BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: इन पांच राज्यों में क्या रहा मुस्लिम प्रतिनिधित्व? आख़िर क्यों मुस्लिम विधायक-सांसद नहीं बन पा रहे हैं?
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > इन पांच राज्यों में क्या रहा मुस्लिम प्रतिनिधित्व? आख़िर क्यों मुस्लिम विधायक-सांसद नहीं बन पा रहे हैं?
IndiaYoung Indianबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

इन पांच राज्यों में क्या रहा मुस्लिम प्रतिनिधित्व? आख़िर क्यों मुस्लिम विधायक-सांसद नहीं बन पा रहे हैं?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 14, 2018
Share
6 Min Read
SHARE

By Abdul Wahid Azad

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद आम लोगों (माइनस भक्त) में मौटे तौर पर अभी दो ही पहलुओं की चर्चा है. अच्छा हुआ बीजेपी हार गई, घमंड टूटना चाहिए, बदलाव ज़रूरी है और किसके सिर सजेगा ताज…

इन चुनाव नतीजों से मुसलमान इतने खुश हैं, मानो उन्हें कोई बड़ा ख़ज़ाना हाथ लग गया हो. दरअसल, माहौल या खौफ़ ऐसा है कि मुसलमानों में अपने हक़-हक़ूक़ की बातें करने का शऊर भी जाता रहा.

क़ौम की रहनुमाई के नाम पर बिरयानी उड़ाने वाले जुब्बा-व-दस्तार और सूट-बूट व टाई वाले मुस्लिम क़ायदों को ये तो बताना चाहिए कि ताज़ा चुनाव नतीजों से उन्हें क्या हासिल हुआ.

और अगर आप चौथे खम्भे से ये उम्मीद लगा बैठे हैं कि वो मुल्क के दबे-कुचले समाज के मुद्दों पर कोई बहस-रिपोर्ट करेंगे तो आपको नींद की गोली ले लेनी चाहिए. कम-अज़-कम आपको अपने बेदार होने का भ्रम तो नहीं रहेगा.

आइए, ज़रा अब पांच राज्यों के आए नतीजों का आंकलन करते हैं.

तेलंगाना में मुस्लिम आबादी 12.7 फ़ीसद, राजस्थान में 9.07 फ़ीसद, मध्य प्रदेश में 6.57 फ़ीसद, छत्तीसगढ़ में 2.02 फ़ीसद और मिजोरम में 1.35 फ़ीसद है. तेलंगाना में सीटों की संख्या 119, राजस्थान में 200, मध्य प्रदेश में 230, छत्तीसगढ़ में 90 और मिजोरम में 40 है.

मुस्लिम आबादी के हिसाब से तेलंगाना (119*12.7/100=15.11) में मुस्लिम विधायकों की संख्या 15 होनी चाहिए. राजस्थान (200*9.07/100=18.14) में 18 होनी चाहिए. मध्य प्रदेश (230*6.57/100=15.11) में 15 होनी चाहिए. छत्तीसगढ़ (90*2.02/100=1.81) में 1 से लेकर 2 होनी चाहिए. मिजोरम (40*1.35/100=0.54) में 0 से लेकर 1 होनी चाहिए.

इसका सीधा मतलब ये हुआ कि पूरे 679 (119+200+230+90+40=679) सीटों में मुस्लिम विधायकों की संख्या 50 (15+18+15+1 or 2+0 or 1=50) होनी चाहिए. यानि कुल का 7.3 फ़ीसद होना चाहिए.

असल संख्या क्या है?

पांचों राज्यों में मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या इस बार 19 है. यानी 2.7 फ़ीसद मुस्लिम प्रतिनिधि चुनकर आए हैं. हालांकि, द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि इन राज्यों में 2013 के मुक़ाबले इस बार मुस्लिम प्रतिनिधत्व में बढ़ोत्तरी हुई है.

राजस्थान में मुस्लिम विधायकों की संख्या 2 से बढ़कर 8 हो गई है. मध्य प्रदेश में ये संख्या एक से बढ़कर दो हो गई है, जबकि छत्तीसगढ़ में ये इज़ाफ़ा शून्य से एक का हुआ है. तेलंगाना और मिजोरम में कोई बदलाव नहीं आया है. तेलंगाना में सीटें 8 के 8 बनी हुई हैं और मिजोरम में शून्य का शून्य है.

अब बढ़ोत्तरी का ये कमाल है कि 7.3 फ़ीसद (50) के बजाए 2.7 फ़ीसद (19) मुस्लिम विधायक चुनकर आ रहे हैं तो हम तालियां बजा रहे हैं. अब तो इस पर फ़क़ी-ए-शहर को ही कोई फ़तवा जारी करना चाहिए.

वजह क्या है?

इसकी एक हज़ार वजहें हो सकती हैं, लेकिन मैं सिर्फ़ एक बात बताना चाहता हूं. और इसे इसलिए बताना चाहता हूं कि सांस्थानिक तौर पर मुस्लिम प्रतिनिधित्व कम रखने की साज़िशें रची जाती रही हैं. और ऐसी बदमाशी डिलिमिटेशन कमीशन से कराई जाती है, जिसके फ़ैसले को अदालत में चैलेंज़ नहीं किया जा सकता.

असम के करीमगंज लोकसभा सीट में 45 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर हैं और ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई. इसी तरह उत्तर प्रदेश के नगीना और बहराइच लोकसभा सीटों में 41.71 फ़ीसद और 34.83 फ़ीसद मुस्लिम वोटर हैं, ये दोनों सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.

सच्चर कमेटी ने मुसलमानों के शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति का जायज़ा लिया था, लेकिन उसमें एक चैप्टर मुसलमानों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर भी है. जिसमें बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी वाली सीटों के आरक्षित कर दिए जाने का ब्यौरा दिया गया है.

सच्चर कमेटी के मेंबर सेक्रेटरी रहे अबु सालेह शरीफ़ ने कुछ महीने पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि जब वो रिपोर्ट इकट्ठा कर रहे थे तब योगेंद्र यादव ने उनसे मुलाक़ात करके ये सलाह दी थी कि मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर भी आप रिपोर्ट तैयार करें, लेकिन उनका कहना था कि क़ानूनी तौर पर भी हाथ बंधे थे और वक़्त भी इसकी इजाज़त नहीं दे रहा था, इसलिए ये काम नहीं हो सका…

हमें लगता है कि इस पर काम होना चाहिए. मैं दावे के साथ कहता हूं कि ये काम जुब्बा-दस्तार वाले नहीं कर पाएंगे, ये उनके बस की नहीं है. और न रिटायर होने के बाद मुसलमानों के बीच अपनी जगह तलाशने वाले मुस्लिम आईएएस, आईएफ़एस और आईपीएस अधिकारी. दिक्कत यहीं है, अभी ये नस्ल पैदा नहीं हुई है. अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा…

TAGGED:Editor's PickMuslim Representation
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts
World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire
Waqf Facts Young Indian
India: ₹1,662 Crore Waqf Land Scam Exposed in Pune; ED, CBI Urged to Act
Waqf Facts

You Might Also Like

I WitnessWorldYoung Indian

The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?

May 8, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?