हज कमिटी ने इस साल प्रोसेसिंग फ़ीस के नाम पर मुसलमानों से 23 करोड़ कमाएं

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अफ़रोज़ आलम साहिल, BeyondHeadlines

आपने कल हज के ख़ास सीरीज़ की दूसरी स्टोरी में पढ़ा कि कैसे हज कमिटी ऑफ़ इंडिया सिर्फ़ आवेदन फॉर्म के प्रोसेसिंग फ़ीस से 10 करोड़ 07 लाख 85 हज़ार रूपये कमा चुकी है.

आज इस सीरीज़ में हम बताएंगे कि प्रोसेसिंग के नाम पर ये फ़ीस सिर्फ़ एक बार नहीं ली जाती है, बल्कि ड्रॉ में नाम आने के बाद फिर से प्रोसेसिंग फ़ीस ली जाती है और इस बार प्रोसेसिंग फ़ीस की ये रक़म 1000 रूपये होती है.

हज कमिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक़ जिनका नाम ड्रॉ में आ जाता है, उन सभी लोगों को हज कमिटी को 81 हज़ार रूपये अदा करने होते हैं. ये रक़म इस साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में जमा करा लिया गया था.

यहां बताते चलें कि इस 81 हज़ार रूपये में से 80 हज़ार पेशगी हज की रक़म होती है (इस रक़म पर हम अलगे सीरीज़ में बात करेंगे) और 1000 रूपये फिर से प्रोसेसिंग फ़ीस होती है.

हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के सीईओ डॉ. मक़सूद अहमद खान इस फ़ीस के बारे में बताते हैं कि हज कमिटी इसे अन्य खर्चों के लिए लेती है. इस रक़म में से 400 रूपये हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के दफ़्तर के खर्चों के लिए ली जाती है. इसके अलावा बाक़ी रक़म में से 100 रूपये हज कमिटी ऑफ़ इंडिया की हज तरबियती प्रोग्राम करने के लिए राज्यों के हज कमेटियों को देती है. फिर 150 रूपये राज्यों के हज कमिटियों को हज हाउस के खर्चों के लिए दिया जाता है. 200 रूपये इंबारकेशन प्वाइंट पर सहायक इंतेज़ामात करने वाली राज्य हज कमिटी को मुआवज़ा और फिर हज हाउसों के लिए अतिया के तौर पर 150 रूपये की रक़म देती है.

वो आगे बताते हैं कि इस तरह से हम 600 रूपये राज्यों के हज कमिटी को दे देते हैं. बाक़ी बचे 400 रूपये का इस्तेमाल हम पूरे साल अपने ऑफ़िस के खर्चों पर खर्च करते हैं.

स्पष्ट रहे कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि इस साल भारत से कुल 1,28,702 लोग हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के ज़रिए हज पर जा रहे हैं.

इस तरह से 12.87 करोड़ रूपये हज कमिटी ऑफ इंडिया के पास आ जाते हैं. इससे पहले सिर्फ़ फॉर्म से लगभग 10.08 करोड़ रूपये कमा चुकी है. यानी जनवरी महीने के आख़िर तक हज कमिटी के पास क़रीब 23 करोड़ रूपये जमा हो चुके हैं. पिछले साल 26 करोड़ रूपये जमा हुए थे.

बताते चलें कि भारत सरकार को सउदी सरकार से अतिरिक्त कोटा मिलने की वजह से इस बार देश से कुल 1,75,025 लोग हज को जाएंगे. यानी 46,323 हज़ार लोगों के कोटे का हिसाब अभी अलग से है. सरकार ये कोटा प्राईवेट टूर ऑपरेटर्स को दे देती है, जहां मनचाहे पैसे वसूल होते हैं.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि 2011 तक प्रोसेसिंग के नाम पर ये फ़ीस 700 रूपये थी, जिसे 2012 में बढ़ाकर 1000 रूपये कर दिया गया.

नोट : BeyondHeadlines हज को लेकर अपना एक ख़ास सीरीज़ आगे भी जारी रखेगा. अगर आप भी हज करने का ये फ़र्ज़ अदा कर चुके हैं और अपना कोई भी एक्सपीरियंस हमसे शेयर करना चाहते हैं तो आप afroz.alam.sahil@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं. हम चाहते हैं कि आपकी कहानियों व तजुर्बों को अपने पाठकों तक पहुंचाए ताकि वो भी इन सच्चाईयों से रूबरू हो सकें.

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