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Reading: रईसउद्दीन : क्या दोबारा हो रहा है जुल्म का शिकार?
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BeyondHeadlines > India > रईसउद्दीन : क्या दोबारा हो रहा है जुल्म का शिकार?
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रईसउद्दीन : क्या दोबारा हो रहा है जुल्म का शिकार?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 4, 2013
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9 Min Read
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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

हैदराबाद : हैदराबाद सिरियल ब्लास्ट में एक फिर से उन्हीं युवकों को परेशान किया जा रहा है, जिन्हें मक्का मस्जिद ब्लास्ट के बाद पकड़ा गया था. इन्हें काफी दिनों तक जेल में रखकर यातनाएं दी गई थी. और फिर अदालत ने इन्हें बेगुनाह क़रार दिया था. यहां तक कि राज्य सरकार ने इन युवकों को तीन लाख रूपये मुवाअज़ा के साथ निर्दोष होने का सर्टीफिकेट भी जारी किया था.

रईसउद्दीन भी उन 26 व्यक्तियों में से एक हैं, जिन्हें 2007 के मक्का मस्जिद बलास्ट के बाद पकड़ा गया था. और फिर अदालत के फैसले के मुताबकि उसे भी बाइज्जत रिहा करते हुए सरकार ने करैक्टर सर्टिफिकेट दिया था. बाइज्जत बरी होने के बाद भी रईसउद्दीन के परिवार की मुश्किलें अभी कम भी नहीं हुईं थी कि एक बार फिर दिलसुखनगर धमाकों ने उसके परिवार के सामने संकट खड़ा कर दिया गया है.

Raeesuddin Wife

दिलसुखनगर बम धमाकों के सिलसिले में एक बार फिर रईसउद्दीन से पूछताछ की जा रही है. हैदराबाद पुलिस ने उसे बीते शनिवार यानी 2 मार्च की शाम को बुलाया था. वह अब तक अपने घर नहीं पहुंचा है. हालांकि पुलिस ने उसे गिरफ्तार किए जाने के बारे में कोई अधिकारिक जानकारी नहीं दी है. यही नहीं, इससे पहले 24 फरवरी को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. लेकिन पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था.

रईस की 63 वर्षीय मां जाहिदा बेगम बताती हैं कि ‘बेगुनाह होने के बाद भी रईस को मक्का मस्जिद ब्लास्ट के आरोप में जेल में बंद रखा गया. सरकार ने बाइज्जत रिहा तो कर दिया लेकिन हमारी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. हम किराये के मकान में रहते थे, बार-बार पुलिस के आने के कारण हमें घर से निकाल दिया गया. 24 फरवरी को भी पुलिस घर आई थी तो रईस उनसे बाहर ही जाकर मिला था ताकि दिक्कत न हो.’

रईस की 24 वर्षीय पत्नी सलवा तबस्सुम कहती हैं कि ‘शनिवार शाम साढ़े 6 बजे के करीब पुलिस ने रईसउद्दीन को फोन करके कहा था कि तुम्हारे नाम का एक नोटिस है आकर ले जाओ. पुलिस के बुलाने पर वह गए और अभी तक लौटकर नहीं आए. रविवार सुबह उन्होंने फोन करके बताया था कि परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, पुलिस सिर्फ पूछताछ कर रही है. रईसउद्दीन के भाई आज़मउद्दीन उसकी खबर लेने के लिए बेगमपेट टास्क फोर्स पुलिस स्टेशन भी गए लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल सकी.’

मक्का मस्जिद धमाकों के आरोपों से बरी होने के बाद रईसउद्दीन की शादी सलवा तबस्सुम से 2009 में हुई थी. उनके तीन बच्चे हैं जिनमें एक बेटी और दो बेटे हैं. अरेबिक में एमए तक की पढ़ाई कर चुकी सलवा कहती हैं, ‘आतंकवादी होने का आरोपों में बरी होने के बाद भी मैंने इनसे शादी की क्योंकि मुझे पता था कि यह बेगुनाह हैं. लेकिन हम मक्का मस्जिद ब्लास्ट में इनकी गिरफ्तारी की सजा अब तक भुगत रहे हैं. हमें लगातार प्रताड़ित किया जाता है. पुलिस वक्त-बेवक्त आकर हमें परेशान करती हैं. हमें किराये के मकान से भी निकाल दिया गया है. अब बड़ी मुश्किल से यहां अपने भाई के घर रह रही हूं.’

सलवा कहती हैं, ‘जांच में पुलिस की मदद करना हर शहरी की जिम्मेदारी है. लेकिन पुलिस की पूछताछ का भी एक सही तरीका होना चाहिए. यह क्या है किसी को भी कभी भी घर से उठा लिया या झूठ बोलकर पुलिस स्टेशन बुला लिया और फिर घर आने ही नहीं दिया.’

