BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: आज़म खान का दूसरा चेहरा, जिसमें है तानाशाही की झलक!
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Exclusive > आज़म खान का दूसरा चेहरा, जिसमें है तानाशाही की झलक!
Exclusive

आज़म खान का दूसरा चेहरा, जिसमें है तानाशाही की झलक!

Afroz Alam Sahil
Afroz Alam Sahil Published February 3, 2017 2 Views
Share
15 Min Read
SHARE

रामपुर : आज़म ख़ान के दो रूप हैं. काली टोपी, सफ़ेद शफ़्फ़ाक कुर्ता पाज़ामा पहने सच्चे मुस्लिम क़ायद का रूप. जिससे मीडिया के ज़रिए हम सब वाक़िफ़ हैं.

ये वाले आज़म ख़ान प्रधानमंत्री को वज़ीर-ए-आज़म कहते हैं. उर्दू ज़बान के अल्फ़ाज़ों को अपने राजनीतिक जुमलों में पिरोते हैं, संघ की आंख में खटकते हैं और मुसलमानों का रहनुमा होने की तमाम शर्तें पूरी करते हैं.

इनके सिर यूपी की सियासत का सेहरा है, नाम के साथ मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी जुड़ी है. अख़बार इन्हें क़द्दावर मुस्लिम नेता लिखते हैं और दूर से देखने वाले मुसलमान इन पर नाज़ करते हैं.

इनका एक दूसरा रूप भी है. जो सिर्फ़ रामपुर पहुंचकर ही नज़र आता है. इसमें तानाशाही की झलक दिखती है. संपत्तियां क़ब्ज़ाने का लालच दिखता है. सत्ता की हनक दिखती है. घमंड दिखता है और इस सबसे ऊपर इंसानी हक़ूक़ों की नाफ़रमानी दिखती है.

ये संवाददाता जब रामपुर पहुंचा तो उसे दूसरा रूप ज़्यादा नज़र आया. मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी क़ौम के नाम पर खड़ी की गई आज़म ख़ान की निजी मिल्कियत नज़र आई.

ये संवाददाता आपको आज़म ख़ान का ये दूसरा रूप दिखाने की जुर्रत कर रहा है. उन लोगों का दर्द कहने की जुर्रत कर रहा है जिनके घर आज़म ख़ान की मिल्कियत की नींव में दब गए.

मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की आलीशान इमारत के आगे मौलाना मुहम्मद अली जौहर मार्ग के ख़त्म होते ही सराय गेट यानी मुहल्ला घोसियान में यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री आज़म खान के तानाशाही की दास्तान शुरू होती है.

42 साल के इसहाक़ मियां कहते हैं कि —‘भले ही पूरे रामपुर में आज़म खान का ख़ौफ़ सिर चढ़कर बोलता हो, लेकिन अब हम ख़ामोश नहीं रहेंगे, चाहे हमारी जान ही क्यों न चली जाए.’

बताते चलें कि ये घोसियान वही मुहल्ला है, जहां घोसी बिरादरी से ताल्लुक़ रखने वाले 47 ग़रीब परिवार के मकान आज़म खान के एक ‘स्कूल’ के चलते तबाह हो गए. यहां आज़म ख़ान का रामपुर पब्लिक स्कूल तैयार किया गया है. बच्चों को खेलने के लिए मैदान की ज़रूरत थी और इसकी क़ीमत यहां के 47 से अधिक परिवारों ने अपना घर तबाह होता देखकर चुकाई. इनकी न कोई फ़रियाद सुनी गई और न इनका दर्द समझा गया. बादशाहों की तरह एक झटके में घर खाली करा लिए गए और फिर उन्हें ज़मीनदोज़ कर दिया गया. ये लोग दर–दर की ठोकरें खाते रहें, फ़रियाद करते रहें, मगर कोई भी आज़म ख़ान के ख़ौफ़ के आगे इनका दर्द सुनने को तैयार नहीं हुआ.

