Latest News

प्रत्येक साल तीन करोड़ साठ लाख लोगों को गरीब बना रही है बीमार स्वास्थ्य सुविधाएं…

Ashutosh Kumar Singh for BeyondHeadlines

भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है. जहाँ के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार मिला हुआ है. लेकिन धीरे-धीरे ऐसे हालात बनते जा रहे हैं जिसके कारण जनसमूह का प्रतीक भारत राष्ट्र भी बीमार होता जा रहा है.

आजादी के बाद से अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि भारत अपने स्वास्थ्य नीति को लेकर कभी भी गंभीर नहीं रहा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत अपने सकल घरेलु उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत राशि ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है. भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर इतना कम खर्च राष्ट्र को स्वस्थ रखने के लिए किसी भी रूप में पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है.

हाल ही में रिसर्च एजेंसी अर्नेस्ट एंड यंग व भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की ओर से जारी एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया जा सकता है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूचसी) प्रोग्राम यानि सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्य के क्रियान्वयन के लिए अपनी सकल घरेलु उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 4 फीसदी हिस्सा बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना होगा. इस रिपोर्ट में स्वास्थय से संबंधित जो मुख्य बातें बतायी गयी है उसके मुताबिक लगभग 80 फीसदी शहरी परिवार और 90 फीसदी ग्रामीण परिवार वित्तीय परेशानियों के कारण अपने वार्षिक घरेलू खर्च का आधा हिस्सा भी ठीक से स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च नहीं कर पाते. सन् 2008 किए गए अध्ययन के आधार पर जारी इस रिपोर्ट में जो सबसे चौकाने वाला तथ्य यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित खर्च के कारण भारत की आबादी का लगभग 3 फीसदी हिस्सा हर साल गरीबी रेखा के नीचे फिसल जाता है. यानी एक ओर जहाँ सरकार गरीबी खत्म करने की बात कर रही है वही स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं देने के कारण देश में गरीबी लगातार बढ़ रही है. यहाँ पर यह भी ध्यान देने वाली बात है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल खर्च का 72 प्रतिशत केवल दवाइयों पर खर्च होता है. यह बात हम भी कई सालों से कहते आ रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था. इसी कड़ी में नयी मीडिया के माध्यम से ‘कंट्रोल एम.एम.आर.पी.’ कैंपेन पिछले 22 जून 2012 से चलाया जा रहा है. जिसके तहत दवाओं पर गलाकाट मैक्सिम रिटेल प्राइस को कंट्रोल करने की वकालत इस कैंपेन को चलाने वाली संस्था प्रतिभा जननी सेवा संस्थान कर रही है.

रिसर्च एजेंसी अर्नेस्ट एंड यंग व फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में जारी इस रिपोर्ट में सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्य के बेहतर क्रियान्वयन के लिए एक रूपरेखा बनाने की आवश्यकता पर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया है. जिसके तहत सरकार अपने सभी नागरिकों को सस्ती कीमत पर दवाईयां और स्वास्थ्य सुविधाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध करवायेगी. रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि अगर जीडीपी का 4 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च किया जाए, तो अगले 10 सालों में सबके लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा.

इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य सभा ने 2005 में अपने सभी सदस्य देशों से आग्रह किया था कि अपने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भ के आधार पर सभी देश इस तरह के कार्यक्रम की दिशा में काम करें. बावजूद इसके भारत इस दिशा में कोई बेहतर योजना को क्रियान्वित करने में सफल नहीं हो पाया है.

यदि हमारी सरकार अपने से ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन की स्वास्थ्य नीति से कुछ सीख ले तो शायद हम भारतीयों का स्वास्थ्य भी तंदरूस्त हो सकता है. गौरतलब है कि चीन एकमात्र ऐसा देश है जो अपनी विशाल जनसंख्या के कारण इसी तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का समाना कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी पिछले दो वर्षों में वह 84 फीसदी जनसंख्या को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में सफल रहा है और फिलहाल जीडीपी का 5 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च भी कर रहा है.

अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को स्वस्थ करने के लिए सरकार दवा कंपनियों द्वारा अपने मनमर्जी से तय की जा रही एप.आर.पी को कंट्रोल करें. सरकारी केमिस्ट की बहाली करे. जीवन-रक्षक दवाइयों को मुफ्त वितरण की व्यवस्था करे. अगर सरकार अभी नहीं चेती तो आने वाले समय में राष्ट्र का स्वास्थ्य और खराब होने की आशंका है, ऐसे में भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का सपना, सपना ही बन कर रह जायेगा.

(लेखक प्रतिभा जननी सेवा संस्थान के राष्ट्रीय को-आर्डिनेटर व युवा पत्रकार हैं)

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]