भाजपा : राम नहीं, रावण की अनुयायी है!

Beyond Headlines
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Thakur Prasad Tyagi for BeyondHeadlines

हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले नरेन्द्र मोदी ने भले ही राम मंदिर निर्माण पर अभी तक अपना मुंह नहीं खोला हो, उसे अपना चुनावी एजेंडा न बनाया हो, लेकिन संघ परिवार व भाजपा के कार्यकर्ता इसके नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण में अभी से ही लग ज़रूर गए हैं. संघ परिवार से जुड़े लोगों को पूरा यक़ीन है कि मोदी अगर सत्ता में आएं तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर अवश्य बनेगा.

पिछले दिनों ही वीएचपी प्रमुख प्रमुख अशोक सिंहल की अगुवाई में अयोध्या में चली 3 दिन की बैठक में वीएचपी ने देर से ही सही, लेकिन अपना अजेंडा स्पष्ट तौर पर उजागर कर दिया. वीएचपी के महामंत्री चंपतराय ने भी परिषद के मुख्यालय कारसेवकपुरम में कहा कि अगर बीजेपी के पीएम पद के कैंडिडेट नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो अयोध्या में विवादित स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण होगा. यही नहीं, सिंहल ने मोदी को छत्रपति शिवाजी की संज्ञा भी दी है. उन्होंने कहा कि हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए शिवाजी जैसा वीर चाहिए और वह क्षमता सिर्फ मोदी में है.

यह वही मोदी हैं, जिन्हें भाजपा के आखिरी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की सिफारिश की थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने गोधरा कांड के उपरांत स्पष्ट रूप से घोषणा किया कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य-धर्म का पालन नहीं किया. उनके शासनकाल में हुए नरसंहार से विश्व के पटल पर भारत का सर शर्म से झुक जाता है, अतः उन्हें तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

सच पूछे तो भाजपा का स्वरूप रावण के मुखौटे के समान है. और ये राम के अनुयायी नहीं, बल्कि रावण के अनुयायी हैं. इन्हें धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. यह तो सिर्फ सत्ता के भूखे हैं. सत्ता सुख भोगने के  लिए राम नाम का प्रयोग करते हैं. राम जन्म भूमि के नाम पर उन्माद फैला कर अपने उद्देश्य में सफल होने की कोशिश करते हैं. कितने शर्म की बात है कि सत्ता के सूख के लिए इन्होंने राम को भी बिकाउ मुद्दा या वस्तु बनाकर रख दिया है.

जब इनके ब्रहमणवादी नेता इन्हें सत्ता का सुख दिलाने में नाकाम साबित हुए तो अति-पिछड़ा को मोहरा बना लिया. ताकि किसी भी तरह से सत्ता की प्राप्ति की जा सके. नरेन्द्र मोदी अति-पिछड़ा जाति से आते हैं.

जिस तेली समाज को भाजपा के इन नेताओं ने कभी पूछा नहीं, बल्कि हर बार इस्तेमाल ही किया. वही भाजपा नरेन्द्र मोदी का इस्तेमाल करके तेली समाज में यह संवाद फैला रही है कि तेली जाति के वंशज को प्रधानमंत्री बनाने जा रहे हैं. दरअसल, सच्चाई यह है कि हमारे देश भारत में तेली समाज की जनसंख्या भारत के सभी जातियों में सर्वोच्च है. और इनका मक़सद सिर्फ इनका इस्तेमाल करना है. बाद में वही मोदी इन्हें पूछने तक नहीं आएगा… सत्ता का सारा सुख ब्रह्मणों के हाथ में होगा. मोदी सिर्फ इनके इशारे पर नाचने का काम करेंगे.

खैर, मोदी अभी भी अपना असली चेहरा ढ़क रखा है. लेकिन संघ परिवार से जुड़े लोगों को आशा है कि मोदी अपने चेहरे से नकाब काशी के रैली में ज़रूर हटा देंगे. अब देखना यह है कि मोदी काशी के सरज़मीन पर भगवा एजेंडे का आधार अयोध्या, मथुरा व काशी पर चुप्पी बरक़रार रखते हैं या इसे तोड़ते हैं?

मोदी चाहे नकाब हटाएं या नहीं. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भव्य राम मंदिर का ऐलान करके मोदी को अपना नकाब उतार फेंकने का चैलेंज ज़रूर कर दिया है.  नीतिश के ऐलान के मुताबिक दुनिया का सबसे बड़ा राममंदिर बिहार के चंपारण में बनने जा रहा है. यह विराट रामायण मंदिर 2,800 फुट लंबा, 1,400 फुट चौड़ा और 410 फुट ऊंचा होगा. ये मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर बनेगा. हालांकि इस मंदिर के बनने में अभी 10 साल लगेंगे और इस पर 500 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है.

(लेखक जेपी आंदोनकारी रहे हैं, और इन दिनों ‘बिहार प्रदेश-1974 जेपी आंदोलनकारी संयोजन समिति, पटना’ के राज्य संयोजक हैं.)

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