‘अच्छे दिन’ लाने वाली सरकार ने फिर रिपोर्ट मंगवा ली है…

Beyond Headlines
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Amit Bhaskar for BeyondHeadlines

उत्तरप्रदेश…4 दिन में 6 रेप… जिसमें गैंग रेप शामिल… 2 केस में लाश को पेड़ पर लटका दिया गया… एक लड़की को तेजाब पिला दिया गया… एक दुसरे लड़की के प्राइवेट पार्ट को कुचल दिया गया… एक लड़की को काट कर बबुल के झाड़ में फेंक दिया गया…

हुंकार भर कर आई नयी सरकार ने हुंकार भर के रिपोर्ट मंगवाई… महिला आयोग ने भी दहाड़ मारते हुए रिपोर्ट मंगवाई…

अब ज़रा आगे बढ़ते हैं… मेघालय में एक माँ को उसके पति और बच्चों के सामने रेप करने की कोशिश की गयी… महिला ने विरोध किया तो उसके चेहरे पर 6 गोलियां मारकर सर धड़ से अलग कर दिया गया…

मोदी सरकार ने फिर रिपोर्ट मंगवाई… महिला आयोग ने भी रिपोर्ट मंगवाई… उमा भारती जी ने बड़ी हिम्मत दिखाई और घटना को ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण बता दिया, जैसे अगर वो ना कहती तो देश इसे अपना सौभाग्य मानता…

आइये ज़रा और आगे चलें… उत्तर प्रदेश में ही फिर एक गैंग रेप हुआ… लेकिन बार-बार साधारण लोग रेप करके टीवी पर फेमस हो रहे थे… शायद इसीलिए इस बार पुलिस वालों ने अपनी मर्दानगी लॉकअप में दिखाई… वो भी कथित तौर से महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी में… महिला के कपड़े फाड़े फिर पहले जी भर के पीटा और फिर दोनों हाथों को रस्सी से बांध कर उसे बारी बारी से नोचा…

आप क्या सोच रहे हैं मामला गंभीर है? अरे नहीं! पागल हो क्या? अच्छे दिन लाने वाली सरकार ने फिर रिपोर्ट मंगवाई है… उमा जी ने फिर इसकी भर्त्सना करके एहसान किया है… और महिला आयोग ने फिर एक और रिपोर्ट मंगवा ली है…

चलिए एक क़दम और आगे बढ़ते हैं और चलते हैं इलाहबाद… जहां एक 8 साल की बेटी और उसकी माँ को बारी-बारी से हवस का शिकार बनाया गया और नंगे फेंक दिया, जिसके बाद लड़की ने खुद को आग लगा ली और माँ अस्पताल में है. गरीब पति अब सब बेच कर इलाज़ करवाएगा. फिर भी सब पहले जैसा न हो पाएगा.

ओह ये काफी नहीं है. महिला जज के घर में घुस कर उसे नोच खाया गया. केंद्र ने फिर रिपोर्ट मंगवा ली है जी…

मैं बार-बार यही सोच रहा हूं कि जब समाज ऐसा नपुंसक और नकारा हो तो लड़कियों को कोख में ही मार देना ठीक नहीं है क्या? नहीं आना चाहिए उसे जल्लादों की दुनिया में, क्यों आये? अस्मत बिकवाने या नोचवाने? बंद करवा दो ये ढकोसले… शशक्तिकरण और नारी शक्ति के ढकोसले वादे…

जब तक टीआरपी मिली खबर चली. फिर अचानक मीडिया को लगा मोदी-भक्ति तो इन चक्करों में छुट गयी. सो आज सुबह से शुरू हो गए हैं. मोदी जाएंगे अमेरिका, मोदी बोलेंगे हिंदी, अमेरिका झुका, भारत का परचम लहराया, मोदी समर्थक मोदी के प्रधानमन्त्री बनने से ज्यादा उनके अमेरिका जाने से खुश लगते हैं. उन्हें लगता है जैसे अमेरिका मोदी के चरणों में गिर गया हो.

