हार पर हार झेलते विश्व चैंपियन

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Shiv Pujan ‘Shiv’ for BeyondHeadlines

पिछले साल सब कुछ ठीक चल रहा था. जीत हासिल करना टीम इंडिया का शगल बन चुकी थी. लेकिन 2013 के आखिर में जैसे ही माही के मतवाले अफ्रीकी ज़मीन पर क़दम रखा, वो अफ्रीकी शेरो के सामने मेमने के माफिक हो गये.

अफ्रीकी टीम ने अपने घर में विश्व चैंपियन को बुरी तरह पीटा. वन डे के साथ साथ टेस्ट में भी भारतीय टीम को जश्न मनाने का मौका साउथ अफ्रीका टीम ने नहीं दिया.  क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद थी कि अफ्रीका में मिले इस गहरे ज़ख्म का बदला वो किवियों से चुकता कर लेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं रहा. टीम इंडिया को नौसिखिया न्यूजीलैंड ने बुरी तरह पटखनी दी और ये जता दिया कि उनकी टीम में वो दमखम अब नहीं बचा.

इस पराजय ने टीम की इज्ज़त को ज़मीन पर ला दिया. विश्व चैंपियन मानो अब चैंपियन न रहे. उम्मीद थी कि वो भारतीय टीम का सिक्का बांग्लादेश में हुए एशिया कप में चलेगा, लेकिन यहां भी उसे हार पर हार झेलनी पड़ी.

पिछले चार महीने से टीम को जीत का दीदार नहीं हुआ है. ऐसे में लाज़मी है सवाल उठेंगे कि विश्व चैंपियन का दंभ भरने वाली भारतीय टीम क्या ऐसा ही खेल आने वाले विश्व कप में दिखेयेगी.

सुलगता हुआ सवाल है कि क्या उनकी तैयारिया ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में होने वाले विश्वकप के लिए इतनी घटिया है. इतना ही नहीं भारतीय टीम की बल्लेबाजी विश्व स्तरीय मानी जाती है, लेकिन न तो टीम के बल्लेबाज अफ्रीका की भूमि पर चले और न ही न्यूजीलैंड की धरती पर…

उम्मीद थी कि एशिया कप में भी बल्लेबाजो की जय-जय होगी पर ऐसा नहीं हुआ. बहुत हद तक विराट कोहली का बल्ला बोला. लेकिन वो जीत दिलाने के लिए काफी नहीं था. शिखर धवन, राहणे का प्रदर्शन छीट-पुट ही रहा. रोहित शर्मा के बल्ले ने तो पूरे सीरीज़ में खामोशी की चादर ही ओढे रखी.

रही बात गेदबाजों की तो शमी को छोड़ और किसी का प्रदर्शन उतना शानदार नहीं रहा. भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी का जलवा भी देखने को नहीं मिला. माही ज़रूरत से ज्यादा रक्षात्मक होते दिखे.

आखिर भारतीय टीम के हार के पीछे वजह क्या है? क्या टीम मैनेजमेट और चयनकर्ताओं ने ज़रूरत से ज्यादा कुछ खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया? जैसे रैना, रोहित शर्मा जिनका प्रदर्शन उतना स्तरीय नहीं रहा, वही गंभीर सरीखे प्लेयर को बेहतरीन फार्म होने के बावजूद टीम से बाहर रखा गया.

भारतीय टीम विश्व विजेता है और वर्ल्ड कप में एक साल से भी कम वक्त बचे है. लिहाजा भारतीय टीम को हर हाल में अपनी इन समस्याओं पर बारिकी से नज़र रखनी होगी और इनसे निजात पाना होगा, नहीं तो विश्व चैंपियन का तमगा कहीं अगले साल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजैलंड की ज़मीन पर कहीं उसे खोना न पड़े.

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