बीएच न्यूज़ डेस्क
जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बेगुनाह मुसलमानों की आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तारियां और उत्पीड़न करना अब राष्ट्रीय मुद्दा बन रहा है. देशभर के मुसलमानों में इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है और अब वो इस पर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं.
हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रम भारत सरकार और जांच एजेंसियों पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हमारे देश में आतंकवाद के नाम पर राजनीति हो रही है?
आतंकी साजिश के नाम पर मुसलमान युवकों को पुलिस द्वारा उठाना, फिर हिरासत में उनका शोषण और उसके बाद कोर्ट की कार्रवाई के नाम पर गुनाह साबित हुए बिना ही जेल में डाल देना हमारे सिस्टम का हिस्सा बन गया है. कई युवक तो पुलिस कस्टडी में ही दम तोड़ चुके हैं. हाल ही में कतील सिद्दीकी की पुणे की यरवदा जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत कई सवाल खड़े करती है. कतील को पिछले साल नवंबर में उस मालमे में गिरफ्तार किया गया था जिसमें अभी उसका हाथ होना साबित तक नहीं हो पाया है.
पेशे से इंजीनियर और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ‘ब्रांडेड आतंकी’ फ़सीह महमूद के बारे में भी केंद्र सरकार या जांच एजेंसियां कुछ भी खुलकर नहीं बोल रही हैं. फ़सीह को लेकर मीडिया में कई तरह की प्लांटेड खबरें आ रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि उसे जल्द ही सऊदी अरब से भारत लाया जाएगा. वहीं इज़राइली दूतावास की कार पर हमले के आरोपी और उर्दू पत्रकार सैय्यद काज़मी अभी भी जेल में हैं.
मुसलमानों को आतंकी ब्रांड किये जाने और आतंकवाद की राजनीति पर चर्चा के लिए दिल्ली कांस्टीट्यूशनल क्लब में 9 जुलाई को एक पब्लिक मीटिंग बुलाई गई है जिसमें मुलायम सिंह यादव, प्रकाश करात, शरद यादव, एचडी देवेगौड़ा, एबी वर्धन, जस्टिस बिलाल नजकी, चंद्र बाबू नायडू, रामविलास पासवान, डी राजा, गुरुदास दास गुप्ता सहित काई अन्य राजनीतिक हस्तियां भी शामिल होंगी.
इस पब्लिक मीटिंग को वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफा, अजीत साही, मो. अदीब (राज्यसभा सांसद), इक़बाल अहमद, अनुराधा चिनॉय और अमीक जामई ने बुलाया है. आप भी 9 जुलाई को तीन बजे कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हाल में होने वाली इस बैठक में शामिल हो सकते हैं.
