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क्या सिर्फ बयानबाजी से खत्म हो जाएगा आतंकवाद?

BeyondHeadlines News Desk

कांग्रेस के चिंतन शिविर में दिए गए केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे के बयान ने आतंकवाद की परिभाषा पर एक बहस का आगाज़ किया है.  एक तरफ शिन्दे के इस बयान का स्वागत किया जा रहा है तो दूसरी तरफ इस बयान को सिर्फ एक राजनीतिक बयान के तौर पर देखा जा रहा है. यही नहीं, बयान के अगले दिन ही बिहार के दरभंगा के चकजोरा गांव से इंडियन मुजाहिदिन के नाम पर दानिश अंसारी की गिरफ्तारी भी हुई और उसके बारे में कहा गया कि यह यासीन भटकल का क़रीबी साथी है, जबकि गांव वाले इसे बेगुनाह बताते हैं. इसके अलावा मुंबई क्राईम ब्रांच ने भी दक्षिण मुंबई से हिजबुल मुजाहिदीन के दो संदिग्ध तथाकथित आतंकियों को गिरफ्तार किया है.

इसी मसले को लेकर आज प्रेस क्लब में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया की तरफ से एक प्रेस कांफ्रेस भी आयोजित की गई. BeyondHeadlines से खास बाचचीत में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. क़ासिम रसूल इलियास ने बताया कि वेलफेयर पार्टी को अंदेशा है कि दिग्विजय सिंह और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बयानों की तरह शिन्दे का बयान भी सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने और आने वाले असेम्बली और लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने का ज़रिया साबित न हो. वो बताते हैं कि यह कितना अजीब है कि कसाब को फांसी तक दे दिया गया लेकिन इसी मामले में एक भारतीय का नाम भी आया था, जिसे हमारी पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इस संबंध में हमने एक आरटीआई से सवाल भी पूछा है, जिसका जवाब इसी सुशील कुमार शिन्दे के गृह मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया है. ऐसे इस बयान के परिपेक्ष्य में जांच और भी ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि मालेगांव बम ब्लास्ट में मुलज़िम ने सीबीआई को दिए गए अपने बयान में हिन्दुत्व आतंवादियों और आरएसएस के बड़े अधिकारियों पर पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध होने का इल्ज़ाम भी लगाया है.

डॉ. इलियास आगे कहते हैं कि कांग्रेस की तरफ से जो रवैया इस बयान के बाद अख्तियार किया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि केन्द्र सरकार और कांग्रेस पार्टी एक बार फिर संघ परिवार का दबाव क़बूल कर रही है. दरअसल, हिन्दुत्व आतंकवाद का चेहरा तो स्वामी असीमानंद के एक़बालिया बयान से ही स्पष्ट तौर पर सामने आ चुका था. मिस्टर शिन्दे ने जो कुछ कहा है वो दरअसल महाराष्ट्र एटीएस के समय के सरबराह हेमंत करकरे ने 2008 में अपनी तहक़ीक़ की बुनियाद पर पेश किया था, जिन्हें मुम्बई आतंकी घटना के दौरान संदेहजनक तरीका से क़त्ल कर दिया गया था. लेकिन अफसोस, इतने अहम जानकारी व दस्तावेज़ी सबूत होने के बावजूद केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें अब तक खामोश तमाशाई बनी रहीं.

डॉ. इलियास सवाल करते हैं कि आरएसएस के अहम रहनुमा इंद्रेश कुमार, प्रवीण तोगड़िया व अन्य व्यक्ति जिनके नाम असीमानंद की चार्जशीट में मौजूद हैं उन पर कार्रवाई करना तो दूर पुलिस ने उन्हें पूछताछ तक के लिए भी नहीं बुलाया. नासिक के भोंसला मिलिट्री स्कूल जहां पर यह तथाकथित आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त करते थे, उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इसी तरह आरएसएस से संबंधित संगठन अभिनव भारत, सनातन संस्थान व राम सेना आदि पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई जबकि इनके नाम कई चार्जशीटों में मौजूद है. आगे वो कहते है कि वेलफेयर पार्टी सरकार से यह मांग करती है कि वो 1999 में जब एनडीए की सरकार सत्ता पर काबिज़ हुई थी, तब से लेकर अब तक देश में हुए सारे आतंकी घटनाओ की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमीशन स्थापित करे साथ ही सरकार आतंक के आरोप में गिरफ्तार मुस्लिम नौजवान के मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए इसी तर्ज के फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करे जिस तरह उसने महिलाओं के विरूद्ध अत्याचार के मामले में बनाए हैं.

वहीं एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने भी भगवा संगठनों पर पाबंदी लगाने की मांग सरकार के सामने रखी है. सबसे बेहतर बात यह है कि राजनीतिक पार्टियां आतंकवाद के मुद्दे पर खुलकर बात तो कर रही हैं, लेकिन अब देखने की बात यह होगी कि आतंकवाद महज़ एक राजनीतिक मुद्दा ही रहेगा या इस दिशा में कुछ कारगर कदम भी उठाए जा सकेंगे?

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