क्या मोदी इस बार सांसद भी बन पाएंगे?

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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

‘पार्टी विथ डिफरेंस’ का स्लोगन देने वाली भाजपा अब ‘पार्टी विथ डिफरेंसेस’ में तब्दील होती जा रही है. जब से मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है, उसी दिन से पार्टी एक दो नहीं, बल्कि कई खेमों में बंटी हुई नज़र आ रही है. उससे भी गंभीर व चिंता का विषय यह है कि उन तमाम खेमों को कुचल देने की नियत से मोदी समर्थक सदस्य अब हिंसक होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर मोदी के पक्ष में गाली गलौज तो एक आम बात है. अब सड़कों पर भी यह मोदी समर्थक हिंसा करने से यह बाज नहीं आ रहे हैं. यही वजह है कि दिल्ली व लखनउ में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भिड़ने के बाद आज वाराणसी में मोदी समर्थक खुद अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भिड़ते नज़र आएं.

हुआ यूं कि मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहते हैं. क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी चाहत है कि मोदी वाराणसी से चुनाव लड़े. लेकिन यहां के मौजूदा सांसद मुरली मनोहर जोशी किसी भी हाल में सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं. यही नहीं, अपनी उम्मीदवारी खुद घोषित करते हुए मुरली मनोहर जोशी ने शहर में अपने पोस्टर व बैनर भी लगवा दिए.

इन पोस्टर्स और बैनर्स पर अपनी दावेदारी को मज़बूत करने के लिए जोशी ने कई नारे भी लिखे हैं, मसलन- ‘आतंकवाद पर लगे लगाम, डॉ. जोशी का पैगाम’, बोले काशी विश्वनाथ, डॉ. जोशी का देंगे साथ… इसके साथ-साथ पोस्टरों के ज़रिए यहां के लोगों को होली की शुभकामनाएं भी दी गई हैं.

लेकिन यह नारा व शुभकामना मोदी समर्थकों के गले नहीं उतर रही हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी के समर्थक वाराणसी शहर में लगे मुरली मनोहर जोशी के पोस्टर्स हटाना शुरू कर दिया. यह बात जोशी के समर्थकों को नागवार गुज़री. बस इसी बात पर विवाद हो गया. जोशी और मोदी समर्थक आपस में भिड़ गए. मोदी समर्थकों का कहना है कि वाराणसी का हर व्यक्ति चाहता है कि यहां से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ें, लेकिन जोशी समर्थक इसे एक सफेद झूठ बताते हैं.

दरअसल, मिशन-272 पूरा करने का दावा करने वाले मोदी अपने लिए ‘सेफ सीट’ ढ़ूंढ़ रहे हैं. एक ऐसा सीट, जहां अगर उनके खिलाफ केजरीवाल भी मैदान में आ जाए तो कोई फर्क न पड़े. ऐसे में मोदी को गुजरात से बाहर एक मात्र सीट वाराणसी नज़र आता है. क्योंकि दूसरे सीटों से लड़ने में हार का डर निकल पाने में मोदी सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.

यह अलग बात है कि मीडिया देश की जनता को बार-बार बता रही है कि देश में मोदी की लहर है. लेकिन यह बात मोदी भी बखूबी जानते हैं कि उनके ‘फेंकू गुब्बारे’ में सच की सुई चुभ जाए, या ‘केजरी बम’ आकर उन पर गिर पड़े, तो फिर क्या होगा. ऐसे में किसी प्रकार का रिस्क फिलहाल मोदी लेने के पक्ष में नहीं हैं.

कहानी यहीं खत्म नहीं होती. पार्टी के अंदर की राजनीति भी अब मोदी के राह में कब रोड़े बन जाए, कहा नहीं जा सकता. मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने के मुद्दे पर पार्टी के अंदर भी अब विरोधी स्वर उठ रहे हैं. खुद जोशी यहां की सीट छोड़कर कहीं दूसरी जगह से चुनाव लड़ने से इन्कार कर चुके हैं. सुषमा स्वराज भी इस मसले पर मोदी के पक्ष में नहीं हैं. उनके मुताबिक मोदी का वाराणसी से चुनाव लड़ना ठीक नहीं होगा. इतनी ही नहीं, इसके लिए जोशी आडवाणी से भी मिल चुके हैं. और आडवाणी तो इस क़दर मोदी से खफा हैं कि उन्होंने राहुल गांधी का पक्ष लेते हुए भाजपा को ‘वन मैन पार्टी’ तक बता दिया हैं. सुत्र यह भी बताते हैं कि सुषमा स्वराज के साथ-साथ पार्टी के कई नेता मोदी के रवैये से काफी दुखी हैं. उनकी भी यह शिकायत है कि भाजपा अब ‘वन मैन पार्टी’ बनती जा रही है. और यही हाल रहा तो नतीजे काफी घातक हो सकते हैं. फिलहाल यह देखना अब दिलचस्प होगा कि मोदी वाराणसी से चुनाव उम्मीदवार बनने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं? और अगर उम्मीदवार बन भी जाते हैं तो क्या सांसद बन पाना इतना आसान होगा, जितना वो खुद समझ रहे हैं?

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