्टर द्वारा एक गूंगी बहरी लड़की से रेप करने का मामला सामने आया. पीडिता की मां ने अस्पताल प्रशासन से इसकी शिकयत की. मामले की जांच के लिए डॉक्टरों की एक टीम के गठन के साथ मुक़दमा दर्ज किया गया.

इस डॉक्टर के बारे में पढ़ेंगे तो एक भारतीय होने के नाते आपके मन में भी उसके लिये घृणा भर जायेगी. लंदन में रहने वाला यह भारतीय डॉक्टर अपने क्लीनिक पर आने वाली कई महिलाओं का इलाज के बहाने यौन शोषण करता रहा. पिछले साल जून में जब उसने 19 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ की, तो मामला प्रकाश में आया. पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो उसके क्लीनिक और घर से करीब 350 वीडियो बरामद हुए, जिनमें इस बात का खुलासा हुआ कि वो तकरीबन हर महिला मरीजों का इलाज के समय यौन शोषण करता था और उसका वीडियो भी बनाता था. देविंदरजीत बेन्सघ मैंगलोर का रहने वाला है और उसने मेडिकल की पढ़ाई भी मैंगलोर यूनिवर्सिटी से की है. पिछले साल जून में लंदन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और उसे 12 साल जेल की सजा सुनाई गई है.

5 अक्टूबर, 2012 को दिल्ली के मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने का झांसा देकर अरुणाचल प्रदेश के डॉक्टर ने गाजियाबाद की रहने वाली युवती को नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया. होश आने पर पीड़िता ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. बाराखंभा थाना पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया.

हैरानी तो आपको तब होगी जब सारे मामले उलटे नज़र आयगें… महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक मरीज़ ने महिला डॉक्टर को ही हवस का शिकार बना डाला. जानकारी के अनुसार मरीज़ महिला डॉक्टर के पास दांतों का इलाज कराने गया था और वहां मौके का फायदा उठाकर महिला डॉक्टर के साथ दुराचार किया. महिला डॉक्टर ने पहले बदनामी के डर से पुलिस में मामला दर्ज कराने से इंकार कर दिया, पर बाद में पति के कहने पर महिला ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया.

कुछ साल पहले दया-मृत्यु को लेकर मीडिया में खूब ख़बरें लिखी गई थी. ये मामला भी एक मेडिकल प्रोफेसन से जुड़ा था.

अरुणा मुम्बई के शानबाग पटेल स्थित किंग एडबर्ड मेमोरियल हॉस्पीटल में नर्स के रूप में काम करती थी. 27 नवम्बर 1973 की रात जब वह ड्यूटी पर थी, उसे अकेली देखकर वार्ड बॉय मोहनलाल बर्था वाल्मीकि ने उसे गिराकर कुत्ते बांधने वाली चेन से उसकी गर्दन बांध दी और उसके साथ बलात्कार किया. जंजीर के कारण अरुणा के दिमाग़ की तरफ रक्त एवं प्राणवायु का संचार बन्द हो गया. वह अपाहिज होने के साथ-साथ कोमा में चली गई और दुबारा आज तक कोमा से बाहर नहीं आई.

खैर, ऐसे बेशुमार मामले हमारे देश में हर साल देखने को मिल रहे हैं. मरीज़ डाक्टर के प्रति अपनी आस्था जताकर उसके सामने अपने आप को सौंप देता है. ऐसे में डॉक्टर का अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना न केवल निदंनीय है, बल्कि उस विश्वास का गला घोंटना भी है, जिस पर मरीज़ बिना कुछ सोचे-समझे उसे भगवान मान बैठता है.

ऐसे में सवाल उठता है कि यदि डॉक्टर मरीज़ के विश्वास पर खरा नहीं उतर पाता है तो क्या किया जाए? क्या ‘भगवान’ को दंडित किया जाए? जो डाक्टर लापरवाही करे, वह भगवान नहीं हो सकता… इसलिए उसे उसके अपराध का दंड मिलना ही चाहिए.

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