Latest News

सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी और उनके अन्ध-भक्त!

Yogesh Garg for BeyondHeadlines

सोशल मीडिया यानी फेसबुक का जितना फायदा नरेंद्र मोदी उठा रहे हैं उतना ही इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है. मोदी समर्थकों के बनाए पेजों पर और पब्लिक ग्रुपों में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को इस क़दर प्रस्तुत किया जा रहा है कि मानों उनके प्रधानमंत्री बनते ही भारत से सारे अल्पसंख्यक को या तो पाकिस्तान भेज दिया जाएगा या फिर किसी राहत शिविर में और देश में फैली भ्रष्टाचार और व्याप्त असंतोष चुटकी में खत्म हो जायेगा.

हर मुद्दों को मोदी से जोड़कर ऐसे बताया जाता है कि जैसे उनके शासनकाल में कुछ भी गलत नहीं होगा. ऐसा लगता है कि जैसे मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं बल्कि कोई जादुई चिराग हाथ लग जायेगा जिसे घिसते ही जिन्न निकल कर देश की समस्याओं का तुरंत समाधान कर देगा.

वह जिन्न भारत में विकास की लहर ला देगा. मुझे तो कभी-कभी हंसी आती है ऐसे पोस्ट और कमेन्ट देख कर… सोशल मीडिया के उपयोग की रणनीति में मोदी सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं. आरएसएस, भाजपा और विद्यार्थी परिषद से ताल्लुक रखने वाले कुछ कट्टर मोदी समर्थक अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह करते हुए हर तरफ़ सिर्फ और सिर्फ मोदी से सम्बंधित सकारात्मक पहलू ही परोस रहे हैं.

अन्य राजनेताओं की एक-एक छोटी-छोटी गलती को भी मोदी समर्थक इस तरह बढ़ा-चढा कर पेश कर रहे हैं कि जैसे मानों सचमुच वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हों. यहाँ तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्होंने काफी कम समय में विकास के मामले में गुजरात को भी पछाड़ दिया उनके बारे में ऐसे बताया जा रहा है, जैसे राजनीति में मोदी उनसे वरिष्ठ  हों और मोदी के पहले और अब तक भारतीय राजनितिक इतिहास में किसी विकास पुरुष ने पैदा ही नहीं लिया हो.

वर्तमान समय में स्थिति यह है कि सोशल मिडिया पर नरेंद्र मोदी को इतना अधिक प्रचलित किया जा रहा है जैसे वो वाजपेयी, आडवाणी, सुषमा स्वराज से भी अनुभवी और प्रखर नेता हो. इस फेसबुक के माध्यम से ना केवल यूपीए को हड़काया जा रहा है बल्कि भाजपा में उनकी गहरी पैठ बनाने की भी सफल कोशिश जारी है.

यहां तक की इन अन्ध भक्तों के द्वारा झूठे आकंड़े, धार्मिक उन्मादी पोस्टें फोटो शाप से एडिट फोटो, लड़कियो की फर्जी आईडी से प्रचार और गाली गलौज, अपशब्द द्वारा विरोध सारे हथकंडे अपनाये जा रहे हैं.

नरेन्द्र मोदी को इनके अन्ध समर्थकों ने विकास पुरुष ही नहीं  “हिन्दुत्व के  आधुनिक अगुवा”  की संज्ञा  दी है. सही बात तो ये है कि कुछ लोग इतने मतान्ध हो गये हैं कि उन्हें सही ग़लत कुछ नहीं सूझता.  मोदी और हिन्दुत्व के नाम गुण्डाराज चलाना चाहते हैं. अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. राजनीतिक दांवपेच सीख रहे हैं. सीधे-सीधे कहुं तो मोदी को हिन्दुत्व से जोड़कर, हिन्दु धर्म को इन लोगों ने अपनी जागीर समझ लिया है और इसे अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं. और जो इनके अनुसार चलने से मना कर दे या “हिन्दुत्व के आधुनिक अगुवा” पर कोई नकारात्मक टिप्पणी कर दे, उसे गालियां देकर व्यक्तिगत हमले किये जाते हैं. धर्म विरोधी क़रार दे दिया जाता है. आपने अगर मोदी का समर्थन करते हुए मुस्लिम, धर्म निरपेक्ष और कांग्रेसियों की बुराई नहीं की. उन्हें गाली नहीं दी. तो ये लोग आपके हिन्दू होने पर प्रश्न-चिन्ह लगा देंगे. अब हिन्दू होने का प्रमाण पत्र भी ये लोग देते हैं.

आजकल एक और  बात देखने में आ रही है. अरविन्द केजरिवाल का नाम मीडिया में छाये रहने और कांग्रेस विरोध का एक विकल्प बनने से मोदी समर्थकों को बड़ा मानसिक आघात लगा है. मोदी के अन्ध-समर्थक और भाजपाई, अरविन्द केजरीवाल को लेकर बहुत नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

अरविन्द केजरीवाल एक सामान्य आदमी हैं. भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता हैं. जिनका राजनैतिक दल अभी बना भी नहीं है. मोदी और भाजपा के मुकाबले में कहीं नहीं ठहरता. लेकिन फिर भी विरोध इतना अधिक  कि कोई भी पोस्ट केजरीवाल के विषय में करो, गालियों और व्यक्तिगत आक्षेपों से बेहाल कर देंगे. ऐसा इसलिये हो रहा है कि इन समर्थकों को डर है कि शायद केजरीवाल और उनकी पार्टी  कहीं भाजपा और मोदी का विकल्प  ना बन जाये. कम से कम दिल्ली में तो भाजपा को अभी से पसीने छूटने लगे हैं.

कार्यकर्ता और समर्थकों का व्यवहार अपने नेता की छवि बनाता है. मोदी व्यक्तिगत रुप से अच्छे भी हो, लेकिन  इन अन्ध-भक्तों ने सोशल मीडिया में मोदी की छवी साम्प्रदायिक बना दी है. और गाली गलौज के द्वारा सोशल मीडिया एक तरह से शाब्दिक आतंकवाद फैला रखा है.

आखिर में मैं यह बता दूं कि ये अन्ध-भक्त जिस आक्रामक और उग्र तरीके से लोगों को गरियाते फिर रहे हैं, उससे ये कहा जा सकता है कि ये जिस पेड़ पर बैठे है उसे ही काट रहे हैं. मतलब अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना.

इस पोस्ट को पढ़ कर कुछ लोगों को आपत्ति होगी, लेकिन मुझे इसका कोई मलाल नहीं क्योंकि यह हकीक़त है….

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]