दरअसल, ये ज़मीन सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की थी. यहां यतीमखाना बनना था. लेकिन नहीं बन सका, तो फिर बोर्ड ने इन घोसी बिरादरी के लोगों को किराए पर दे दिया. ये लोग इसका किराया भी भरते थे. रसीद इनके पास मौजूद है. बाद में इसी आधार पर प्रशासन ने भी इन्हें ज़मीन आवंटित किया था. यहां यह भी स्पष्ट रहे कि यूपी में वक़्फ़ विभाग का ज़िम्मा आज़म खान के पास था.

अब्दुल इसहाक़ कहते हैं कि —‘पूरी ज़िन्दगी 15 अक्टूबर 2016 का दिन और आज़म खान के इस ज़ुल्म को हम नहीं भूल सकते हैं. भारी संख्या में पीएसी व फोर्स लगाकर हमारे 25 साल पुराने घरों के साथ हमारे सामानों को भी दफ़न कर दिया गया. हमारी औरतों व बच्चों को सिविल लाईन ले गए और हम मर्दों को घर छोड़कर भागना पड़ा.’

वो बताते हैं कि —‘जब इस ज़ुल्म की घटना को अंजाम दिया जा रहा था, तब मीडिया को मौलाना मुहम्मद अली जौहर रोड पर ही रोक दिया गया. किसी ने आने की कोशिश की तो उनके कैमरे तोड़ दिए गए. मीडिया यहां तभी आ पाई जब सारा मलबा पूरी तरह से साफ़ कर दिया गया. और वैसे भी यहां के किस मीडिया में इतना हिम्मत है कि वो आज़म खान के ख़िलाफ़ कोई न्यूज़ दिखा दे.’ इसहाक़ के इस बात की पुष्टि दो स्थानीय पत्रकार भी करते हैं.

55 साल के शाकिर अली आज़म खान पर आरोप लगाते हैं कि —‘वो सिर्फ़ गरीबों का माल लूटते हैं और अमीरों को फ़ायदा पहुंचाते हैं. वैसे भी गरीबों को तो हर कोई मसल देता है. वो हमारा सब कुछ ले गए, घर की ईंटें तक नहीं छोड़ीं.’

यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक़ इस पूरे मामले में 32 लोगों पर मुक़दमा हुआ है. 3 लोग सदमे में मर गए हैं. इनमें एक मर्द और दो औरत शामिल हैं. जिन लोगों ने इस स्कूल के लिए ज़मीन दी है, उसे मुआवज़ा दो लाख रूपये तक देने की बात की गई थी, लेकिन 56 लोगों में से सिर्फ़ 13-14 लोगों को ही मुआवज़ा मिल पाया, वो काफी मामूली रक़म दिया गया.

19 साल के इमरान अली का कहना है कि —‘अब तक यहां के लोग आज़म खान को ही वोट देते आए हैं. मुझे भी इस साल पहली बार वोट देना है, लेकिन मेरा पहला वोट आज़म के ख़िलाफ़ होगा. हमारे घर वालों के रोज़गार को छीन लिया गया.’

वहीं इसी इलाक़े में रहने वाले 32 साल के शब्बीर अली का कहना है कि —‘इस बार भी विकास की जीत होगी, आज़म खान ही जीतेंगे. आप ही बताईए कि क्या आपसे हर कोई खुश रह सकता है क्या. जल्द ही पशुपालकों के लिए आज़म खान योजना शुरू करेंगे. और वैसे भी घर स्कूल के लिए ही तो तोड़े गए हैं. स्कूल भी शुरू हो गया है और फ़ीस सिर्फ़ 20 रूपये रखा गया है.’ हालांकि वो ये भी बताते हैं कि इस बस्ती का कोई भी बच्चा इस स्कूल में नहीं पढ़ रहा है, ज़्यादा फ़ीस देकर यहां के बच्चे बाहर पढ़ते हैं.

