BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: हत्यारों और बलात्कारियों के बीच पीड़ितों को रहने को मजबूर कर रही है सपा सरकार
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > हत्यारों और बलात्कारियों के बीच पीड़ितों को रहने को मजबूर कर रही है सपा सरकार
IndiaLead

हत्यारों और बलात्कारियों के बीच पीड़ितों को रहने को मजबूर कर रही है सपा सरकार

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published October 23, 2013 1 View
Share
9 Min Read
SHARE

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने मुजफ्फरनगर, शामली समेत आस-पास के जनपदों में मुस्लिमों पर सपा राज में हुए सांप्रदायिक हमलों के बाद यूपी सरकार की मंत्रीस्तरीय सद्भावना समिति द्वारा पीडि़तों के कैंपों पर मदरसों के संचालकों द्वारा कब्जे की बात को गैरजिम्मेदाराना व सांप्रदायिक क़रार देते हुए तत्काल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व मुलायम सिंह से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

यूपी में हुई इस सांप्रदायिक हिंसा के बाद पीडि़तों के इंसाफ के लिए इस इलाके में कैंप किए अवामी काउंसिल और रिहाई मंच ने कहा कि शिवपाल यादव और उनकी इस मंडली को अनुराधा चौधरी जो पिछला चुनाव भाजपा के सहयोग से लड़ चुकी हैं और जिनके प्रचार में मोदी जैसा इंसानियत का दुश्मन आया हो, उन अनुराधा चौधरी की चाय से फुर्सत मिलती तो वे पीडि़तों के दर्द को जानते.

muzaffarnagar fact finding reportरिहाई मंच ने कहा कि सपा सरकार की मंत्रीस्तरीय सद्भावना समिति ने बता दिया है कि मुसलमानों के लिए इस सरकार में कितनी दुर्भावना है. जिस तरीके से आरएसएस और भगवा संगठन मदरसों पर आतंकवाद को बढ़ाने का आरोप लगाते है, ठीक उसी तरह सपा सरकार के मंत्रियों ने भी उन मदरसा संचालकों पर आरोप लगाया है जिन्होंने दंगों के बाद जब यूपी सरकार की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी, तब इन्हीं मदरसों ने लाखों पीडि़तों को सहारा दिया और आज भी दे रहे हैं.

आज इंसाफ देने में नाकाम यूपी सरकार देश ही नहीं दुनिया में हो रही अपनी इस बदनामी की उसके राज में लाखों मुस्लिम महीनों से अपने घरबार को छोड़कर शरणार्थी बन गए हैं, उसे छिपाने के लिए सरकार इस प्रकार के झूठी रिपोर्टों के हथकंडों का इस्तेमाल करके देश ही नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय को भी गुमराह कर रही है.

सद्भावना समिति की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आवामी काउंसिल फॉर डेमाक्रेसी एण्ड पीस के महासचिव असद हयात ने कहा कि यह रिपोर्ट जो सरकार के मंत्रियों ने अखिलेश यादव को सौंपी है, झूठ का पुलिंदा है. समिति के लोग मुजफ्फरनगर शहर में रहकर केवल दावतें खाते रहे और वे सब एक बार भी दंगा पीडि़तों के राहत शिविर में नहीं गये हैं. समिति में शामिल लोगों ने एक बार भी पीडि़तों की सुध लेने की ज़हमत नहीं उठायी और इस तरह की रिपोर्ट जारी कर दी. उन्होंने कहा कि जो भी राहत कैंप मदरसों में चल रहे हैं वे अपने निजी संसाधनों के बल पर ही दंगा पीडि़तों को सहयोग मुहैया करा रहे हैं. अगर वे ऐसा न करते तो आज 60 हजार से अधिक लोग सड़कों पर भीख मांग रहे होते और फुटपाथों पर रहने को मजबूर होते. उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार को यही स्थिति मंजूर होती? सरकार को यह बताना चाहिए कि वह कितने पैसे अब तक मदरसा संचालकों को पीडि़त लोगों पर खर्च करने के लिए दे चुकी है. उसे इस मामले पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में तथा देश की जनता के सामने अपनी फजीहत से बचने के लिए मदरसों पर आरोप लगा रही है. उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि सरकार चाह रही है कि पीडि़त लोग अपने गांव में वापस लौट जाएं तथा फिर से सांप्रदायिक दबंग लोगों के दबाव में आकर समझौता कर लें.

