रात के 11 बजे… सन्नाटे के चीरती हुई साँस… होटल ली-मेरीडियन के समीप…
रात के 12-30 बजे… नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन… इंसान और जानवर अपनी दर्जे को भूल एक दूसरे में सिमटे हुए…
रात 12-40 मंटो रोड… अपनी शरीर की गर्मी को समेट रात की सर्दी से बचने की जद्दो-जहद…
रात 2-10 चावड़ी बाजार… फुटफाथ के किनारे रात को काटती जिंदगी…
रात 2-20 चाँदनी चौक के नजदीक…. क्या आप हमें कंबल भी देगें, मुझे सबसे बड़ी वाली देना… इस बच्चे की सर्दी से लबरेज जबान की आवाज़ से अंदर तक सिहरन का अहसास हुआ…
रात 2-30 जमा मस्जिद बस स्टैंड… सरकार के सर्दी-शेल्टर में जगह ना सही तो उसकी बनाई स्टैंड में ही सही…
रात – 2-50 नई सड़क… शायद खूद को समेट ठंड से बचता हुआ…
रात 2-10 चाँदनी चौक के नजदीक… बोरे में लिपटा देश का आम आदमी…
रात 2-25 लाल किला … डिवाईडर पर आशियाना…
रात 3-00 नई सड़क… दिन में सवारी ढोता और रात को रिक्शे पर सोता…
रात 3-15 नई चावड़ी बाजार…. ठेले पर बेखबर नींद के आगोश में…
रात 3-30 चावड़ी बाजार… चाँदनी चौक के नजदीक… सामुहिक तौर से सोता मजदूर वर्ग… शायद एक दूसरे के बदन की गर्माहट का सहारा ले ठंड से लड़ते हुए…
चावडी बजार- ठेले पर बिस्तर का अहसास कर सोता हुआ एक दिहाड़ी मजदूर…
दो गज चादर भी ना मिला तन को ओढ़ाने के वास्ते…
कल तक तो सिर्फ हम ही थे… आज हमारे सीएम भी सड़कों पर…