BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: औरतों का मासिक धर्म, सेहत और रमज़ान
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > औरतों का मासिक धर्म, सेहत और रमज़ान
IndiaLeadYoung Indianबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

औरतों का मासिक धर्म, सेहत और रमज़ान

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 16, 2017 1 View
Share
10 Min Read
SHARE

Afshan Khan, BeyondHeadlines

‘जानमाज़ मत छूना… क़ुरआन से दूर हटो… अपने कपड़े अलग धो लेना… तुम्हारा रोज़ा नहीं, लेकिन सबका है, इसलिए छुपकर खा लो…’

क्या आपने कभी इस तरह की बातें सुनी या कही हैं? अगर आप ऐसा सुनकर मान लेती हैं या किसी से इस तरह की बात करती हैं, तो अब मान लीजिए कि आप ग़लत हैं.

पुरुषों को, जो नहीं समझ पाए हों, बता दूं कि यहां बात महिलाओं में हर महीने होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण पीरियड्स या मासिक धर्म की हो रही है.

कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि क्या ये मुमकिन है कि इस आर्टिकल को पढ़ने वाले किसी व्यस्क पुरुष को इस बात का ना पता हो? जी हां यह सच है, कई बार महिलाएं अपने पति तक से इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहती हैं और इसी वजह से उन्हें पता नहीं चल पाता है.

यहां इस विषय पर बात करने का मक़सद साफ़ है और एक ही है —महिलाओं का स्वास्थ्य यानी सेहत.

आख़िर हम कब तक इस बात से दूर भागेंगे और इससे मुंह छिपाते रहेंगे कि हमारे समाज की छोटी सोच की वजह से हर दिन लड़कियों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है. स्कूल जाने वाली क़रीबन 80 प्रतिशत बच्चियां इस जानकारी से अवगत न होने के कारण बहुत सी तकलीफ़ों से जूझती हैं.और यहां तक कि अपने शरीर में होने वाली इस प्राकृतिक प्रक्रिया को एक बीमारी मान लेती हैं.

औरतों में आम तौर पर खून की कमी, कैल्शियम, आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है, जिसके कारण ज़्यादातर महिलाओं को मासिक धर्म के समय हद से ज़्यादा पेट दर्द, पैरों में दर्द, सर दर्द, चिड़चिड़ापन, कमर दर्द, जैसी परेशानियां होती हैं. इस वक़्त उन्हें सबसे ज़्यादा ख्याल और सही भोजन चयन की ज़रूरत होती है.

कल्पना कीजिए कि यदि यह सब परेशानियां उनको रमज़ान माह में हो तब क्या होगा? हालांकि इस्लाम में मासिक धर्म के समय कोई भी धार्मिक विधि जैसे की नमाज़ पढ़ने, क़ुरान पढ़ने या रोज़े रखने से मना किया गया है. कई औरतें इसको अफ़सोस की नज़र से देखती हैं और उन्हें ये ग़लतफ़हमी होती है कि वो आत्मिक तौर पर नापाक हैं जबकि यह धारणा बिल्कुल ग़लत है. बाक़ी कई धर्मों की तरह इस्लाम इसे औरतों के लिए सज़ा या श्राप की तरह नहीं देखता, बल्कि इस्लाम कहता है —यह एक पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है और औरतों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि इसी की वजह से औरतों में बच्चे पैदा करने की क़ूवत होती है.

रमज़ान में ख़ास तौर पर महिलाएं न जाने क्यों इस बात से न सिर्फ़ दूर भागती हैं, बल्कि अपने ही शरीर से नफ़रत करने जैसी स्थिति में आ जाती हैं. जैसे कि पेरियड्स को कोसना, खुद को मर्दो के मुक़ाबले ज़्यादा मुसीबत में देखना. जबकि सही मायनों में ये एक वरदान ही तो है…

इस दौरान रोज़े न रखना कोई सज़ा नहीं बल्कि छूट है, क्योंकि जब आपके शरीर में कमजोरी महसूस हो रही है और आप पहले से ही दर्द से गुज़र रही हैं. ऐसे में खुदा खुद आपसे कह चुका है कि अपना ख्याल रखें ना कि खुद पर ज़ुल्म करें, तब तो आपको इस बात से ख़ुश होना चाहिए न कि मायूस.

सोने पर सुहागे जैसी बात तो यह है कि आपको बराबर का अजर दिया जाता है. अगर आप सिर्फ़ मन में अपने रब को याद करें, क्योंकि अल्लाह का ज़िक्र और उससे मांगी दुआएं इस बात पर निर्भर नहीं करती हैं कि आप किस हाल में हैं. यहां तक कि सजदे में जाकर अल्लाह का शुक्र भी आप इस दौरान कर सकती हैं या जो भी गुफ्तगू आपको करनी हो.

मैंने इस सिलसिले में क़रीबन 30 लड़कियों से बात करने की कोशिश की, जिसमें से हर किसी का यही जवाब था कि बर्दाश्त से बाहर दर्द होता है, लेकिन उन्हें रमज़ान में इस हालत में ज़्यादा परेशानी होती है. दिखावा करना पड़ता है कि वो रोज़े से हैं. सेहरी में हिम्मत न होते हुए भी उठना पड़ता है और सबके लिए खाना पकाना पड़ता है. कई लड़कियां तो मग़रिब तक कुछ भी सही से खाती-पीती नहीं हैं. मैं हरगिज़ महिलाओं में इस त्याग भावना जैसी चीज़ के सपोर्ट में नहीं हूं.

