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ताकि ईद वैश्विक इस्लामी भाई-चारे व एकता का प्रतीक रहे

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

कल पूरे भारत में हमारे मित्र ईद का चांद ढ़ूंढ़ने में मशरुफ थे. पर कोई कामयाब नहीं हो सका… ईद का चांद किसी को भी खुली आंखों से नज़र नहीं आया. लेकिन तभी केरल के हमारे मित्र ने हमें ईद की मुबारकबाद दी और बताया कि केरल में अधिकारिक तौर पर ईद की घोषणा कर दी गई है और केरल में ईद रविवार को ही मनाई जाएगी. इसी बीच खबर आई कि अरब व खाड़ी देश, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैण्ड, साउथ अफ्रिका, इंडोनेशिया, मलेशिया, लिबिया, मिस्र व विश्व के अन्य देशों में भी संडे को ही ईद मनाई जाएगी. यहां तक कि पाकिस्तान के पेशावर सहित कुछ हिस्सों में भी आज ही ईद की नमाज़ अदा की गई है.

अब सवाल यह है कि ईद को लेकर हमेशा हम भारतीय ही पीछे क्यों रह जाते हैं? आज हमारी पहुंच चांद तक हो गई है. फिर भी हम अपनी सारी ताकत चांद ढ़ूंढ़ने में लगा दे रहे हैं… वो भी हमारा संबंध एक ऐसे धर्म से है, जो विज्ञान पर आधारित है, जहां अंधविश्वास व अवैज्ञानिकता का कोई स्थान नहीं है. और उससे बड़ा सवाल कि क्या केरल भारत से बाहर है…?

मैंने केरल के अपने कई मित्रों से बात की. और यह जानना चाहा कि आखिर क्या वजह है कि वहां ईद संडे को ही मनाई जा रही है, तो मेरे मित्रों ने बताया कि शनिवार को कालीकट में चांद देखा गया. चांद देखने के बाद ही ईद की घोषणा की गई है. फिर मैंने उनसे पूछा कि अगर किसी वजह से चांद नज़र नहीं आया तब केरल के लोग क्या करते हैं तो मेरे उस मित्र का जवाब था कि ऐसी सूरत में केरल के लोग गल्फ देशों को फॉलो करते हैं. उनका यह भी कहना था कि ऐसा करना ज़रूरी भी है, ताकि मुसलमानों में एकता क़ायम रह सके और अरब की अहमियत भी बरक़रार रहे… इस संबंध में हमारे एक मित्र बताते हैं कि “और वैसे कहा जाता है कि ईद वैश्विक इस्लामी भाई-चारे और एकता का प्रतीक भी है. परंतु इस वैज्ञानिक दौर में, जबकि इंसान ‘सितारों पर कमन्दे’ डाल रहा है, सूरज-चाँद तथा सम्पूर्ण सौर्य-परिवार के बारे विस्तृत ज्ञान रखता है, “चाँद देखने” की शर्त पर हँगामा खड़ा करना अपना उपहास भी उड़ाना है और वैश्विक इस्लामी एकता की अवधारणा को धूमिल भी करना है… इस संबंध मे हिन्द-पाक के उलेमा का अड़ियल रुख विचारणीय है…”

मेरे लिए यह समझ से परे है कि चांद को लेकर हम भारतीय मुसलमानों के बीच दूविधा क्यों है? जबकि कुरआन में स्पष्ट लिखा हुआ है कि “…जब नबी से चाँद के बारे मैं पूछा तो बोले कि – “वो तुम से प्रतिष्टित महीनों के बारे मैं पूछते हैं! कहो वो लोगों के लिए और हज के लिए नियत है…” (सूरह बक़र-189)

(Qur’an (2:189): “They ask you concerning the new moons. Say: They are but signs to mark fixed periods of time for mankind and for pilgrimage.)

हदीस में भी कहा गया है कि आप सल्ल. ने कहा अगर दो मुस्लिम सही तौर पर जांच ले (चांद को देख लें) तो रोज़ा रखो या तोड़ो… (मसनद अहमद)

Hadith (Darqutnee and Ahmad): It is reported that the Messenger, pbuh, said, “If two Muslims testify (that they saw it) then fast or break your fast” (as the case may be for the particular month).

एक दूसरी हदीस में कहा गया है कि इब्ने उम्र कहते हैं “जो लोग चांद को देख रहे हैं. मैंने नबी सल्ल. को बताया है कि मैं ने चांद देखा तो उन्होंने खुद रोज़ा रखा और लोगों को रोज़ा रखने का हुक्म दिया” (दाऊद शरीफ)

Hadith (Dawood): It is relayed that Ibn Umar said, “People were looking for the crescent (of Ramadan). I informed the Prophet, peace be upon him, that I saw it. So he fasted (on the following day) and ordered the people to fast.

ऐसे में अगर हमारे देश के केरल राज्य में लोगों ने चांद देख लिया तो क्या भारत के दूसरे राज्य के लोग उन पर यकीन नहीं कर सकते ? और फिर अल्लाह तआला अरब व अन्य देशों पर ही मेहरबान क्यों होते हैं? भारतीयों के पास चांद के आने में देरी क्यों? जबिक एक सच्चाई यह भी है कि अरब व भारत के घड़ी में शायद 3-4 घंटे का ही फर्क हैं, तो चांद भारत आने के बजाए अमेरिका, अफ्रिका या दूसरे देश क्यों चला जाता है…. खैर, तमाम देश-वासियों को ईद की मुबारकबाद… ज्यादा सवाल करूंगा तो कहीं मेरे खिलाफ़ फतवा जारी न कर दिया जाए… लेकिन अंत में मैं फतवा जारी करने वालों से ज़रूर कहूंगा कि इस बारे कुछ सोचें ताकि ईद पूरे विश्व में एक साथ मनाई जा सके और सच में वैश्विक इस्लामी भाई-चारे और एकता का प्रतीक बनी रहे.

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