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आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट तत्काल जारी करे सपा सरकार

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ, आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों की रिहाई के सवाल पर सोशलिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में बोलते हुए पूर्व न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर ने कहा कि 2007 में हुए कचहरी धमाकों के आरोप में पकड़े गए आज़मगढ़ के तारिक़ कासमी और जौनपुर के खालिद मुजाहिद पर गठित आरडी निमेष जांच आयोग रिपोर्ट जो 31 अगस्त से सरकार के पास है, यूपी सरकार तत्काल उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करे.

न्यायाधीश सच्चर ने कहा कि प्रदेश की जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि इस रिपोर्ट में आखिर क्या है. क्योंकि इस पर सिर्फ पकड़े गए लोगों की जिन्दगी ही दांव पर नहीं है, बल्कि इन आतंकी वारदातों में मारे गए लोगों के न्याय का सवाल भी इस रिपोर्ट पर टिका है कि आखिर किन लोगों ने उनकी जानें लीं.

प्रेस कान्फ्रेंस में ‘मुस्लिम नौजवान और आतंकवादी घटनाएं’ शीर्षक से 68 व्यक्तियों की सूची जारी की. जिन पर लगाए गए आरोपों की जांच की मांग उठाई.

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और अल्पसंख्यकों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष रहे राजेन्दर सच्चर ने कहा कि आज जिस तरह दस-दस साल जेलों में रहने के बाद आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए मुस्लिम नौजवान अदालतों से बेगुनाह छूट रहे हैं, ऐसे में यह ज़रुरी हो जाता है कि सरकार आतंकवाद के आरोपियों की जांच के लिए अलग से एक जांच आयोग गठित करे. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के चलते मुसलमानों में यह धारणा बनने लगी है कि उन्हें सरकारें नीतिगत कारणों से फंसा रहीं हैं, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक बात है. क्योंकि जब लोकतंत्र में किसी अल्पसंख्यक समाज में ऐसी धारणा बनने लगती है तो लोकतंत्र नहीं बचता.

राजेन्दर सच्चर ने राजनीतिक दलों की धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली राज्य में और केन्द्र में मोदी की पार्टी की सरकार नहीं है. फिर भी बड़े पैमाने पर मुसलमान आतंकवाद के आरोप में फर्जी तरीके से पकड़े जा रहे हैं. जो गैर-भाजपा पार्टियों के सांप्रदायिक चरित्र को उजागर करता है.

पुणे की यर्वदा जेल में दरभंगा बिहार के कतील सिद्दीकी की हिरासत में हुई हत्या पर न्यायिक जांच की मांग करते हुए पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि भारत को हम जर्मनी की तरह नाजीवाद के रास्ते पर नहीं जाने देंगे. वहीं 13 मई से सउदी अरब से भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा गायब किए गए दरभंगा बिहार के इंजीनियर फ़सीह महमूद के सवाल पर उन्होंने कहा कि फ़सीह को तत्काल भारत लाया जाय.

श्री सच्चर ने राजद्रोह के कानून को खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस कानून का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि यह बड़े शर्म की बात है कि कांग्रेस सरकार इस कानून को खत्म नहीं कर रही है, जबकि खुद जवाहर लाल नेहरु ने इसे लोकतंत्र विरोधी बताया था. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता को हासिल सत्ता के विरोध के मूल अधिकार को संरक्षित करने के लिए पीयूसीएल पूरे देश से दस लाख लोगों का हस्ताक्षर राजद्रोह के कानून को खत्म करने की मांग के पक्ष में इकट्ठा कर रहा है. जिसे सरकार को सौंपा जाएगा.

श्री सच्चर ने देश में एफडीआई के सवाल पर कहा कि जिस तरह एक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने व्यवसाय करने के बहाने हिन्दुस्तान को गुलाम बनाकर सदियों तक हुकूमत की. उसी तरह एफडीआई के रास्ते कथित लोकतांत्रिक सरकारें ही देश को नई गुलामी में ढकेल रही हैं जो पिछली गुलामी से ज्यादा खतरनाक होगी.

आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच के संयोजक एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने कहा कि आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट सरकार सार्वजनिक नहीं कर रही है, उल्टे उनके साथ लखनऊ जिला जेल के जेलर और डिप्टी जेलर देर रात शराब के नशे में धुत होकर सांप्रदायिक आधार पर गालियां देते और मारपीट करते हैं.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के आरोप में बंद तारिक़ कासमी ने पिछले दिनों लखनऊ जेल से पत्र लिखकर कैदियों की मानसिक तनाव की स्थिति का जो खुलासा किया जिसके मुताबिक जेल अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों के लोगों द्वारा दी जा रही यातना से त्रस्त कैदियों के जेहन में आत्म हत्या का विचार कौंधता रहता है. उससे समाजवादी पार्टी की स्वघोषित धर्मनिरपेक्षता की पोल खुल जाती है. ऐसे में जेल के अन्दर अगर उत्पीड़न के चलते कोई अप्रिय घटना होती है तो इसकी जिम्मेदार सपा सरकार होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता रवि किरन जैन ने सपा सरकार के दौरान प्रतापगढ़ के अस्थान गांव में हुए दंगे में पुलिस और सपा नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाया और मीडिया के सामने पीयूसीएल की जांच रिपोर्ट जारी की. रवि किरन जैन ने कहा कि अस्थान में हुए दंगों में डर व दहशत की वजह से लोग महीनों से अपने आशियानों पर नहीं लौटे.

सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओमकार सिंह ने कहा कि सपा सरकार ने आतंकवाद ने नाम पर कैद निर्दोषों को छोड़ने के सवाल पर जनता को धोखा दिया है. सपा ने चुनाव के पहले वादा किया था कि अगर सत्ता में आए तो बेगुनाहों को छोड़ेगें, लेकिन बजाय छोड़ने के चार अन्य मुस्लिम युवकों को पकड़ा और इस सरकार के सात महीने के कार्यकाल में आठ बड़े दंगे कराकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की फिराक में है.

प्रेस कान्फ्रेस का संचालन संदीप पाण्डे ने करते हुए कहा कि सोशलिस्ट पार्टी सांप्रदायिकता, मानवाधिकार उत्पीड़न और एफडीआई के सवाल पर प्रदेश में आन्दोलन करेगी.

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