हिमांशु कुमार
पूरे देश में इस समय हालत यह है कि अगर आप पैसे वाले हैं और आपकी राजनीति में सांठ-गांठ है तो आप इस मुल्क के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्ज़ा कर सकते हैं.
पहाड़ और नदियों जैसी कॉमन प्रापर्टी को भी खरीद सकते हैं. मैं अपनी साईकिल यात्रा के दौरान राजस्थान से गुज़रा. हमने वहां देखा कि राजस्थान के जयपूर में मुंबई, दिल्ली और बड़े-बड़े शहरों के सेठ जाते हैं. वहां मंत्री और सी.एम. को पैसा देते हैं और अपने नाम पर लीज कटवा लेते हैं. पहाड़ो पर विस्फोट बैन है, लेकिन एक-एक हज़ार फिट के बोर करके डाइनामाइट से पहाड़ों को उड़ाया जा रहा है. अब राजस्थान में पानी तो वैसे ही कम है, और इसकी वजह से धरती के नीचे का भी संतुलन बिगड़ रहा है. नतीजा यह हुआ है कि प्यासे लोगों के हैंडपंप भी सूख गये हैं. यात्रा के दौरान हमें कई औरतें मिली, जो सूखे हैंडपंपों पर आंसू बहा रहीं थीं. कुंए भी सुख गए. और मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी पानी नहीं है.
गांव के गांव बर्बाद होने की कगार पर खड़े हैं, लेकिन पर्यावरण विभाग का कहना है कि आबादी से डेढ़ किलो मीटर दूर विस्फोट या खनन किया जा सकता है. दिलचस्प बात यह है कि वहां केसिर्फ मंत्रियों की ही नहीं बल्कि खनन मंत्री की खुद की 50 अवैध खदाने हैं. सबसे हैरत की बात यह है कि पर्यावरण विभाग भी खनन मंत्री के पास ही है.
यानी प्राकृतिक दोहन पर नजर रखने वाला विभाग भी मंत्री जी के हाथ में ही है. खुद पर नज़र रखने के लिए उन्होंने खुद को ही नियुक्त कर रखा है. प्राकृतिक संसाधनों की लूट के इस खेल के लुटेरे भी वो खुद हैं और हवलदार भी खुद ही. यह राजस्थान की सरकार का एक ऐसा सच है जिसे जानते तो सब हैं लेकिन जिसका विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं है. आम लोग विरोध करते भी हैं तो उन्हें दबा दिया जाता है.
मुझे यात्रा के दौरान बहुत सारे नौजवान मिलें. मैंने पूछा कि विरोध क्यों नहीं करते तो उनका कहना था कि जो विरोध करने जाता है उसे उठा कर जेल में डाल दिया जाता है. एक गांव में तो जब लोगों ने खनन का विरोध किया तो 36 लोगों पर बलात्कार का मामला दर्ज करा दिया गया. मैंने एक जगह देखा कि एक गांव में नरेगा के तहत 35 लाख रूपये खर्च करके एक तालाब बनाया गया था. 35 लाख के सरकारी खर्च पर खोदे गए इस तालाब में खनन से निकली बेकार धूल और पत्थर डाले भरे जा रहे थे. यानी गांव वालों ने अपने लिए जो तालाब खोदा है उसको खनन माफिया वाले समतल कर रहे हैं. और इस पर कोई कुछ बोल भी नहीं सकता, क्योंकि सबके पास अपने गुंडे हैं और पुलिस वाले उनकी जेब में हैं. नेता उनकी जेब में हैं. ऐसे में यहां के लोग बहुत गुस्से में हैं. मुझे लगा कि अगर यहां नक्सलाईट आ जाएं तो उन्हें यहां बना बनाया एरिया मिल जाएगा. यहां के लोग तो बंदुक उठाने को तैयार बैठे हैं. पूरा राजस्थान अंदर ही अंदर सुलग रहा है…
To be continue….
(अफ़रोज़ आलम साहिल से बातचीत पर आधारित)