बीएच न्यूज़ डेस्क
दुनियाभर में मुसलमान मारे जा रहे हैं. कहीं इसाई मुसलमानों को मार रहे हैं, कहीं यहूदी मुसलमानों को मार रहे हैं, कहीं बुद्ध मुसलमानों को मार रहे हैं, कहीं बोडो मुसलमानों को मार रहे हैं, कहीं हिंदू मुसलमानों को मार रहे हैं और कहीं मुसलमान मुसलमानों को मार रहे हैं.
किसी बम धमाके में मुसलमानों का मरना सिंगल कॉलम ख़बर से ज्यादा नहीं है. बर्मा में मारे जा रहे लाखों मुसलमानों की ख़बर के लिए तो ट्विटर के 140 अक्षर भी ज्यादा पड़ रहे हैं. ट्विटर पर दुनियाभर की हर तरह की खबरें आ जाती हैं, लेकिन बर्मा में हो रहे नरसंहार के बारे में सब खामोश हैं. अपने भारत में ही हाल ही में असम और उत्तर प्रदेश में हुए दंगों पर किसी ने गंभीर चिंता जाहिर नहीं की. हां! फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया वेबसाइटों के ज़रिए नफ़रत खूब फैलाई गई.
अभी रविवार को ही अमेरिका के विस्कोंसिन में एक सिख मंदिर पर एक गोरे बंदूकधारी ने हमला किया. इस हमले में 6 निर्दोष मारे गए और 20 गंभीर रुप से घायल हुए. बहस हो रही है कि अमेरिका में सिख सुरक्षित नहीं है. अमेरिका ने इसे आंतरिक आतंकवाद का मामला माना है. भारत में सिख मान रहे हैं कि अमेरिकी हमलावर का निशाना मुसलमान थे और ग़लती से सिख उसके निशाने पर आ गए.
दुनियाभर में सिखो को लग रहा है कि उन्हें मुसलमान समझ कर मारा जा रहा है. अमेरिकी वेबसाइट ‘हफिंगटन पोस्ट’ से बातचीत में एक अमेरिकी सिख धर्मगुरु ने कहा कि ‘हम शांतिप्रिय लोग हैं… हम मुसलमान नहीं हैं.’
विस्कोंसिन में जो हुआ वो दुखद है. नफ़रत से प्रेरित ऐसी वारदातों में किसी का भी मारा जाना दुखद है. इन घटनाओं की न सिर्फ निंदा की जानी चाहिए बल्कि इन्हें रोकने और ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों को हतोत्साहित करने के लिए हर संभव क़दम उठाया जाना चाहिए. लेकिन इस सबसे भी दुखद है पूरे मामले में मुसलमानों को शामिल करना.
इस वारदात में न मरने वाला मुसलमान हैं और न ही मारने वाला, लेकिन अमेरिकी और भारतीय वेबसाइटों पर पोस्ट की गई ख़बरों पर आई टिप्पणियों में चर्चा मुसलमानों पर की जा रही है. कोई कह रहा है कि सिख मुसलमानों जैसे दिखते हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया. कोई कह रहा है कि सिख शांतिप्रिय होते हैं और मुसलमान नहीं होते हैं यानि मुसलमान हिंसक है.
फॉक्स न्यूज़ और अन्य अमेरिकी और भारतीय मीडिया पर जिस तरह से बहस में मुसलमानों को बेवजह शामिल किया जा रहा है वो दुखद है. कोई भी चैनल या मीडिया समूह यह नहीं कह रहा है कि 6 निर्दोष मारे गए हैं. सब यही कह रहे हैं कि सिख मुसलमानों के धोखे में मारे गए हैं.
ऐसा लग रहा है जैसे मीडिया दुनिया में होने वाली हर हिंसक वारदात से मुसलमानों को जोड़ना चाहता है. एक अभियान चल रहा है मुसलमानों को हिंसक साबित करने का. खबरें चल रही हैं… बहस जारी है… सिखों के असुरक्षित होने की बात की जा रही है… भारत में सिख नेता अपील कर रहे हैं कि सिख अब मुसलमानों जैसा दिखना बंद करे… और इसी बीच किसी को परवाह नहीं कि 6 निर्दोष मारे गए… और हजारों अन्य मारे जा रहे हैं. इंसानी जिंदगी मुसलमानों-सिखों के फर्क के बीच गुम हो गई है.
