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BeyondHeadlines > India > सिंगरौली पुलिस गोलीकाण्ड : दिल पर हाथ रखकर कहिए कि क्या ये देश आज़ाद है?
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सिंगरौली पुलिस गोलीकाण्ड : दिल पर हाथ रखकर कहिए कि क्या ये देश आज़ाद है?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 20, 2013 2 Views
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10 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

सिंगरौली : दिनांक 13 दिसंम्बर 2013 को घटित बर्बरतापूर्ण पुलिस गोलीकाण्ड के आलोक में आज आदिवासी, किसान, विस्थापित एकता मंच की तरफ से एक प्रतिनीधि मंडल मृतकों के परिजनों से मिला. मुलाकात के दौरान प्रतिनीधि मण्डल से शिकायत करते हुए परिजनों ने यह आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधिश आर.पी. त्रिपाठी के नेतृत्व में कराई जा रही जांच मात्र एक छलावा है और ऐसा सिर्फ गुनाहगार पुलिस कर्मिर्यों को बचाने के प्रयास में किया जा रहा है. परिजनों ने पूरी घटना की सीबीआई जांच की मांग दुहराई व कहा कि इलाके की जनता इससे कम कुछ भी स्वीकार नही करेगी.

मुलाकात करने गये प्रतिनिधिमण्डल से मृतक अखिलेश साह, उम्र 27 वर्ष, के पिता भरतलाल शाह ने यह कहा कि अखिलेश की मौत पुलिस अभिरक्षा में हुई है और इसके तमाम प्रमाण मौजूद हैं. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 5 दिसम्बर 2013 को पूलिस की एक टीम ने अमझर स्थित उनके एक रिश्तेदार के आवास से अखिलेश को उठाया था. 6 तारिख को इस बात की तस्दीक जिला एसपी ने भी फोन पर की थी, जब शाम 7 बजकर 47 मिनट पर मोबाइल नम्बर 09826861168 से उन्होंने अपने सहयोगी श्री मनराखन साहू की मौजुदगी में एसपी के मोबाइल फोन पर कॉल किया था. उन्होने मांग की कि एसपी के कॉल डीटेल निकलवाने पर इस बात को प्रमाणित भी किया जा सकता है.

भरतलाल ने यह दावा किया कि उनके बेटे की पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत दरअसल जिले में डीजल और कबाड़ के अवैध कारोबार में पूलिस की संलिप्तता व हिस्सेदारी को छिपाने का प्रयास है. इस संदर्भ में मृतक का ममेरा भाई विजय शाह का एक बयान आईजी के कार्यालय में पंजीबद्ध किया जा चुका है.

उन्होने बताया कि आरम्भ में पुलिस विजय को ही खोजने अमझर स्थित आवास पर गई थी, जहां विजय के न मिलने पर रिश्तेदारी में आये हुए अखिलेश को उठा लिया. अगले दिन 6 दिसम्बर की शाम जब एसपी से भरतलाल ने फोन पर पुलिस द्वारा अपने बेटे अखिलेश के उठाये जाने सम्बंधी जानकारी लेनी चाही तो एसपी ने आश्वस्त किया कि अखिलेश फिलहाल पुलिस के पास है और उसे सुरक्षित घर पहुंचा दिया जायेगा. किन्तु 7 दिसम्बर को एसपी अपनी बात से मुकर गये और भरतलाल व अन्य लोगों ने पुरा ब्योरा देते हुए बैढन थाने में पुलिस द्वारा अखिलेश के अपहरण की रिपोर्ट लिखानी चाही तो थानेदार एस.एस. राजपूत ने रिपोर्ट लिखने से इन्कार कर दिया.

बाद में उसने परिजनों पर दबाव बनाते हुए सामान्य गुमशुदगी सम्बंधी एक आवेदन लिखवाकर ही मामला पंजीबद्ध किया और आश्वस्त किया कि शाम तक अखिलेश को घर पहुंचा दिया जायेगा. जब अगले दिन 8 दिसम्बर को भी अखिलेश की घर वापसी नहीं हुई तो परिजनों ने रजिस्ट्री के मार्फत बैढन थाना, एसपी,कलेक्टर, आईजी, मुख्य सजिव राज्य सरकार, डीजीपी व मुख्यमंत्री कार्यालय को विस्तृत शिकायत भेजी.

इस बीच एसपी जयदेवन ए ने परिजनो में भय पैदा करते हुए विजय शाह के छोटे भाई संजय शाह को हिरासत में ले लिया और उसे जमकर मारा पीटा गया. फिलहाल संजय पुलिस की अभिरक्षा में बनारस के एक अस्पताल में भर्ती है और जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है.

ज्ञात हो कि जिस विजय साह को खोजने के दौरान अखिलेश व संजय को अवैध हिरासत में लिया गया उसी विजय साह ने आईजी रीवा के समक्ष ये बयान दिया कि सिंगरौली एसपी के द्वारा डीजल चोरी में होने वाली आमदनी में अपना हिस्सा लेने के लिए उसे व उसके परिवार को प्रताडि़त किया जा रहा है.

