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फसीह महमूद की गिरफ्तारी: अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन…

बीएच न्यूज़ डेस्क

लखनऊ, आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने सउदी सरकार द्वारा अपनी हिरासत में लिए गए दरभंगा बिहार के इंजीनियर फसीह महमूद की पत्नी निकहत परवीन को उनके पति से मिलने की इजाजत न देने की निंदा की है. संगठन ने सउदी सरकार के इस रुख को शर्मनाक बताते हुए उस आरोप लगाया कि सउदी सरकार ऐसा भारत और अमरीका के दबाव में कर रही है.

लखनउ से जारी बयान में मैग्सैसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय, सेवानिवृत पुलिस महानिरिक्षक एस.आर. दारापुरी और वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद शुएब, मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के नेता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि निकहत परवीन ने पिछले दिनों 26 जुलाई 2012 को दिल्ली स्थित सउदी दूतावास को पत्र लिखकर अपने पति से मिलने की मांग की थी. लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी सउदी दूतावास की तरफ़ से उनको अपने पति से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है. जो निकहत परवीन के मानवाधिकार का घोर हनन तो है ही, सउदी अरब और अन्तराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है.

मानवाधिकार नेताओं ने सउदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा वह भारत और अमरीका के दबाव में कर रही है. क्योंकि फसीह महमूद की गिरफ्तारी जो 13 मई 2012 को अल जुबैल स्थित उनके घर से की गई थी, उसमें भारतीय एजेंसियों से जुड़े अधिकारी भी शामिल थे. जिसकी तस्दीक उस दौरान मीडिया में आई खबरों से हो चुकी है. जो अन्तराष्ट्रीय कानूनों और सउदी सरकार की सम्प्रभुता का तो अतिक्रमण था ही, भारतीय कानूनो के लिहाज से भी अवैध था.

क्योंकि भारतीय एजेंसियों ने बिना गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के निर्देश के ऐसा किया. यहां तक की जब फसीह की भारतीय एजेंसियों द्वारा की गई गिरफ्तारी पर सवाल उठने लगे तब डैमेज कन्ट्रोल के लिए भारतीय एजेंसियों ने इंटरपोल से फसीह के लिए रेड कार्नर नोटिस जारी करवा दिया. जबकि गिरफ्तारी उससे पहले ही हो चुकी थी. जिससे साबित होता है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अन्तराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना करते हुए सिर्फ अपने देश में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के अधिकारों का अतिक्रमण करके भी अपने नागरिकों का मानवाधिकार हनन कर रहीं है, जो गंभीर चिंता का विषय है.

आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने निकहत परवीन के सवाल पर अन्तराष्ट्रीय संगठनों से एकजुटता प्रदर्शित करने की अपील करते हुए इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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