बहन मायावती से मुसलमान और दलित कार्यकर्ताओं के चंद सवाल

Beyond Headlines
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प्रिय बहन कुमारी मायावती जी,

बहन मायावती जी, पिछले दो चुनावों में बुरी तरह से हारने के बाद आप हार का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ कर खतरनाक खेल खेल रही हैं.अब समय आ गया है कि आप भी मुसलमानों के कुछ साफ-साफ सवालों के जवाब दें.

मेरे स्वर्गीय पिता जी उस बामसेफ के एक सक्रीय कार्यकर्ता रहे थे, जिसके सीने पर चढ़कर आपने मुख्यमंत्री का ताज पहना था.ज़रुरी है कि आप से बामसेफ के एहसानों का हिसाब भी मांगा जाए.

आप जिस सतीश चन्द्र मिश्र के दबाव में आकर घटिया राजनीती कर रहीं हैं. जरुरी है कि आप उस सतीश चन्द्र मिश्र से भी अपने संबंधों की सफाई दें और बताये कि आपके नज़दीक दलित आन्दोलन प्यारा है या सतीश चन्द्र मिश्र…

दलित नेताओं की जो औकात आपने बना रखी है और सतीश चन्द्र मिश्र आपके प्रिय बने हुए हैं, आपको उसका भी जवाब देना होगा.आप जिस सतीश मिश्रा के लिखे हुए शब्द पढ़ कर मीडिया में बोल रही हैं. आप के अन्दर अगर तनिक भी अपने राजनीतिक गुरु माननीय स्वर्गीय कांशीराम का सम्मान बचा है, तो आज आप इन सवालों का जवाब दीजिये :-

  1. बामसेफ नाम का आन्दोलन जिसको कांशीराम ने देश के तमाम पिछड़ो और अल्पसंख्यकों के सामाजिक, राजनितिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए बनाया था और जिस आन्दोलन की कोख से बहुजन समाज पार्टी का जन्म हुआ, उस महान आन्दोलन को आपने अपने पैरों तले क्यों रौंद डाला?
  2. बामसेफ के तमाम कर्मठ नेताओं और विचारकों को एक एक करके बसपा पार्टी से धक्के मार कर किसने निकाला?
  3. पहले पासी और फिर दूसरी दलित समाज के लोगों के हितों की सौदेबाज़ी किसने की?
  4. दलित समाज की 66जातियां उत्तर प्रदेश में हैं, लेकिन उनमें सबसे ज्यादा मलाई किसने खाई और क्यों पासी, कोरी, खटिक, धोबी और बाल्मीकि वोट आपसे खिसक गया?
  5. 2007में आपकी पार्टी से 15मुसलमान विधायक जीते थे.आपने कुल 84मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किये थे, उसमें से 34 उम्मीदवार को 50000से 100000के अन्दर वोट मिला था. 30उम्मीदवारों को 30000से 50000के बीच वोट मिला था. लगभग हर उम्मीदवार को मुसलमानों का भारी वोट मिला था.आपने किस आधार पर ये दावा किया था कि मुसलमानों ने आपको वोट नहीं किया था?
  6. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दलित आबादी सीतापूर की है, वहां से भाजपा को चार लाख से ज्यादा वोट मिला और आपकी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार को साढ़े तीन लाख के करीब…बताइये कि पासी वोट किसको गया है?आपके सबसे मज़बूत गढ़ आंबेडकर नगर में भाजपा के उम्मीदवार को वोट किसने दिया है, जबकि वहां मुसलमानों की आबादी सिर्फ पंद्रह फीसद है?
  7. चलिए सब छोडिये… ये बताइये कि उत्तर प्रदेश की 17 आरक्षित सीटों में आपको एक भी सीट क्यों नहीं मिली.वहां मुसलमानों ने कौन सा धोका दिया है.आपको चुनौती दी जा रही है कि आप साबित करें कि आपकी पार्टी को किसने छोड़ा है?
  8. मैडम जी, अब असली मुद्दे पर आइये… बसपा आपकी जागीर नहीं हैं. ये वो पार्टी है जो बामसेफ के मेहनती और जुझारू नेताओं ने बहुत मेहनत से खड़ा किया था. मेहनत से खड़े किये हुए दलित आन्दोलन को संघ परिवार की गोद में रखने का काम किसने किया?
  9. आप बताइये… बसपा के पुराने चेहरे आर.के. चौधरी, यशवंत, गेंदालाल और अन्य जुझारू बुद्धिजीवी व नेता कहां हैं, जिनके ऊपर सारे दलित समाज का भरोसा था.और ये सतीश चन्द्र मिश्र और वीर सिंह और नसीमुद्दीन जिन्होंने आपके चारों तरफ से घेर रखा है. इन लोगों की दलित और अल्पसंख्यक समाज में क्या हैसियत हैं?क्या ये ही वो लोग नहीं हैं, जो एक आम दलित और अल्पसंख्यक कार्यकर्त्ता को आपके दरवाज़े पर पहुंचने से पहले ही धक्का मारकर भगा नहीं देते हैं?
  10. मैडम जी! आपने जो अकूत सम्पति जमा करली है. बताइये कि दलित समाज के कितने छात्रों को आपने लैपटॉप दिया?कितने दलित छात्रों को आपने विदेश में शिक्षा के लिए पैसा दिया? आपने दलित मीडिया को कुचल कर रख दिया. आपने दलित लेखकों और पत्रकारों को अपने घर से धक्के मारकर निकाल दिया. एक दलित कार्यकर्त्ता का अपनी ही पार्टी में सांस लेना दूभर किया मिश्रा जी ने, लेकिन आपको कोई चिंता नहीं है.
  11. आपने अल्पसंख्यक नौजवानों का एनकाउंटर करवाने और उनको फर्जी मुक़दमों में गिरफ्तार करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.फिर भी आपको 2012 के चुनावों में ज़बरदस्त वोट दिया गया, लेकिन उस वक्त खुद आपकी अपनी जाती के लोग आपसे बहुत नाराज़ हो चुके थे.
  12. मैडम जी! दलित आन्दोलन में इस सतीश चंद मिश्रा का एक भी योगदान बताइये और फिर आखिर किस ख़ुशी में इनको दर्जनों संस्थान खोलने के लिए आपने ज़मीन दी,रुपया दिया. लेकिन उनमें से किसी भी संस्थान का नाम एक भी दलित नेता के नाम पर नहीं है.
  13. आप बताइए ओरिया, बाराबंकी, झांसी, सोनभद्र, उन्नाव, सीतापुर में 30से 40फीसद आबादी अनुसूचित जाति की है. इन सीटों पर भाजपा को किसने जिताया है?जबकि इनमें मुसलमानों की आबादी तो बहुत ही कम है.

