जेएनयू का ‘महा चाट सम्मेलन’ और ‘विवाह निमंत्रण’…

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Fahmina Hussain for BeyondHeadlines

नई दिल्ली : जब सारा हिन्दुस्तान होलिका दहन की तैयारी में मग्न होता है, ठीक उसी समय जेएनयू के छात्र ‘बारात’ की तैयारियों में मस्त होते हैं. पूरे रस्म व रिवाज के साथ ताप्ती होस्टल से एक अद्भूत बारात ढोल-नगाड़ों के साथ जेएनयू परिसर में घूमते-घामते झेलम हॉस्टल के लॉन में पहुंचती है. बारात का झाड़ू के साथ भव्य स्वागत किया जाता है. फिर शुरू होता है जेएनयू का मशहूर ‘महा चाट सम्मेलन’…

इस बार भी तैयारियां ज़ोर-शोर पर हैं. विवाह निमंत्रण छप चुके हैं. और जेएनयू के दीवारों पर सट चुके हैं. निमंत्रण में लिखा है कि ‘अपूर्व यादव कुपुत्र शावान खान तथा झेल कुमारी (राम प्रवेश) कुपुत्री समर पांडे विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं. अतः आप सभी से अनुरोध है कि इस चाट परम्परा के शुभ अवसर पर ताप्ती प्रांगण में पधारे. जैसा कि आपको विदित है कि बारात ताप्ती के महलों से निकलकर निकटवर्ती गड्डानशी ‘झेल-हम’ छात्रावास की ओर रात 8.30 बजे प्रस्थान करेगी.’

निमंत्रण पर विवाह का कार्यक्रम भी तय है. रात्रि 8 बजे गधा चढ़ाई का रस्म होगा. गधा चढ़ाई में तलवार प्रदान करने की रस्म श्री शरद सोनी जी, माल्याअर्पन आसिफ जी द्वारा, तिलक पूनम जी और आरती रोशिना जी द्वारा की जाएगी. 8.15 बजे बारात प्रस्थान करेगी. बारात का प्रस्थान फूल-गुलाल की वर्षा के साथ ताप्ती परिवार द्वारा किया जाएगा. प्रीतिभोज के संदर्भ में निमंत्रण में लिखा है कि ‘झेल-हम’ की भूखमरी को देखते हुए भोजन करके बारात में आएं.

इस चाट सम्मेलन में चन्द्र-अ-भागा के अ-भागे बच्चें, लोहित के लुबलुबिए अ-लहुलूहान किशोरें, माही-मांडवी के मतमंगी मनचलें, ताप्ती के तरसते-(अ) बरसते, खांसते चुगलखोर लुच्चे-लफंगे, साबरमती के शर्मीले, नखरीले, मुर्झाए संत, कावेरी के असफल कवि एवं नेटवर्क फेल प्रेमी, सतलज के सठियाए, चटपटियाए, बौराए, फगुनाए शिकारी बुड्ढे, कोयना-शिप्रा के बेसुरी कोयलों, चहचहाती, फुदकती गउरैयाएं और दामोदर के उपेक्षित बदहवास, काला पानी की सज़ा काट रहे नौ-निहाल बेजुबान सभी शामिल हो रहे हैं.

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स्पष्ट रहे कि पिछली बार इस ‘महा चाट सम्मेलन’ में झाड़ू का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया था ताकि इसका फायदा कोई राजनीतिक पार्टी न ले सके. लेकिन दुल्हों में ‘अरविन्द केजरीवाल’ ज़रूर नज़र आए थे वो भी झाड़ू के साथ… कान मफलर से ढ़का हुआ, शरीर पर हाफ स्वेटर के साथ-साथ अपने सदाबहार खांसने वाले स्टाइल में… साथ ही साथ राहुल गांधी, नरेन्द्र मोदी, लालू प्रसाद यादव या अन्य नेता जनता को कैसे चाटते हैं, इन बातों से भी यहां मौजूद जनता को परिचित कराया गया था. जिसका सबने जमकर लुत्फ उठाया था. इस बार झाड़ू प्रतिबंधित नहीं है. इसका ज़बरदस्त इंतज़ाम किया गया है. बारातियों का झाड़ू के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा.

दरअसल, जेएनयू की यह अद्भूत परंपरा पिछले 30 सालों से चली आ रही है. पहले यह ‘महा चाट सम्मेलन’ झेलम हॉस्टल के मेस में ही आयोजित किया जाता था. लेकिन लोगों की बढ़ती भीड़ व दिलचस्पी को देखते हुए सन् 2001 से इसे लॉन में शिफ्ट कर दिया गया. छात्र बताते हैं कि तभी से ताप्ती हॉस्टल से बारात निकालने की रवायत भी शुरू हुई.

इस ‘महा चाट सम्मेलन’ के आयोजन की पूरी ज़िम्मेदारी झेलम चाट समिति की होती है और झेलम का हॉस्टल प्रेजिडेंट आमतौर पर इसका अध्यक्ष होता है. कैंपस के पुराने चाट इसके निर्णायक मंडल में शामिल होते हैं और वक्ताओं को ग्रेड देते हैं. बेहतर प्रदर्शन करने वालों को ‘चाट’ और ‘चटाइन’ का खिताब दिया जाता है. लेकिन पिछले  बार यह निर्णय लिया गया था कि अब से जेंडर बायसनेस नहीं चलेगी. जिस तरह महिला नेता को ‘नेताइन’ या ‘नेतानी’ नहीं कहते हैं, उसी प्रकार अब हम ‘चटाइन’ नहीं कहेंगे. लड़कियों को भी अब ‘चाट’ का ही खिताब दिया जाएगा.

यह सम्मेलन देर रात तक मामू के इंतज़ार में चलता रहता है. जब आगमन होता है और वो अपने शायरी व अपनी बातों से लोगों का मनोरंजन कर देते हैं तब जाकर इसके समाप्ती की घोषणा की जाती है, और फिर यहां से शुरू होता है कैंपस में रंगों वाली होली का आगाज़…

जेएनयू की एक सबसे बड़ी देन है यहां का सबसे अलग कल्चर… और वही बात इस ‘महा चाट सम्मेलन’ में भी बखूबी देखने को मिलता है. होली के जश्न में यहां हंसी-ठिठोली खूब चलती है, भोजपूरी गानों व संवादों का प्रयोग खूब किया जाता है, लेकिन यह छिछोरेपन में न बदल जाए, इसका खास ख्याल रखा जाता है. यही कारण है कि लड़कियां भी सहज भाव से इस ‘महा चाट सम्मेलन’ में खूब भाग लेती हैं और खूब मस्ती भी करती हैं. अगर आप भी होली के मस्ती से सराबोर होना चाहते हैं तो बारात में ज़रूर शामिल हों और फिर चाट सम्मेलन का आनन्द लें.

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