Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
शामली के करीब लोई कैम्प में रहने वाला 6 वर्षीय अरमान अखिलेश सरकार के ‘नापाक अरमानों’ की पोल खोल रहा है. 6 साल का यह मासूम बच्चा अचानक खतरनाक अलर्जी के कारण अपनी ज़िन्दगी से परेशान है. उसके शरीर पर इतने ज़ख्म हैं कि लोगों को दंगों में मिले ज़ख्म भी कम नज़र आए. ज़ख्म के कारण वो इतनी कड़ाके की ठंड में भी ज़्यादा गर्म कपड़े नहीं पहन सकता और नंगे बदन ही हड्डियाँ कंपा देने वाली सर्द रातें काटने को मजबूर है.
अरमान की 32 वर्षीय मां राबिया बताती है कि अपने बच्चे के इस ज़ख्म को वो खुद भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही है. लेकिन वो कर भी क्या सकती है. राबिया बताती है कि सरकार की ओर से उन्हें कोई सुविधा प्राप्त नहीं हो रही है. कैम्प में दूसरे राजनीतिक दलों के लोग दवा देते हैं, लेकिन शायद इसके बीमारी का उनके पास कोई इलाज या दवा नहीं है.

पास के एक क्लिनीक में अपने बच्चे को दिखाया था. डॉक्टर ने काफी सारे दवाएं भी लिखी, फिर भी अरमान ठीक नहीं हो पाया. अब हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि फिर से किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा सकूं.
बात करते-करते उसके आंखों में आंसू छलक आते हैं. वो बताने लगती है कि अब कमाई का कोई ज़रिया भी नहीं है. पहले खेती-किसानी करके घर अच्छे से चल जाता था. पर अब सब कुछ बर्बाद हो गया. वापस गांव भी नहीं जा सकते. इधर सरकार भी सिर्फ वादा ही कर रही है, अभी तक कोई मुवाअज़ा नहीं मिल पाया है. परिवार को डर है कि पुलिस कभी भी उनका तंबू उखाड़ सकती है. बेबस माँ सवाल करती है, “ऐसा हुआ तो मैं अपने 6 बच्चों को लेकर कहां जाउंगी?”
अखिलेश यादव की सरकार लगातार दावे कर रही है कि कैम्पों में ठंड से बीमार होने वाले शरणार्थियों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पुख्ता इंतज़ाम किए हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर से अब तक राहत शिविरों में 7195 बच्चों का उपचार किया जा चुका है. साथ ही 1228 नवजात शिशुओं की टीकाकरण भी किया गया है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी लोकेश गुप्ता बताते हैं कि शिविरों के लिए पांच स्वास्थ्य टीमें लगा दी गई हैं. यह टीमें नियमित रूप से शिविरों में जाकर शरणार्थियों को जांच के बाद दवाएं दे रही हैं. वो यह भी बताते हैं कि ठंड के मौसम में गंभीर रूप से बीमार होने वालों के लिए एंबुलेंस के ज़रिए तुरंत कैराना-कांधला सीएचसी में भेजने का इंतज़ाम किया गया है.

दोनों सीएचसी में शरणार्थियों के लिए दो-दो बेड रिजर्व कर दिए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि मरीज़ के लिए चार कंबलों का इंतज़ाम भी किया गया है. तड़पता हुआ अरमान प्रशासन के दावों की पोल खोल देता है. उसका पूरा परिवार सिर्फ तीन कम्बलों में सर्द रातों से मुकाबला करने को मजबूर है.
चिकित्सा अधिकारी के दावें राहत कैंप पहुँचते पहुँचते हवा हो जाते हैं. सरकार की कोई भी चिकित्सीय टीम लोई कैम्प में नज़र नहीं आती. हां! इतना ज़रूर है कि भारतीय युवा कांग्रेस के कुछ लोग कैम्प में एक स्टॉल लगाए नज़र आए. हालांकि इनके पास भी कुछ गिनी-चुनी दवाइयाँ ही दिखी. और उनमें भी ज़्यादातर फरवरी-मार्च-2014 तक एक्सपायर होने के कगार पर हैं.
यूथ कांग्रेस की ओर से कैंप लगा रहे डॉ. विवेक तोमर (बी.ए.एम.एस.) बताते हैं कि हमारे पास ज़्यादातर लोग खांसी, नजला, जुकाम, दर्द या उल्टी आदि की शिकायत लेकर ही आते हैं. जिन्हें हम दवा दे देते हैं.
डॉ. विवेक के अलावा आज डॉ. कुलदीप सक्सेना (सर्जन) भी आए थे. उन्होंने बड़े शान से बताया हम कैम्प के सारे लोगों का ध्यान रखते हैं. तभी हमने उन्हें अरमान के बारे में बताया. अरमान की तस्वीरें देखकर उनका भी गला सूख गया. वे अरमान को देखने ज़रूर गए और बताया कि अरमान को एक ख़तरनाक एलर्जी हुई है. कल उनके बाल रोग विशेषज्ञ कैंप में आएंगे जो अरमान का इलाज़ करेंगे.