सवाल बहुत हैं… लेकिन हमें मालूम हैं कि जब तक सतीश चन्द्र मिश्र, वीर सिंह और नसीमुद्दीन सिद्दीकी आपके दरवाज़े पर ताला लगा कर बैठे रहेंगे आप हमारी बातें नहीं सुनेगी.पिछले सात सालों से आपने अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाती के कार्यकर्ताओं से मिलना जुलना बंद कर रखा है.आपके सिपाहसलार सतीश चन्द्र मिश्रा अमरीकी दूतावास को आपके भ्रष्टाचार के बारे में खबरे पहुंचाते हैं.भाजपा के लोगों से मिलीभगत करते हैं.संघ परिवार से ख़ुफ़िया रिश्ते बनाते हैं.और बहुजन समाज पार्टी के नामो निशां को मिटा देने पर तुले हैं.लेकिन ये लोग आपको आम कार्यकर्ताओं से मिलने नहीं देंगे.

वो बसपा जिसके लिए अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जाति के तमाम सारे लोगों ने पसीना बहाकर यहां तक खड़ा किया था, आपके ये सिपासालार उसे अगले चुनाव तक नेस्त नाबूद कर चुके होंगे.

मैडम जी, बहुत साफ़ सुन लीजिये…कान खोलकर…आप कुछ नहीं हैं.आप की कोई हैसियत नहीं है.आप जो कुछ हैं, वो मान्यवर स्वर्गीय कांशीराम जी के आशीर्वाद से है.आप जब तक उनके क़दमों पर चलती रहीं, उस वक्त तक आपको कांशीराम जी चाहने वालों का आशीर्वाद मिलता रहा, लेकिन जब आपने बाबा साहब और कांशीराम जी के आन्दोलन को तीन बार संघ के हवाले कर दिया तो बताइये की दलित आन्दोलन की सार्थकता और उसकी प्रासंगिकता को सबसे ज्यादा चोट किसने पहुंचाई?

एक एक करके कांसीराम जी मानने वाले बेइज्जत करके निकाले जा रहे हैं और धनबल के पुजारियों को पदासीन किया जा रहा है.आपको मुसलमान तो बेचारे क्या छोड़ेंगे?वो तो किसी को छोड़ने के लायक ही नहीं बचे हैं.

आपको तो सबसे ज्यादा आपके ही लोगों ने छोड़ा है. अपनी हार का ठीकरा मुसलमानों के सर फोड़ कर आपने दलितों और मुसलमानों को आपस में लड़ाने और लड़ा कर संघ परिवार के कार्यक्रम को पूरा करने में मदद दी है.

और सुनिए… ये जो मिश्रा जी हैं जो आपको प्रेस स्टेटमेंट लिख लिख कर पढ़ने को देते हैं.अब समय आ गया है कि आप अपने फैसले स्वयं लें.इस आदमी को हटाकर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद स्थापित करें.समझे की देश कितनी विकट स्थिति में चला गया है, लेकिन अगर आप ऐसे ही रहीं, तो अगला विधान सभा चुनाव तो आप हारेंगी ही, साथ में इस बहुजन समाज पार्टी को भी डुबो देंगी.

आपसे विनम्र विनती है कि आप अपने महल से बाहर निकलिए…कार्यकर्ताओं से संवाद कीजिये…दलालों को निकाल बाहर कीजिये…लुटेरों और बाहुबलियों को अपने से दूर करिए…आपको सच्ची तस्वीर दिखने लगेगी.

 हम अब भी ये आशा करते हैं कि मान्यवर कांशीराम की राजनीतिक विरासत को आपके नेतृत्व में प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाया जा सकता है, लेकिन ये काम कोई दलाल नहीं, कोई बाहुबली नहीं, कोई धनपत नहीं, सतीश मिश्रा नहीं, बल्कि पार्टी और बामसेफ के कार्यकर्त्ता पूरा करेंगे.

बहुजन समाज पार्टी के सच्चे हितैषी

मुसलमान और दलित कार्यकर्ता     

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