Dr. Shailendra Mishra for BeyondHeadlines
मैं मालिक था इस संसद का,
आज घोषित भगोड़ा हूँ,
नंगा हूँ,
भूखा हूँ,
लिये हाथ में कटोरा हूँ ।
मैं हिन्दुस्तान हूँ,
क्यूँ मेरे नब्जो को टटोलता है ?
घायल हूँ,
जूबाँ खोल नहीं पाता,
अब लहू ही मेरा बोलता है ।
अपने ही घर से बेदख़ल हूँ,
चोटों से पीड़ित हूँ,
आह भी नहीं निकलता,
जाने कैसे जीवित हूँ ।
हालात मेरी मत पूछो,
अवसादों से भरा हूँ,
समझ नही पाता,
आज ज़िंदा हूँ या मरा हूँ ।
संसद के गेट पर ही खड़ा हूँ,
कोइ मेरा हक़ दिला दो,
बेदख़ल जिसने किया है,
ज़ोर से उसको हिला दो ।