लेकिन 24 साल के सरफ़राज़ अली का कहना है कि —‘स्कूल वाले हमारे बच्चों का दाखिला नहीं लेते. दिखावे के लिए 20 रूपये की फ़ीस है, लेकिन नर्सरी क्लास के किताबों की क़ीमत 2800 रूपये और ड्रेस के लिए 1500 रूपये वसूले जाते हैं. बाक़ी कई तरह के फ़ीस अलग से हैं. स्कूल तो बस बहाना था, उन्हें बस ज़मीन क़ब्‍ज़ाना था. अब वक़्फ़ की ज़मीनें उनके ट्रस्ट के नाम पर हो गई हैं.’ हमने इस संबंध में स्कूल का पक्ष जानने की भी कोशिश की, लेकिन स्कूल प्रशासन के लोगों ने मीडिया से किसी भी मसले पर बात करने से साफ़ इंकार कर दिया.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति की अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष फ़ैसल खान लाला के मुताबिक़ —‘मंत्री आज़म खान ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अवैध तरीक़े से ज़मीन क़ब्ज़ा करके आनन–फानन में अपने स्कूल का निर्माण किया. फिर स्कूल के लिए प्ले–ग्राउंड की ज़रूरत महसूस हुई तो उन्हें यतीमखाने की ज़मीन नज़र आई, जहां ये घोसी बिरादरी के लोग पिछले 60-70 सालों से रह रहे थे. पहले इन्हें ज़मीन खाली करने की धमकी दी गई. लेकिन जब इन्होंने विरोध किया तो अफ़सरों ने इन्हें लालच दिया और यह भी प्रस्ताव दिया कि आप सारी ज़मीन न देकर कुछ ज़मीन दे दें. कई लोगों ने ज़मीन दिया और प्रशासन ने कई लोगों को ज़मीन आवंटित भी किया. उस आवंटन के कागज़ात भी लोगों के पास मौजूद हैं, लेकिन आज़म खान को पूरी ज़मीन चाहिए थी, बस फिर क्या था, अचानक रात को इनके घरों पर नोटिस चिपकाया गया. रात के 12 बजे ही पूरे इलाक़े की बिजली काट दी गई और सुबह क़रीब दो हज़ार पीएसी के जवानों को लगाकर तोड़ दिया गया.’

फैसल लाला बताते हैं कि वो इस मामले को लेकर इस घटना से पहले ही राज्यपाल राम नाईक से मिले थे, जिसमें राज्यपाल ने प्रशासन व वक़्फ़ बोर्ड को फटकार भी लगाई गई थी. अब इस मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार में भी शिकायत किया है.   

रामपुर में ये कोई इकलौती दास्तान नहीं है. शहर में वक़्फ़ बोर्ड के ‘ज़ुल्मों’ की बेशुमार कहानियां हैं,  लोगों के मुताबिक इन सबकी पटकथा आज़म खान के इशारे पर ही लिखी गई है.

इसी घोसियान बस्ती के पास ही बसी वाल्मिकी बस्ती की भी अपनी एक अलग कहानी है. तोपखाना इलाक़े में रामपुर नगर निगम के द्वारा बने बापू मॉल के सामने बसी वाल्मिकी बस्ती को तोड़कर  निगम पार्किग बनवाना चाहता था, लेकिन जब इसमें कामयाबी नहीं मिली तो इस बस्ती की सड़क चौड़ा कराने के नाम पर कई घरों में तोड़–फोड़ की गई. मेहनत की कमाई से तैयार किए गए आशियानों की शक्ल बदल दी गई. यहां के लोगों की मानें तो यह सब कुछ आज़म खान के इशारे पर हुआ. मगर आज़म खान का ख़ौफ़ इतना है कि आज भी कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है.

हालांकि लोग दबी ज़ुबानों में सच बयान करते हैं. ये भी कहते हैं कि कुछ लोगों को नौकरी या उसका लालच देकर मामले को रफ़ा–दफ़ा करने की क़वायद की गई, लेकिन अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें सिवाए जिल्लत व मुसीबत के कुछ भी हासिल नहीं हुआ, क्योंकि इनकी कोई पहुंच नहीं, इसलिए इनकी सुनवाई भी नहीं है.

