साबरमती जेल में सुरंग खुदने की घटना की हो सीबीआई जांच

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BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने साबरमती जेल में बंदियों द्वारा कथित तौर पर सुरंग खोदने के मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि यह हास्यास्पद होने के साथ-साथ शक पैदा करता है कि जेल के भीतर किस प्रकार से बंदी सुरंग खोद सकते हैं. जबकि जेल के चप्पे-चप्पे की निगरानी जेल में भीतर तैनात कारागार पुलिस बल द्वारा की जाती है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुएब और आवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि कथित तौर पर दो महीने और उससे अधिक अवधि से सुरंग खोदी जा रही थी इसका पता जिस प्रकार से जेल अधिकारियों के संज्ञान में आने की कहानी बताई जा रही है, वह गढ़ी हुई प्रतीत होती है, क्योंकि कुछ जेल सूत्रों के हवाले से छपी खबरों में बताया गया है कि 6 महीने से तो कुछ में एक महीने से सुरंग खोदने की बात बताई जा रही है.

sabarmati jail,  Photo Courtesy: reuters

उन्होंने कहा कि खोदने के बाद निकली हुई मिट्टी कितनी तादाद में थी और कहा रखी जा रही थी और किन औजारों से खोदी जा रही थी इन सभी संन्दर्भों में अन्तरविरोधी बातें सामने आयीं हैं. ऐसे में इन प्रश्नों की गहरी जांच होनी चाहिए कि जेल अधिकारियों द्वारा यह पहले से क्यों नहीं जाना जा सका कि कोई सुरंग खोदी जा रही है? चूंकि अभियुक्तों के विरुद्ध जेल अधिकारियों का व्यवहार पहले से ही दोषूपर्ण और पक्षपातपूर्ण रहा है, जिसके तहत उनके ऊपर ईद की नमाज़ के दौरान हमला और जेल में बर्बर पिटाई की घटनाएं भी होती रहीं हैं. इसलिए संभव है कि अभियुक्तों के विरुद्ध उन्हें नुकसान पहुंचाने की नियत से यह मामला बनाया गया हो.

रिहाई मंच ने कहा कि अभियुक्तों को उनके वकीलों और परिजनों से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है और वे अज्ञातवास की स्थिति में जेल में बंद हैं. यह मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है. विशेषकर इन परिस्थितियों में जब यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि राज्य एजेंसियों द्वारा इन अभियुक्तों का ब्लास्ट के मामलों में झूठा अभियोजन किया गया है, तब ऐसे में सुरंग खोदने की यह नई कथित घटना का प्रकाश में आना राज्य एजेंसियों के एक अन्य कुत्सित प्रयास के रुप में देखा जाना चाहिए कि वे नहीं चाहतीं कि इनकों न्यायालय से ज़मानत मिले.

रिहाई मंच ने कहा कि साबरमती में बंद अभियुक्तों की सुरक्षा खतरे में है. मुमकिन है कि जेलों में उनकी हत्यांए कर दी जाएं और उन्हें आत्महत्या या भागते हुए दिखाकर एनकाउंटर बताया जाय. यदि सुरंग खोदने की घटना राज्य एजेंसियों का एक कुत्सित प्रयास है तो इन अभियुक्तों के पक्ष में यही न्याय होगा कि इन्हें गुजरात राज्य से बाहर किसी राज्य में रखा जाए और वहीं इनके मुक़दमों की सुनवाई हो.

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