असद हयात ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पर पीडि़त जब अपने गांव लोटे तो उनसे दंगाईयों ने जबरन हलफनामों पर दस्तखत करवा ली, जिसकी शिकायत हमने राज्य सरकार से की है पर उसका कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जिसने हिंसा और मौत के मंजर को नजदीक से देखा है वे एक बारगी कैसे लौट जाएं? सरकार के मंत्री विस्थापितों का दर्द नहीं समझ सकते. रिपोर्ट का यह कहना कि वन विभाग की ज़मीन पर कैंप चल रहा है तो यह केवल शरणार्थियों की मजबूरी है. ये केवल अस्थाई कैंप हैं. यह उत्तर प्रदेश सरकार के लिए डूब मरने की बात है.

सरकार के मंत्रियों की सद्भावना समिति द्वारा जारी रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि यह सपा सरकार द्वारा मदरसों को बदनाम करने की साजिश तथा यह रिपोर्ट सच्चाई को छुपाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि राहत कैंपों की सच्चाई यह है की कैंपों में रहने वाले लोग आज तक बेहद आतंकित और गांव के जाटों से इतना डरे हुए हैं कि वे अपने गांव वापस जाना ही नहीं चाहते. उनके जेहनियत में डर इस क़दर समा गयी है कि वे कैंपों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. उन्हें डर है कि घर जाने पर उनसे बेगार लिया जायेगा और उनकी बहन बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं रहेगी.

सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त इलाकों से लौटे रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और गुफरान सिद्दीकी ने यूपी सरकार की सद्भावना समिति के सदस्य व मंत्री वीरेन्द्र सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो मंत्री इस सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए काठा, बागपत निवासी चांद के हत्यारों को छुड़ाने के लिए बागपत थाने के पुलिस इंस्पेक्टर सुशील कुमार शर्मा को धमकी देते हो, जिसकी तस्दीक बागपत थाने की जीडी करती है, उस मंत्री और उस सरकार की सद्भावना समिति द्वारा ऐसी ही सांप्रदायिक रिपोर्ट आनी तय थी.

उन्होंने बताया कि आज पूरे बागपत, शामली, मुजफ्फर नगर व उसके आस-पास के इलाकों में 35-40 से अधिक ऐसे मामले सामने आएं हैं, जिनमें पाया गया है कि जाटों द्वारा मुस्लिमों की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान हत्या की गई है, पर सरकार उन्हें सांप्रदायिक हिंसा में हुई हत्या मानने को तैयार नहीं है. ठीक इसी तरह महिलाओं के साथ बलात्कार के दर्जनों मामले हैं और आज भी लिसाड़ गांव में मारे गए 11 लोगों के शव का अता-पता नहीं है और आगजनी और अंग-भंग के मामलों की गिनती ही नहीं है. पर सरकार को इंसाफ देने से ज्यादा पीड़ितों को फिर से उन्हीं गावों में जबरन भेजने की तैयारी है जहां पर किसी ने अपने पिता को तो किसी ने अपनी मां को तो किसी ने अपनी बच्ची व बच्चों को आंख के सामने मारते-काटते जिंदा जलाते व आबरु लूटते हुए देखा था.

रिहाई मंच के प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव सांप्रदायिक हिंसा पीडि़तों को लोहिया आवास देने के वादे पर तो चुप्पी साध गए हैं पर पीडि़त बच्चे-बच्चियां और महिलाएं जिस तरीके से भारी बरसात और अब ठंड के समय खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं, उनकी आह इस सांप्रदायिक सपा सरकार को खा जाएगी. अखिलेश बातए की हमारी जिन बच्चियों और माताओं-बहनों के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है और जिनके आरोपी आज भी खुलेआम घूम ही नहीं बल्कि धारा 144 में पंचायतें करके धमकियां दे रहे हैं उन गावों में वो कैसे जा सकते हैं.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं से बातचीत में सद्भावना समिति की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मदरसा ईसा-अतुल-इस्लाम के संचालक अजमत उल्ला कैरानवी ने कहा कि हमने सरकार से आज तक एक पैसे की मदद राहत शिविरों के नाम पर लोगों के मदद के लिए नहीं ली है. लेकिन इसके बावजूद भी मदरसे में रह रहे सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त परिवारों पर जिला प्रशासन एक लाख रुपये खर्च करने की बात कर रहा है. ये सरकार झूठ दर झूठ बोल रही है यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार की ओर से ऐसा झूठ बोला गया. आज भी हम अपने खुद के संसाधन से सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त परिवारों की मदद कर रहे हैं. सरकार का इस कदर झूठ बोलना बेहद शर्मनाक है.

Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveIndiaLeadYoung Indian

Weaponizing Animal Welfare: How Eid al-Adha Becomes a Battleground for Hate, Hypocrisy, and Hindutva Politics in India

July 4, 2025
ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?