अखिलेश की मौत का जवाब मांगने पहुंचे स्थानीयजनों पर पुलिस फायरिंग के फलस्वरूप मारे गये नकीब उम्र 22 वर्ष के पिता लतीफ उर्फ छोटे ने मंच के प्रतिनीधि मण्डल को बताया कि गोली मारने के पश्चात नकीब को पुलिस ने अस्पताल तक नहीं जाने दिया. अस्पताल ले जाने के प्रयास में लगे नकीब के मामा शमीम खान एवं उन्हें बेरहमी से पीटा गया. शमीम खान आज भी घायल अवस्था में हैं व चलने में असमर्थ हैं. नकीब के परिजनों ने यह मांग की कि पूरी घटना की सीबीआई जांच हो तथा एसपी जयदेवन ए व थानाध्यक्ष एस.एस. राजपूत समेत मौके पर मौजूद सभी प्रशासनिक-पुलिस अधिकारियों पर इरादतन हत्या और दंगा कराने का मुक़दमा कायम किया जाये. शमीम खान ने यह मांग की कि घटना के तत्काल बाद से जारी क्षेत्र के युवाओं का पुलिस उत्पीड़न रोका जाये तथा फर्जी मुक़दमों में न फंसाया जाए.

स्थानीय जनता ने प्रतिनीधि मण्डल को यह बताया कि नकीब के साथ-साथ पुलिस गोलीकाण्ड में गोली खाये अन्य लोगों को बैढन स्थित जिला चिकित्सालय में भर्ती कराने पहुंचे लोगों पर चिकित्सालय के अन्दर घुसकर पुलीस ने लाठीयां भांजी. जनता के सामने आईजी के समक्ष अपने क़बुलनामें में कलेक्टर सिंगरौली ने यह स्वीकार किया कि चिकित्सालय के भितर घुसकर लाठीचार्ज का आदेश पुलिस को उन्होंने स्वयं दिया था. हालांकि गोली चलाने के आदेश के मामले में वे मुकर गये.

मृतक नकीब के परिजनों का यह दावा है कि गोली लगने के बाद समय पर इलाज उपलब्ध करानें में पुलिस ने गतिरोध न पैदा किया होता तो आज नकीब जिन्दा होता.

प्रतिनीधि मण्डल में शामिल मंच के संयोजक श्री लक्ष्मीचन्द दुबे ने कलक्टर एम. सेलवेन्द्रन पर पुलिस को बचाने की दृष्टि से एकतरफा कार्यवाही करने का आरोप लगाया व कहा कि जिस मामले में पुरा जिला प्रशासन स्वयं जिम्मेदार है उस मामले में जिला प्रशासन से न्याय की अपेक्षा नहीं की जा सकती. मृतकों के परिजनों द्वारा सीबीआई जांच की मांग को जायज़ क़रार देते हुए श्री दुबे ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुक़दमा तत्काल पंजिबद्ध किया जाय तथा मौके पर मौजूद तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्काल निलंबित किया जाए.

मंच ने यह न्यायिक अभिरक्षा में एक और युवक संजय साहु की नृशंस पिटाई की भी आलोचना की और कहा कि पुलिस द्वारा संजय की हत्या की भी पुरी आशंका है. फिलहाल संजय को बेरहमी से पीटने के बाद पुलिस अभिरक्षा में बनारस के एक अस्पताल में रेफर कराया है जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है. ज्ञात हो कि संजय साहु को 6 दिसम्बर को अखिलेश को छोड़ने के एवज में थाने बुलाया गया था जबकी बाद में अखिलेश को पुलिस अभिरक्षा में ही मार दिया गया.

मंच ने इस मामले में प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है जिसके जवाब में सिंगरौली की जनता के पक्ष में पूरी लड़ाई लड़ने का आश्वासन दिया है. दिल्ली से जारी अपने बयान में राष्टीय उपाध्यक्ष, पीयूसीएल चितरंजन सिंह ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल बर्खास्त किया जाय व उन पर आपराधिक मुक़दमें कायम किया जाए. रालेगांव सिद्धि स्थित अन्ना हजारे के अनशन स्थल से जारी बयान में पूर्व विधायक व किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डा. सुनीलम ने राज्य सरकार से इस घटना की जिम्मेदारी लेने की मांग की और कहा कि सिंगरौली की जनता की शहादत बेकार नहीं जाने दी जायेगी.

लोकविद्या जन आन्दोलन की राष्ट्रीय समन्वयक चित्रा सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि पुलिस गोलीकांड की यह घटना निन्दनीय है और राज्य सरकार द्वारा निष्पक्ष कार्यवाही की जानी चाहिए. छिन्दवाड़ा से जारी अपने बयान में समाजवादी जन परिषद के नेता सुनील भाई ने पुलिसिया अत्याचार की तीव्र निन्दा करते हुए कहा कि लगातार अनियंत्रित होती पुलिस के खिलाफ न्यायालय को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए.

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की राष्टीय उपाध्यक्ष व भाकपा (माले) नेता ताहिरा हसन व इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता व मानवाधिकार कार्यकर्ता नम्रता तिवारी ने जारी अपने संयुक्त बयान में कहा कि पुलिस के मार्फत सिंगरौली की जनता के अनवरत होते शोषण के खिलाफ देश भर से आवाज़ उठाने की ज़रूरत है तभी दशकों से अपने अधिकारों से वंचित जनता को न्याय मिल सकेगा.

7 सदस्यीय प्रतिनीधि मण्डल में श्री लक्ष्मीचन्द दुबे के अलावा श्री अम्बिका नामदेव, मंजु सिहं, एकता, रवि शेखर तथा वेद प्रकाश शामिल हुए. किसान, आदिवासी, विस्थापित एकता मंच जल्द ही सभी से चर्चा कर के आगे की रणनीति घोषित करेगा.

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