कई लड़कियों की यह शिकायत है कि उनके भाई भी उसे नमाज़ के लिए कहते हैं, इसलिए वो नमाज़ का भी नाटक करने पर मजबूर हैं. यह सच हो सकता है कि कई मर्दो को इस बारे में जानकारी न हो और ना ही वो समझ पाते होंगे कि उनके घर की औरतें किस दर्द से गुज़र रही हैं. लेकिन फिर भी यूं आंख बंद कर लेना कहां तक सही है?

रोज़ेदारों का एहतराम करके उनके सामने न खाना या घर के मर्दों से इस बारे में शर्म के कारण खुलकर बात न कर पाना, ये सब बातें समझी जा सकती हैं. लेकिन ऐसे में आप खुद सोचिए कि लड़कियों की सेहत पर कितना बुरा असर होगा. क्योंकि इस समय उनके शरीर में पानी की कमी से भी बहुत दर्द हो सकता है और उन्हें बहुत से ज़रूरी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है. ऐसे में यह सवाल पूछना जायज़ है कि क्या आज के मर्दों का रुतबा और घमंड इतना बढ़ गया है कि वो अपने ही घर की औरतों का न तो ख्याल रख सकते हैं और न ही उनका घर के कामों में हाथ बंटा सकते हैं? क्या पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) की तरह अपनी बीवी की मदद कर देना सबका फ़र्ज़ नहीं? जिन्हें हर मुसलमान अपना आईडियल मानता है. वो तो हमेशा अपने कपड़े खुद धोते थे. ज़रुरत पड़ने पर झाड़ू तक लगा लेते थे. अगर कोई मर्द अपनी बीवी, बेटी और मां को मदद की नियत से ऐसा करता है,  उनके लिए भी सैल्यूट बनता है.

सही मुस्लिम और सही बुख़ारी की रवायतों से ये मालूम होता है कि पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) ने अपनी बीवी का इस दौरान ख्याल भी रखा और उनके सलूक में भी इस दौरान कोई भी बदलाव नहीं आता था. जबकि कई मुल्कों में पीरियड्स के दौरान आज भी औरतों को समाज में घुलने-मिलने नहीं दिया जाता है. यहां तक कि पति अपनी पत्नियों के पास भी नहीं जाते हैं, जबकि पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) अपनी बीवी आएशा के ऊपर हाथ रखकर क़ुरआन की आयतें पढ़ा करते थे. उनके बाल संवारते और वो भी उनके साथ ऐसा ही करती.

सही मुस्लिम से रवायत है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) जब हज़रत आएशा से नमाज़ के लिए जानमाज़ मांगते तो वो कहतीं, ‘मेरे मासिक धर्म चल रहे हैं.’ इस पर पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) का जवाब होता कि आपके हाथ पर वो खून नहीं लगा है और वो पाक है.

आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि महिलाएं शर्म की वजह से इस पर बात करना नहीं चाहती हैं. और सही से न खा पीकर सेहत से खिलवाड़ करती हैं. यह समझने की ज़रूरत है कि इस वक़्त इस हाल में रोज़ा न रखकर  अगर आप अपनी सेहत का ख्याल रखेंगी तो आप अपने रब की बात मानेगी. और यह भी अपने आप में बहुत बड़ी इबादत है. 

सुरह बक़रा में अल्लाह फ़रमाता है, ‘अल्लाह तुम्हारे लिए आसानी चाहता है, वो मुश्किल को तुम्हारे लिए पसंद नहीं करता है.’ (2:185)

ऐसे में हर घर के मर्दों का भी यह फ़र्ज़ है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) की ज़िन्दगी से सीख लें और सही तरीक़े से घर की औरतों का ख़्याल रखें, क्योंकि सबका ख्याल रखना सिर्फ़ महिलाओं की ज़िम्मेदारी नहीं है. हो सकता है आपके घर की भी औरतें शर्म से इस बारे में बात नहीं करती लेकिन उनका ख़्याल पूरी तरह से रखा जाए, ये आपकी भी ज़िम्मेदारी है चाहे वो आपकी बीवी हों, बहन या बेटी. आपका इमोशनल सपोर्ट उनके चिड़चिड़ापन और ऐसे वक़्त में होने वाले दर्द में उनके लिए दवा का काम कर सकता है.

सिर्फ़ यह कह देना कि हम औरतों की इज़्ज़त करते हैं, काफी नहीं है. हर हाल में कोशिश ये होनी चाहिए कि उनके भी पोषण का ख्याल रखा जाए और उनके शरीर में होने वाले बदलाव के दौरान उनका साथ दिया जाए. उनसे दूरी बनाने की बजाए उनका सहयोग दें. यही सलाह पैग़म्बर मुहम्मद ने भी अपने सहाबा को दी थी.

TAGGED:औरतों का मासिक धर्मऔरतों का मासिक धर्म सेहत और रमज़ानसेहत और रमज़ान
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
I WitnessWorldYoung Indian

The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?

May 8, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Waqf FactsYoung Indian

World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire

May 10, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?