एकलव्य वाल्मिकी का कहना है कि —‘अब मामला ठीक हो गया है. अब मंत्री जी ने हमें गले लगा लिया है. लोगों को नौकरी, ज़मीन सबकुछ मिल गया.’ एकलव्य वाल्मिकी कांग्रेस से जुड़े हैं. ये पूछने पर कि क्या सचमुच ऐसा है या आप फिर गठबंधन धर्म निभा रहे हैं? इस सवाल पर वो मुस्कुरा उठते हैं और कहते हैं कि —‘भाई, आप खुद ही समझदार हैं. अब आप ही बताईए कि कैसे उनके खिलाफ़ बोलें. गठबंधन नहीं हुआ तो फिर हम बताते आपको सारी सच्चाई. हमारा वीडियो देखिएगा यूट्यूब पर, सबसे आगे हम ही नज़र आएंगे.’ यहां हमने कई परिवारों से बात करने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने इस संबंध में बात करने से मना कर दिया.

वाल्मिकी बस्ती का ये मामला अप्रैल 2015 में हुआ था. तब यहां 80 वाल्मिकी परिवारों ने धमकी दी थी कि वो इस्लाम धर्म अपना लेंगे. इन लोगों की दलील थी कि अगर वो इस्लाम धर्म क़बूल कर लेंगे तो स्थानीय विधायक और सूबे के क़द्दावर मंत्री आज़म खान उनके घर टूटने से बचा लेंगे. इसी बहाने ये मामला मीडिया के चर्चे में आ गया और आज़म खान के इशारे पर नगर निगम ने अपने पैर पीछे खींच लिए और पार्किंग नहीं बन सका. लेकिन बाद में सड़क चौड़ा करने के बाद कई घरों को आगे की तरफ़ से तोड़ा ज़रूर गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक़ इससे पहले मॉल के निर्माण के पूर्व भी कुछ परिवारों को वहां से हटाया गया था. हालांकि लोगों का कहना है कि यह उनकी ज़मीन है. 60 साल पहले सामाजिक कल्याण विभाग ने उन्हें दिया था. इनके पास इसके कागज़ात भी मौजूद हैं.

बताते चलें कि नवाबों के शहर रामपुर में कई वक़्फ़ सम्पत्तियां हैं. और जहां वक़्फ़ सम्पत्तियां होती हैं, वहां झपट्टा मारने वाले गिद्ध भी होते हैं. रामपुर जाकर वहां के लोगों से बात करके ये अफ़सोसनाक बात पता चली कि ऐसे गिद्ध हमारे क़ायदों में ही छिपे हुए हैं. हो सकता है कि इस कहानी में लोगों ने जो दावे किए हैं, वो बहुत हद तक सच न हो, लेकिन ये जांच का विषय तो है ही आख़िर क्यों साल में लाखों का किराया मिलने वाले ज़मीन को किसी नेता के ट्रस्ट को एक रूपये के लीज पर दे दिया गया. वो भी तब जब क़ौम के बड़े नेता पर गंभीर आरोप लग रहे हों, तो जांच होनी ही चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि जिस आदमी ने अपनी एक अलग शख़्सियत बनाई हो और खुद को क़ौम के बड़े क़ायद के रूप में क़ाबिज़ कर चुका हो, उसके ख़िलाफ़ जांच की मांग कौन करेगा? वो भी तब जब सूबे में दूसरे नंबर का क़द्दावर व ताक़तवर नेता हो और उसके रसूख के आगे क़ानून भी बौना साबित नज़र आता हो.

TAGGED:azam khanEditor's PickRampur
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Waqf FactsYoung Indian

World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire

May 10, 2025
Waqf Facts

India: ₹1,662 Crore Waqf Land Scam Exposed in Pune; ED, CBI Urged to Act

May 10, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?