मोदी भी जापान, अमेरिका, चीन, कोरिया घूमने की तैयारी में हैं. सामरिक रिश्तों के लिए जरूरी भी है कि जनता के पैसों से घूमें, लेकिन चुनावी भाषणों में महिलाओं के उत्थान के लिए गला फाड़ कर चिल्लाने वाले महोदय ऊपर के सब घटनाओं पर मुंह तक नहीं खोल पाए. मोदी से महिलाओं की दशा देखी नहीं जाती थी.

कहते थे कि मेरी माँ और बहने खुले में शौच जाती हैं, इससे मेरा सर शर्म से झुक जाता है. पर आज जब वही माँ और बहनें रेप करके टांग दी जाती है… जला दी जाती है… तो ‘साहब’ इसकी निंदा भी नहीं कर पाते.

शायद अब नहीं करेंगे. क्योंकि अब कुर्सी मिल गयी है न! अब पकिस्तान को हिन्दुस्तान में नहीं मिलाएंगे. अब वहाँ से साड़ी आएगी, यहाँ से शाल जाएगी… एफ.डी.आई के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ने वाले आज 100% एफ.डी.आई ला रहे हैं. डीजल के दाम बढ़ गए हैं. एक तारीख से गैस के दाम 80% तक बढ़ सकते हैं.

देश में ना जाने कितनी दुर्घटना होती है, पर कोई फर्क नहीं पड़ता… लेकिन एक नेता के साथ ऐसा हुआ तो तुरंत कानून बनाकर बिल लाने की तैयारी है. क्या रेप के मामले में भी ऐसे ही किसी घटना का इंतज़ार है? क्या जब तक ये आग नेताओं के घर तक नहीं जाएगी नेता कोई इंतजाम नहीं करेंगे? इन सबके बीच देश का सोकॉल्ड युवा घोड़े बेच के फिर 5 साल के लिए सो गया है. बीच बीच में जागेगा, जब इंडिया में कैंडल मार्च करना होगा. अभी भारत में ज़रुरत नहीं या तब नींद टूटेगी जब कोई हिट फिल्म आएगी.

हाँ आप भी इंतज़ार करिए! इस दहशत के अपने घर आने का और चारा भी क्या है? धरना मत करना… आन्दोलन तो बिलकुल मत करना. धरना शान्ति से थोड़े न होता है, उससे अराजकता फैलती है. मीडिया आपको लेके डूब जाएगी. लेकिन आप पुणे की तरह कीजिये दंगे, खुलेआम मार दीजिये मासूम को… सिर्फ इसीलिए कयोंकि वो मासूम एक ख़ास धर्म का था.

सलाम है उस माँ बाप को… सलाम उस कौम को जिसने अपने बेटे की बेवजह मौत पर उसके लाश को अपने सामने देखकर भी अपने हाथ बांध लिए, ताकि औरों के बेटे बच जाएं. ये दलाल नपुंसक लोग राजनीति हमें सिखायेंगे ऐसे. मीडिया के लिए ये राजनीति है, क्योंकि इससे टीआरपी मिलती है. ये अराजकता नहीं है बस कुछ सौ बसें जली हैं. कुछ लोग ही मरे है. हज़ारों की ज़िन्दगी भर की कमाई ही तो बर्बाद हुई है ये अराजकता नहीं है.

दरअसल अभी इस देश के लोगों की औकात नहीं है उस सपने को हासिल करने की जो असली आज़ादी है. सो जाइये आज उनके घर सन्नाटा है और हम ग़मगीन है. कल यही सन्नाटा हमारे यहाँ होगा तो वो ग़मगीन होंगे. मीडिया डिबेट करवा के जिम्मेदारी निभा लेगी, नेता बयान देके, लड़कियां खुद को लुटवा के और हम और आप खबर पढ़ के चाय की चुस्की के साथ ये कह के जिम्मेदारी निभा लेंगे ‘दिस इज डिस्गस्टिंग’…

बचने के दो रास्ते हैं या तो नक्सली बन जाइये या खुद अपनी बेटियों का गला घोंट दीजिये. शायद ये इज्ज़तदार मौत हो. रोज 20% से गति से बढ़ती रेप की घटना एक न एक दिन हमारे घर दस्तक देगी और याद रखियेगा तब कोई नहीं होगा कोई नहीं. क्योंकि यहां सब जिन्दा होंगे पर ज़िन्दगी किसी में नहीं होगी. सब जिन्दा लाश होंगे जिन्दा लाश….

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