Pravin Kumar Singh for BeyondHeadlines
‘‘सरदार मैंने आप का नमक खाया है!’’ ‘‘ले अब गोली खा’’! शोले फिल्म में साम्भा और गब्बर के बीच यह वार्तालाप किसने नहीं सुना है.
नरेन्द्र भाई मोदी दिल्ली में आकर बोले ‘‘जो नमक आप खाते हैं, वह मेरे गुजरात का है’’. हर एक ने टीवी पर इसे लाईव देखा और सुना.
भारतीय परम्परा में नमक के कर्ज को बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया है. मोदी भाई ने आपणे नमक का हवाला देकर हम सबके सामने धर्मसंकट पैदा कर दिया है. अब इसका हक़ कैसे अदा किया जाए. पिछले कई दिनों से हम सब इसी टेंशन में है. चलो, 2014 आ रहा है, तभी देखेंगे.
चिन्ता यह है कि अगर भाजपा और संघ के सरदारों ने मोदी भाई को मौका नहीं दिया, या फिर नितीश बबुआ बिगड़ गये, तो हम सब नमक हराम कहलाने से कैसे बच पायेंगे. फिर तो हमें नरक का भागीदार ही बनना पड़ेगा.
मां के दूध का कर्ज बेटे पर होता है. आज तक यहीं सुना था. नरेन्द्र मोदी ने आपणो गुजरात का दूध पिला-पिला कर मां क़सम अपुन के मां का स्थान ले लिया है. गुजरात का दूध हम ही नहीं सिंगापुरवासी भी गटक रहे है. अब गुजरात की औरतें छरहरी और खूबसूरत बनने के फिकर में दूध से परहेज रखती है, तो मोदी भाई क्या गुनाह है. गुजरात में फैले कुपोषण की बात एकदम फालतू है. वैसे भी गुजराती दूध दही से ज्यादा ढोकला-सोकला पसन्द करते हैं.
नरेन्द्र भाई की दरियादिली भारतवर्ष में ही नहीं सात समुंदरपार भी छप्पर फाड़ के बरस रही है. यूरोप के फिंरगी जो हरी-हरी भिण्डी चाव से खाते है, सुना कि वो भी सिर्फ गुजरात का होता है. अफगानियों के लम्बी चैड़ी कदकाठी और लाल-लाल गाल का राज भी गर्वा गुजरात के लाल टमाटरों में छुपा हैं. गुजराती टमाटर खाकर अफगानी पख्तून अगर तालीबानी बन जाय, तो नरेन्द्र भाई का क्या कसूर.
भाई मोदी सबसे पते की बात भूल गये कि हम जो निर्मल जल ग्रहण करते है, वो भी गुजरात के अरब सागर से उड़कर मानसून की शक्ल में गंगा, यमुना, सरस्वती पर बरसती है. कहा जाता था जल ही जीवन है. अब बोलना होगा जल-जीवन सबकुछ गुजरात है.
वैसे अपन तो बचपन से टाटा का नमक और बाटा का चप्पल पहनते रहे हैं. कल अगर टाटाजी बोलें मेरा नमक खूब खाया और अपना दांत भी मेरे नमक में तेल मिला कर रगड़-रगड़ के चमकाया. अब बत्तीसी क्या दिखा रहे हो, पीएम बना दो मुझे.
वाकई में नमक और दूध का हक अदा किया तो अमिताभ बच्चन ने. अपनी मातृभूमि उत्तम प्रदेश त्याग कर गर्वीले गुजरात की गाथा दिन भर छोटे पर्दे पर सुनाते रहते है. है न काबिले तारीफ…
नरेन्द्र मोदी का गर्वीला भाषण सुन लोगों में मानो सृजनशीलता की बाढ़ सी आ गयी है. जिसे देखो वहीं अपना मारे जा रहे हैं. उपमा अलंकारों के साथ एक से एक रूपक और तर्क पेश किये जा रहे हैं.
एक मराठी मानुष ने बोला, हे भाऊ! तुम्हारा साग-सब्जी का स्वाद मेरे नासिक के प्याज से आता है. मै कहा नक्की भाऊ, पहले प्याज काटने से आंख में आंसू आता था, अब प्याज खरीदते हुए. भाऊ बोले यही तो प्याज का डबल एक्शन फार्मूला है. काटो तो रूलाई, खरीदो तब भी.
प्रियंका चोपड़ा टीवी पर एक टपोरी को बोल रही थी, जिन आंखों से मुझें घूर रहा है उसमें सूरमा मेरे बरेली का लगा है. करमजले, आंख नीची कर! टपोरी ने शरमा कर उसके कमसीन पैर को पकड़ लिया. अब प्रियंका को लेने को देने पड़ जाय, तो टपोरी बेचारे की क्या गलती.
कल्पनाशीलता में हमारा देश कभी पीछे नहीं रहा है. पिछली गर्मीयों में मैं बाजार से आम खरीद कर घर जा रहा था, कि रास्ते में नवाब साहब मिल गये. बोले, मियां! ये दशहरी आम मेरे मलिहाबाद का है. फलों का राजा है. अवध की शान है. समझें, मेरे सामने सर झुका के चला करो.
एक बार मैं श्रीमतीजी के साथ पान चबाते-चबाते हंसी-ठठ्ठा करते हुए सैर सपाटा कर रहा था. तभी एक लंठ आया और बोला, क्या मुंह लाल किये अकड़ कर चल रहा है. मैंने कहा, ये क्या बदतमीजी है. वो बोला, बाबू ये हमारे यहां का बनारसी पान है. अब हम ही को अकड़ दिखाओगे.
उस दिन कथा के दौरान पण्डितजी बोले, यजमान! हमारी देवधरा उत्तराखण्ड से उद्गमित गंगा में डुबकी लगाकर तुम सबो का सात खून माफ हो जाता है. मेरा स्थान सर्वोच्च न्यायाधीश और देश के राष्ट्रपति से ऊपर हुआ कि नहीं.
रेडियो पर कोई ठेठ बिहारी अंदाज में बोल रहा था, परलोक सिधारने के बाद पिण्डदान हमारे बिहार के गया में ही होता है. तभी आत्मा को शान्ति मिलती है. किसी ने कहा, अरे ये अपने लालू भईया की आवाज़ लग रही है. सभी हॅंसने लगे.
दिवाली के बाजार में गणेश-लक्ष्मी की सारी मूर्तिया चीन की बनी हुई थी. अगर चीन बोले तुम्हारे भगवान को मैं बनाता हॅू, तो क्या होगा भाई.
एसआरसीसी की सभा में नरेन्द्र भाई ने एक जादूगर के अंदाज में एकदम नया सिद्धान्त दिया कि गिलास पूरा भरा है. आधा पानी से, आधा हवा से. अपुन का दर्शन कहता है कि हवा भी माया है और पानी भी. जो है, वो नहीं है. अब आप ही तय करिये, मेरे सड़ेले दिमाग की बात में ज्यादा दम है या मोदी साहब के विकसित दिमाग की उपज में.
भाव विभोर होकर मैं सभा स्थल से निकला तो देखा कि बाहर जबरदस्त हंगामा हो रहा है. कुछ सिरफिरों और पुलिस के बीच महाभारत का संग्राम चल रहा है. किसी ने बताया कि इस बीच पानी के तोप की बौछार और लाठीचार्ज सबकुछ हो चुका है. मेरे मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, शो का मजा क्यों बिगाड़ रहे हो भाई. कुछ देर और तो खुमारी रहने देते.
