BeyondHeadlines News Desk
जब से यह दुनिया है, तब से रोज़ा यानी व्रत का कल्पना किसी न किसी रूप में हर धर्म में पाया जाता रहा है. यह बात अलग है कि इसके तरीकों और दिनों में विभिन्नता पाई जाती है. दुनिया की धार्मिक इतिहास बताती है कि जिस तरह ईश्वर की उपासना (पूजा) हर दौर में की गई है, चाहे उसकी शक्ल कुछ भी रही हो, उसी तरह रोज़ा (व्रत) भी एक प्राचीन धर्मिक इबादत है और इसको विश्वव्यापी हैसियत प्राप्त रही है.
बहरहाल, बात यदि इस्लाम धर्म में रमज़ान के रोज़ों के लिए की जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास के लिए लाभदायक माना जाता है. कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि रोज़ों से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन चिकित्सा शास्त्र और साईंस की प्रमाणित हकीकत है, जिन से पता चलता है कि रोज़ा के बाद इंसान के स्वास्थ्य में और बेहतरी आती है.
ऐसा भी माना जाता है कि रमज़ान के महीने में तीसों रोज़ा रखने से पाचन क्रिया ठीक हो जाती है और पेट में पल रहे जहरीले तत्व निष्कासित होने शुरू हो जाते हैं. हमारी रक्षात्मक ताक़त में बढ़ोत्तरी होती है और दिमाग़ी ताक़त भी बढ़ जाती है. इस बात की पुष्टि रूसी वैज्ञानिक ‘यूरी निकोलाइएव’ और टेक्सास के ‘डॉ॰ एैलन कांट ’ ने भी की है. उनका कहना है कि रोज़े कई बीमारियों का निवारण भी करते हैं.
डॉक्टर बताते है कि ‘आम दिनों में आहार लेने पर आमाशय निरंतर प्रक्रिया में रहता है, किन्तु रोज़ों के दौरान उसे आराम करने का मौका मिल जाता है. उनके अनुसार यह धारणा भी ग़लत है कि रोज़ो में कमज़ोरी आती है. दरअसल ऐसा शरीर में पानी की कमी के कारण होता है. ऐसे में रोज़ा खुलने पर अच्छी तरह पानी पी लिया जाए तो सब सामान्य हो जाता है.
पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन में किए गए एक शोध से पता चला कि रमज़ान में किसी व्यक्ति का आहार पूरी तरह संतुलित हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. इसके अलावा रमज़ान में किसी व्यक्ति के खान-पान और बुरे वर्ताव पर रोक लगने से वह व्यक्तिगत रूप से अधिक अनुशासित हो जाता है. जोर्डन में हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि इस महीने में आत्महत्या की घटनाएं कम हो जाती है. ब्रिटेन में एक शोध से यह भी पता चला कि रमज़ान के इन रोज़े को रोल मॉडल बनाकर कई स्वास्थ्य संस्थाएं लोगों में शराब और सिगरेट की लत छुड़ाने का प्रयास कर रही है. यह चलन एशिया एवं अफ्रीका में मुख्य रूप से है.
मोटापा जो दुनिया भर में एक आम बीमारी का रूप धारण कर चुका है, इसका बेहतरीन इलाज भी ‘रोज़ा’ है. अपनी एक पुस्तक में डॉ॰ धीरेन ग़ाला लिखते है ‘एक आदमी को अपना वज़न कम करने में डायटिंग के मुकाबले रोज़ा से अधिक सफलता मिलती है. डॉ॰ एडवर्ड पोरंगटीन अपनी पुस्तक ‘फिलोसफी ऑफ़ फास्टिंग’ में लिखते है कि शारीरिक स्वास्थ्य तो बहुत सारे प्राकृतिक इलाज से प्राप्त हो सकती है, मगर दिमागी सकून के लिए रोज़े से बेहतर कोई इलाज नहीं.
रमज़ान के दिनों में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आहार को आम दिनों से अलग करने की आवश्यकता नहीं और न ही डायट बढ़ाने की. बल्कि इन दिनों कम आहार लिया जाना ही बेहतर माना जाता है. संतुलित आहार रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को ठीक करता है, गैस्टिक एसिड कम करता है, कब्ज़ और पाचन शक्ति से संबंधित समस्याओं को दूर करने के साथ चुस्त और स्वस्थ लाइफ स्टाइल के लिए कारगर होता है.