रईस के 45 वर्षीय बड़े भाई जमीलउद्दीन पिछले दो साल से सऊदी अरब में रहकर नौकरी कर रहे हैं. फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, ‘पुलिस की मदद करना हर शहरी की जिम्मेदारी है लेकिन पुलिस को भी यह सोचना चाहिए कि किसी बेगुनाह के परिवार को सजा न भुगतनी पड़े. मक्का ब्लास्ट में नाम आने के बाद से ही हमारा परिवार अछूत सा हो गया है. अब एक बार फिर हमें निशाना बनाया जा रहा है.’

जेल से छूटने के बाद रईसउद्दीन इलेक्ट्रीशियन का काम कर रहा था. काम कम होने के कारण आजकल वह भैंसे बेचकर अपना घर चला रहा था. रईसउद्दीन का मां जाहिदा बेगम कहती हैं कि सरकार ने उनके बेटे को तो बेगुनाह बताते हुए रिहा कर दिया था लेकिन उस वक्त जिन पुलिस अधिकारियों ने उस पर जुल्म किया उनमें से किसी को भी सजा नहीं दी गई. अगर उन्हें सजा दी गई होती तो आज फिर रईसउद्दीन को निशाना नहीं बनाया जाता.

रईसउद्दीन और मुसिबतों का नाता भी पुराना है. दरअसल साल 2004 में गुजरात पुलिस ने हैदराबाद के लकड़ी का पुल थाने में फायरिंग की थी और यहां को मौलाना नसीरउद्दीन को गिरफ्तार करके ले गई थी. नसीरउद्दीन पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ भावनाएं भड़काने के आरोप  थे. गुजरात पुलिस की फायरिंग में मुजाहिद इसलाही नाम के एक नौजवान की मौत हो गई थी. मुजाहिद रईसउद्दीन का बचपन का दोस्त था. रईसउद्दीन ने मुजाहिद की लाश के पंचनामे पर हस्ताक्षर किए थे और वह इस केस का अहम गवाह भी है.

रईस का परिवार मानता है कि इस केस में गवाह होने के कारण ही उसे पहले निशाना बनाया गया था और इसी कारण अब भी निशाना बनाया गया है. मुजाहिद इसलाही की हत्या के मामले में सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में जेल में बंद गुजरात पुलिस के डीसीपी रहे नरेंद्र अमीन के खिलाफ मामला दर्ज है.

दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि सैय्यद मक़बूल एक व्यापारी की हत्या के मामले में हैदराबाद की चेरापल्ली जेल में बंद था. रईसउद्दीन और अन्य नौजवानों को मक्का मस्जिद ब्लास्ट के आरोप में चेरापल्ली जेल में ही बंद किया गया था. यहीं रईसउद्दीन की मुलाकात सैय्यद मकबूल से हुई थी. बाद में रईसउद्दीन बेगुनाह साबित होने पर रिहा हो गया था और साल 2009 में आंध्र प्रदेश सरकार ने बेहतर आचरण के कारण सैय्यद मक़बूल को भी रिहा कर दिया था.

मूल रूप से नांदेड़ का रहने वाला मक़बूल जब रिहा होकर बाहर आया था तब रईसउद्दीन और रिहा हुए अन्य नौजवानों के संपर्क में आया था और उन्होंने उसकी रोजी रोटी तलाशने में मदद की थी. बाद में महाराष्ट्र एटीएस ने मक़बूल को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार करके दिल्ली पुलिस को सौंप दिया था. वह फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था. हैदराबाद धमाकों में शक की सुई अब सैय्यद मक़बूल की ओर ही घूम गई है और हैदराबाद पुलिस फिलहाल हैदराबाद में उससे पूछताछ कर रही है.

रईसउद्दीन को साल 2009 में मक़बूल के करीब होने के कारण ही हैदराबाद पुलिस ने दोबारा हिरासत में लिया है. उसे मक़बूल के सामने बिठाकर पूछताछ की जा रही है. वह शनिवार शाम साढ़े 6 बजे से हैदराबाद पुलिस की हिरासत में है. बीच में एक बार उसने अपने परिवार से फोन पर भी बात की है.

सिर्फ रईसुद्दीन ही नहीं, इसके अलावा मुहम्मद अज़मत, अब्दुल रहीम, मुहम्मद शकील, अरशद और अब्दुल करीम को भी पूछ-ताछ के नाम पर परेशान किया गया, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया. डॉक्टर इब्राहीम जुनैद को भी एक पुलिस अधिकारी मधुसूदन रेड्डी ने फ़ोन करके थाने बुलाया था. लेकिन डॉक्टर जुनैद ने अपनी सुरक्षा को खतरा महसूस करते हुए पुलिस स्टेशन जाने से इनकार कर दिया. फिलहाल, रईसउद्दीन के बाद नासिर व इश्हाक को भी पुलिस ने पूछताछ के नाम पर अपनी गिरफ्त में लिया है, यह दोनों बाबा नगर के रहने वाले हैं.

 

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