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अस्थान साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े हैं जियाउल हक़ की हत्या के तार

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ/जुआफर, देवरिया : उत्तर प्रदेश के रिहाई मंच (Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism) आज़मगढ़ के एक प्रतिनिधि मंडल ने कुंडा में रघुराज प्रताप सिंह के गुडों द्वारा कत्ल कर दिए गए सीओ जिया उल हक़ के गांव जुआफर, देवरिया पहुंचकर उनकी पत्नी परवीर आजाद, पिता शम्शुल हक, भाई शोहराब अली, बहनोई मुजीबुर्रहमान, चचेरे भाई मारुफ और परिजनों से मुलाकात करके रघुराज प्रताप सिंह समेत इस घटना में लिप्त पुलिस कर्मियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की. मंच का कहना है कि जिया उल हक़ की हत्या के तार अस्थान में हुये साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े हैं इसलिये अस्थान कांड की भी सीबीआई जांच करायी जाए.

अस्थान साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े हैं जियाउल हक़ की हत्या के तार

रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रतिनिधि मंडल में शामिल मसीहुद्दीन संजरी, आरिफ़ नसीम, एडवोकेट अब्दुल्ला और गुफरान ने पीडि़त परिवार से मिलने के बाद जारी बयान में कहा कि सपा सरकार के समाजवाद का मतलब रघुराज प्रताप सिंह जैसे अपराधियों को खुली छूट और जिया उल हक़ जैसे इमानदार पुलिस अधिकारी की मौत हो गया है.

आज़मगढ़ रिहाई मंच के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी और आरिफ़ नसीम ने सपा सरकार पर रघुराज प्रताप सिंह जैसे अपराधियों के संरक्षण में मुस्लिम और कमजोर तबकों के खिलाफ़ हिंसा को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक खुली सच्चाई है कि रघुराज प्रताप का खानदान जनसंघ के ज़माने से ही मुस्लिम विरोधी रहा है. जिसने अभी पिछले दिनों ही अस्थान की घटना जिसमें चालिस मुसलमानों के घर जला दिए गए थे. उसके बाद मुसलमानों को दहशतज़दा करने के लिए प्रवीण तोगडि़या को बुलाकर खुले मंच से मुसलमानों को सांप्रदायिक गालियां और धमकी दिलवाई. लेकिन अस्थान कांड में रघुराज प्रताप सिंह और उनके पिता का नाम आने के बावजूद इस मुस्लिम विरोधी आपराधी परिवार को जेल में डालने के बजाय सपा ने अपने नेता अबू आसिम आज़मी के ज़रिए प्रतापगढ़ में कौमी एकता सम्मेलन करने का नाटक किया. जिससे साफ हो जाता है कि सपा अपने गुप्त हिन्दुत्वादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के तहत मुसलमानों के वोट से ही पूर्ण बहुमत में पहुंचने के बावजूद रघुराज प्रताप सिंह को मंत्री ही नहीं बनाती है बल्कि हर स्तर पर कानूनी संरक्षण भी देती है.

नेताओं ने कहा कि जब एक पुलिस अधिकारी की हत्या की जांच उनकी विधवा प्रदेश पुलिस के बजाए सीबीआई जैसी बाहरी एजेंसी से कराने की मांग कर रही हैं तो समझा जा सकता है कि सपा सरकार में प्रदेश की पुलिस किस तरह से सरकार के मनमुताबिक जांच करती होगी. ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि सपा सरकार में हुये 27 बड़े दंगों की भी सीबीआई से जांच करायी जाए.

रिहाई मंच ने कहा कि मुलायम सिंह को यह बताना चाहिए कि आखिर रघुराज प्रताप सिंह को उनकी पार्टी और भाजपा ही क्यों हमेशा मंत्रिमंडल में रखती है. क्या रघुराज प्रताप भाजपा और सपा के बीच किसी हिंदुत्वादी एजेंडे के तहत कड़ी का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अस्थान में मुसलमानों के विरुद्ध हुए सांप्रदायिक हमले की घटनाओं के जांच से जिया उल हक का नाम जुड़ रहा है उससे ज़रुरी हो जाता है कि जिया उल हक की हत्या के साथ ही अस्थान सांप्रदायिक हिंसा की भी सीबीआई जांच कराई जाए.

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