BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ, आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने आज बैठक कर मुलायम सिंह की वादा-खिलाफी के खिलाफ़ आंदोलन करने का फैसला लिया है. लाटूश रोड स्थित कार्यालय में बैठक के बाद जारी बयान में रिहाई मंच के नेताओं ने आरोप लगाया कि आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों के छोड़ने के नाम के बाबत मुलायम सिंह यादव का जो बयान आया कि दो महीने बाद छोड़ने की प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे, वो मुलायम के दोहरे चरित्र को बताता है.
एक तरफ तो अप्रैल और मई के महीने में उनकी पार्टी के विधायक जो इसी सवाल के नाम पर विधान सभाओं में पहुंचे हैं ने कहा कि बेगुनाहों को छोड़ने की प्रक्रिया सरकार ने शुरु कर दी है. इतना ही नहीं 29 जून को यूपी के एडीजी (कानून व्यवस्था) जगमोहन यादव ने कहा कि एटीएस और जिलों के कप्तानों से ऐसे मामलों को चिन्हित करने को कहा गया है, जिनमें फर्जी धरपकड़ की शिकायत है.
रिहाई मंच के नेताओं ने मुलायम से जवाब मांगा कि जब वो कुछ सांसदों से कह रहें हैं कि छोड़ने की प्रक्रिया दो महीने बाद शुरु करेंगे तब मुलायम बताएं कि उनकी सरकार के कुछ मुस्लिम विधायक और एडीजी (कानून व्यवस्था) जगमोहन क्यों झूठ बोल रहे थे?
रिहाई मंच के संयोजक एडवोकेट मोहम्मद शुएब ने कहा कि एक तरफ सरकार के नुमाइंदे और मुलायम बेगुनाहों को छोड़ने के झूठे वादे कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की राजधानी की लखनऊ जेल में कैदियों पर यातनाओं का दौर बदस्तूर जारी है.
उन्होंने कहा कि 22 सितम्बर को उनके मुअक्लि तारिक कासमी जिनकी गिरफ्तारी पर उठे सवालों की जांच के लिए गठित आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट जिसे सपा सरकार ने एक महीने से दबाए रखा है, ने अवाम के नाम एक पत्र लिखकर जेल में दी जा रही भयानक यातनाओं का जिक्र किया है. इससे सपा सरकार का दोहरा और आपराधिक चरित्र उजागर हो जाता है कि वो जेल में यातनाएं देकर सरकार के खिलाफ बेगुनाहों को छो़ड़ने के लिए उठ रही आवाजों को दबाना चाहती है.
बैठक में सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद अकबर, आफाक, शुएब, प्रबुद्ध गौतम, गुफरान सिद्दिकी, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज आलम और राजीव यादव समेत अनेक लोग उपस्थित थे.