आई.पी.एल. मैच फिक्सिंग जांच में ‘फिक्सिंग’, फिर जांच शुरू

Beyond Headlines
4 Min Read

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

महाराष्ट्र राज्य के गृह विभाग ने मुंबई पुलिस क्राईम ब्रांच के एक वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नंद कुमार गोपाले के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया है. यह वही गोपाले हैं जो आई.पी.एल. मैच फिक्सिंग की जांच कर रहे थे. (BeyondHeadlines के पास जांच के आदेश की कॉपी मौजूद है.)

गोपाल पर आई.पी.एल. मैच फिक्सिंग की जांच के दौरान गुरूनाथ मयप्पन और सट्टेबाज़ों से 250 करोड़ रूपये उगाहने और उन्हें बदले में वीआईपी ट्रीटमेंट देने का आरोप है.

स्पष्ट रहे कि मुम्बई से चलने वाली एक न्यूज़ वेबसाइट http://abinet.org/ ने इस बाबत खबर प्रकाशित की थी. ABI (Akela Bureau of Investigation) के न्यूज़ के आधार पर ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने जांच का आदेश दिया है. क्राईम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एम.एम. प्रसन्ना को इसकी जांच सौंपी गई है.

ख़बर के अनुसार आई.पी.एल. मैच फिक्सिंग की जांच ज़िम्मेदारी नन्द कुमार गोपाले के पास थी. गोपाले ने इस बाबत गुरूनाथ मयप्पन, बिन्दू दारा सिंह सहित कई सट्टेबाज़ों को गिरफ्तार किया था.

इतना ही नहीं, गोपाले ने मुम्बई के पांच सितारा होटल ‘सन एंड सैंड’ में मुम्बई के सबसे बड़े सट्टेबाज़ (बुकी) जयंती जैन उर्फ जयंती मालाड को सट्टेबाज़ी करते पकड़ा, लेकिन ABI के दावों के मुताबिक 75 लाख रूपये लेकर गोपाले ने उसे छोड़ दिया. जब किसी ने गोपाले से पूछा कि आपने जयंती मालाड को क्यों छोड़ दिया तो गोपाले का कहना था कि ‘कौशिक साहब’ का फोन था.

निकेत कौशिक तब मुम्बई के क्राईम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त थे. अभी वो मुम्बई एटीएस में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. हालांकि निकेत कौशिक मुम्बई पुलिस के एक ईमानदार आईपीएस अफसर माने जाते हैं.

मुम्बई के एक और बड़े सट्टेबाज़ ‘ जुनियर कोलकाता’ के खिलाफ मुम्बई में कई अपराधिक मामले दर्ज हैं. जिसमें से चार मामलों में पुलिस उसे खोज रही है. लेकिन गोपाले मुम्बई के ओसिवोरा इलाके में कई दफा मीटिंग करते पाए गए.

आगे की कहानी और भी दिलचस्प है. खबर के मुताबिक गोपाले ने क़ैद के दौरान मयप्पन को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया और उसके बदले सट्टेबाज़ों से 250 करोड़ रूपये लिए. गोपाले बमुश्किल मयप्पन को 15 मिनट लॉकअप में रखते थे और बाद में अपने एयरकंडीशन कमरे में सुलाते थे. इसके बदले मयप्पन सट्टेबाज़ों और गोपाले के स्टाफ को ताज होटल से खाना मंगवाकर डिनर भी करवाता था.

यह भी ख़बर है कि गोपाले ने देश के एक बड़े अंग्रेज़ी अखबार के क्राईम रिपोर्टर को 50 इंच की एलसीडी टीवी भी गिफ्ट किया. टीवी का बिल एक सट्टेबाज़ ने चुकाया. इसी तरह मराठी अखबार के दो क्राईम रिपोर्टरों को गोपाले ने पुणे के अम्बी वैली में पिकनिक के लिए भेजा. इसका भी खर्च गोपाले के निर्देश पर एक बुकी ने उठाया.

दिलचस्प बात तो यह है कि इसी आई.पी.एल. मैच फिक्सिंग की जांच के दौरान गोपाले का देश के कई नामी-गिरामी सट्टेबाजों से नज़दीकी रिश्ते बन गए. कुछ सट्टेबाजों के बिज़नेस में 12-20% की भागीदारी भी कर ली. इतना ही नहीं, गोपाले विदेशों में बैठे कुछ सट्टेबाज़ों के सम्पर्क में थे और उनसे भी बिज़नेस की डील होती रहती थी.

Share This Article